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स्कूल में लड़कों के लिए नहीं था टॉयलेट, तेल के डिब्बों ने 78 साल का संकट खत्म कर दिया

तेलंगाना के महबूबाबाद जिले के राजोल के हाई स्कूल का मामला है. फिज़िकल एजुकेशन टीचर ने प्लास्टिक तेल के डिब्बों से जुगाड़ करके यूरिनल बनाए हैं.

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No Toilets For Boys In Telangana School, Physical Teacher Made Urinals From Plastic Oil Cans
पूरा काम सिर्फ 2 हज़ार रुपये में हुआ पूरा. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
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रिदम कुमार
12 जून 2025 (Published: 09:43 AM IST)
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तेलंगाना में एक स्कूल है. यह 1947 में बना था. स्कूल में 200 छात्र हैं, जिनमें 80 लड़कियां हैं. दिलचस्प बात यह है कि स्कूल में लड़कियों के लिए तो टॉयलेट था. लेकिन लड़कों के लिए यह सुविधा नहीं थी. लड़कों को टॉयलेट के लिए स्कूल के बाहर जाना पड़ता था. इतने सालों के बाद अब जाकर स्कूल के फिज़िकल एजुकेशन टीचर ने एक अनोखा और सस्ता समाधान ढूंढ निकाला. फिज़िकल एजुकेशन टीचर ने प्लास्टिक तेल के डिब्बों से जुगाड़ करके यूरिनल बनाए हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला महबूबाबाद जिले के राजोल के हाई स्कूल का है. यहां के फिज़िकल एजुकेशन डायरेक्टर पिल्ली काशीनाथ ने बताया,

एक दिन टॉयलेट ब्रेक के बाद एक लड़का रोता हुआ लौटा. एक शख़्स ने उसे उसकी ज़मीन पर टॉयलेट करने के लिए डांटा था. इससे वह बहुत दुखी था. तभी मैंने सोचा छात्रों को शौच के लिए बाहर नहीं जाना चाहिए.

इसके बाद काशीनाथ ने पांच लीटर वाले प्लास्टिक तेल के डिब्बों को काटकर 10 यूरिनल बना दिए. इन डिब्बों को दीवार पर बच्चों की हाइट के मुताबिक लगाया गया. यूरिन डिस्चार्ज का सिस्टम भी बनाया गया है. यह पूरा काम सिर्फ 2,000 रुपये में पूरा हुआ. 

ज़रूरी सामान जैसे सीमेंट, पाइप, डिस्टेंपर आदि खरीदे गए, जबकि कुछ चीज़ें स्कूल में पहले से उपलब्ध थीं. टॉयलेट पूरी तरह काम में लाया जा रहा है. इस काम में 8वीं क्लास के कार्तिक, लोकेश और कोमाराम पुली सहित अन्य छात्रों और शिक्षकों ने भी मदद की.

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फोटो क्रेडिट: dailyupdatesnews

मार्च में जिला शिक्षा अधिकारी ए. रविंदर रेड्डी ने इस यूरिनल का उद्घाटन किया. कोई छत नहीं होने की वजह से बारिश के मौसम में इसका इस्तेमाल करना चुनौती भरा काम होगा. इसलिए अगले कदम के तौर पर यहां छत का इंतजाम किया जाएगा. 

स्कूल के प्रिंसिपल ए. रवि कुमार ने कहा,

हमारे पास दो ऑप्शन थे, या तो शिकायत करते रहते और सरकार का इंतज़ार करते या फिर जो है उसी से समाधान निकालते. अच्छी बात यह है कि अब कोई भी बच्चा खुले में जाने को मजबूर नहीं है.

हालांकि, सरकारी रिकॉर्ड्स के मुताबिक, स्कूल को नए टॉयलेट के लिए मंज़ूरी मिल चुकी थी. लेकिन फंड न मिलने की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया था.

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