कैलिफ़ोर्निया में भारतीय सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल की पुलिस फायरिंग में मौत, परिवार बोला- नस्लीय उत्पीड़न का शिकार था बेटा
Indian Killed By Police in US: शख्स के परिवार का कहना है कि निजामुद्दीन एक शांत और धार्मिक व्यक्ति था. उसने कई बार नस्लीय उत्पीड़न, सैलरी फ्रॉड और नौकरी से गलत तरीके से निकाले जाने की शिकायतें भी सोशल मीडिया पर उठाई थीं.

अमेरिका के कैलिफोर्निया में पुलिस ने एक भारतीय नागरिक की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई है. बताया गया कि शख्स का अपने रूममेट के साथ मामूली बात को लेकर झगड़ा हुआ था और इसी बीच उसने रूममेट पर कथित तौर पर चाकू से हमला कर दिया. जिसके बाद यह खबर सामने आई. शख्स के परिवार ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर बेटे के शव को वापस लाने में मदद करने की गुहार लगाई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, जान गंवाने वाले भारतीय का नाम 29 साल के मोहम्मद निजामुद्दीन है. वह कैलिफोर्निया में बतौर सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल काम करते थे और तेलंगाना के रहने वाले थे. 3 सितंबर को कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में पुलिस ने उसे गोली मार दी.
पुलिस ने बताया क्या हुआ थासांता क्लारा पुलिस ने बताया कि उन्हें घर के भीतर चाकूबाजी की कॉल मिली थी. अधिकारी मौके पर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि निजामुद्दीन ने अपने रूममेट को पकड़ा हुआ था. रूममेट को कई चोटें भी आई थीं. इसी दौरान रूममेट और शख्स के बीच कहासुनी बढ़ गई. निजामुद्दीन ने इस बीच अपने साथी के ऊपर कथित तौर पर चाकू से हमला कर दिया. दूसरे शख्स को बचाने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी.
पुलिस ने शुरुआती जांच के आधार पर दावा किया कि उनका गोली चलाना नुकसान को कम करने जैसा था. उन्होंने एक शख्स की जान बचाई है. अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. साथ ही घटनास्थल से दो चाकू बरामद किए हैं.
दो हफ्ते बाद मिली मौत की खबरसांता क्लारा (अमेरिका) में रह रहे निज़ामुद्दीन की 3 सितंबर को गोली मारी गई थी. मगर घरवालों को इसकी सूचना 18 सितंबर को मिली. निज़ामुद्दीन के पिता हुस्नुद्दीन ने TOI को बताया कि उन्हें बेटे की मौत की जानकारी दो हफ़्ते बाद बेटे के एक दोस्त से मिली. बताया गया कि निज़ामुद्दीन पर चार गोलियां चलाई गईं. पहचान न हो पाने के कारण उनका शव स्थानीय अस्पताल में रखा गया है. परिवार ने घटना की गहराई से जांच कराने और जल्द से जल्द शव भारत लाने की मांग की है.
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता और मजलिस बचाओ तहरीक (MBT) के प्रमुख अमजद उल्लाह खान ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर उनके शव को भारत वापस लाने में मदद मांगी है. खान का कहना है कि जहां तक उन्हें पता है निजामुद्दीन का किसी अन्य व्यक्ति से झगड़ा हुआ था. पुलिस को मामला शांत कराने के लिए बुलाया गया था. लेकिन पुलिस ने गोली चला दी और वह मारा गया.
नस्लीय उत्पीड़न का आरोपपरिवार का कहना है कि निजामुद्दीन एक शांत और धार्मिक व्यक्ति था. उसने कई बार नस्लीय उत्पीड़न, सैलरी फ्रॉड और नौकरी से गलत तरीके से निकाले जाने की शिकायतें भी सोशल मीडिया पर उठाई थीं. परिवार ने उसके एक लिंक्डइन पोस्ट का भी जिक्र किया. इसमें उसने लिखा था कि वह नस्लीय घृणा, नस्लीय भेदभाव, नस्लीय उत्पीड़न, यातना, वेज फ्रॉड, गलत तरीके से निकाले जाने और न्याय न मिलने का शिकार रहा है. इस पोस्ट में उसने उसके खाने में जहर मिलाने, एक जासूस द्वारा लगातार निगरानी और धमकी देने के आरोपों का भी विस्तार से जिक्र किया था.
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