'50% से ज्यादा आरक्षण दिया तो चुनाव नहीं होने देंगे', सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
Supreme Court on OBC Reservation: जब SG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से जवाब फाइल करने के लिए समय मांगा तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण की इजाजत नहीं दी जाएगी.

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. 17 नवंबर को एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को तोड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी. शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी कि अगर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण दिया गया, तो चुनाव प्रक्रिया ही रोक दी जाएगी.
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव के नॉमिनेशन पेपर की स्क्रूटनी से पहले सर्वोच्च अदालत की तरफ से यह टिप्पणी आई. याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश सीनियर वकील विकास सिंह ने कोर्ट में विकास किशनराव गवली मामले का भी जिक्र किया. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम, 1961 के तहत दिए गए 27 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग (OBS) के आरक्षण को इस आधार पर रद्द कर दिया था, क्योंकि इससे 50 फीसदी की सीमा टूट गई थी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि राज्य के अधिकारियों ने आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या की है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान इस बात पर जोर दिया कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण की इजाजत देने वाला कोई आदेश पारित नहीं किया गया है.
सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने जोर दिया कि चुनाव प्रक्रिया चल रही है और नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया कल (18 नवंबर) से शुरू होगी. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण के मामले को कोर्ट ने अपने 6 मई के आदेश में विचाराधीन मुद्दे के रूप में दर्ज किया था, फिर चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था.
जब SG तुषार मेहता ने कोर्ट से जवाब फाइल करने के लिए समय मांगा तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण की इजाजत नहीं दी जाएगी. जब एक वकील ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, तो न्यायाधीश ने चेतावनी दी,
"अगर (चुनाव) प्रक्रिया ही दलील है, तो हम आज ही रोक लगा देते हैं. फिर हम चुनाव नहीं होने देंगे. हमने चुनाव कराने की इजाजत दी है. हम अब भी सुनिश्चित करेंगे कि चुनाव हों. लेकिन संविधान पीठ के फैसले के उलट नहीं. मुझे और मेरे भाई (साथी जज) को संविधान पीठ के फैसले के उलट आदेश देने के लिए मजबूर ना करें!"
जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट के 6 मई के आदेश की तरफ इशारा करते हुए कहा कि बांठिया आयोग की रिपोर्ट से पहले की स्थिति के अनुसार चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था.
उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश 3 जजों की बेंच का था. और जब तक उस पर विचार नहीं किया जाता, 2 जजों की बेंच शायद उसके उलट आदेश जारी करने की हालत में नहीं होगी.
6 मई के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में जेके बांठिया आयोग की 2022 की रिपोर्ट से पहले महाराष्ट्र में जो आरक्षण व्यवस्था थी, उसी के आधार पर OBC समुदायों को आरक्षण मिलेगा.
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