The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Tamil Nadu West Bengal and kerala ruling parties oppose SIR accuses ECI to tamper voter list

SIR पर घमासान शुरू, तमिलनाडु, बंगाल और केरल ने किया विरोध, कहा- ये वोट काटने की साजिश

SIR in 12 States: Election Commission ने केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में SIR कराने की घोषणा कर दी है. इसके बाद से कई राज्यों में इसका विरोध शुरू हो गया है.

Advertisement
Tamil Nadu West Bengal and kerala ruling parties oppose SIR accuses ECI to tamper voter list
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (बाएं) और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन (दाएं) की सांकेतिक तस्वीर. (Photo: ITG/File)
pic
सचिन कुमार पांडे
28 अक्तूबर 2025 (Published: 10:51 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

चुनाव आयोग ने बिहार के बाद अब 12 और राज्यों में SIR यानी वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) कराने की घोषणा कर दी है. ऐसे में अब इन राज्यों में भी SIR पर बिहार जैसा ही घमासान मच सकता है. इसकी शुरुआत भी हो गई है. तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल की सत्तारूढ़ पार्टियों ने SIR का विरोध करना शुरू कर दिया है. उनका आरोप है कि यह उनके राज्यों में वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ करने की साजिश है. तमिलनाडु की सत्ता में काबिज DMK ने SIR पर चर्चा के लिए 2 नवंबर को ऑल पार्टी मीटिंग भी बुलाई है.

दरअसल, विपक्षी INDIA गठबंधन में शामिल दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर काम कर रहा है और SIR के जरिए जानबूझकर उनके समर्थकों के नाम वोटर लिस्ट से हटा रहा है. बिहार में इसे लेकर काफी बवाल हुआ था, जहां चुनाव आयोग ने 65 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए थे. अब चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में SIR कराने की घोषणा की है. इनमें केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं.

DMK ने बुलाई मीटिंग

चुनाव आयोग की घोषणा के बाद चेन्नई में DMK और उसके सहयोगी दलों ने एक बैठक की. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बैठक के बाद पार्टियों ने केंद्र की भाजपा सरकार पर लोकतंत्र खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया. DMK और उसके सहयोगी दलों ने एक बयान में कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि मतदाता सूची में संशोधन नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन इसे जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए. अप्रैल 2026 में होने वाले (तमिलनाडु विधानसभा) चुनावों के साथ ही ऐसा करना सही नहीं है.

पार्टियों ने आरोप लगाया कि बिहार में SIR के समय मुसलमानों, अनुसूचित जातियों और महिलाओं को निशाना बनाया गया. तमिलनाडु ऐसी किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं करेगा. पश्चिम बंगाल और केरल सरकार की सत्तारूढ़ पार्टियों ने भी SIR का विरोध किया है. TMC नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि बिहार में यह तो बस एक अभ्यास था. उनका मुख्य निशाना पश्चिम बंगाल है. उन्होंने चुनाव आयोग को समझौतावादी बताया और कहा कि बंगाल की जनता आयोग को कुछ ही महीनों में चुप करा देगी. मालूम हो कि तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में अगले साल चुनाव होने हैं.

यह भी पढ़ें- अगले 4 महीने इन 12 राज्यों में होगा SIR, चुनाव आयोग ने असम को क्यों छोड़ दिया?

केरल ने भी किया विरोध

केरल की सत्ता में काबिज माकपा भी SIR के विरोध में उतर आई है. पार्टी के महासचिव एम ए बेबी ने चुनाव आयोग के फैसले को मनमाना और एकतरफा बताया है. उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट बिहार में SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, तब चुनाव आयोग संशोधन की प्रक्रिया में जल्दबाजी करके लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अवमानना कर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह से चुनाव आयोग ने पारदर्शिता लाने की मांगों को अनसुना कर दिया है, उससे यह शक और बढ़ता है कि वो सत्तारूढ़ दल के इशारे पर काम कर रहा है. उन्होंने चुनाव आयोग पर वोटर लिस्ट में हेरफेर करने की नापाक साजिश रचने का भी आरोप लगाया.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार SIR पर चुनाव आयोग से पूछे तीखे सवाल

Advertisement

Advertisement

()