जस्टिस वर्मा के कॉल रिकॉर्ड्स मांगे गए... कैशकांड की 25 पेज वाली रिपोर्ट की एक-एक बात जानिए
Justice Yashwant Varma’s call records: 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास में आग लग गई थी. इस आग को बुझाते समय दिल्ली पुलिस ने वीडियो रिकॉर्ड किया था. जिसे अब सार्वजनिक किया गया है. वीडियो में क्या-क्या दिखा?
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दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) के आवास से मिले कैश की तस्वीरें और वीडियो सार्वजनिक कर दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इन्हें अपनी वेबसाइट पर रिपोर्ट और डॉक्यूमेंट्स के साथ अपलोड किया है. वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस की जांच रिपोर्ट (Delhi HC Chief Justice inquiry report) और जस्टिस वर्मा का जवाब भी सामने आया है.
Video में क्या दिखा?14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास के एक हिस्से में आग लग गई थी. लाइव लॉ की ख़बर के मुताबिक़, इस आग को बुझाते समय दिल्ली पुलिस ने वीडियो रिकॉर्ड किया था. जिसे अब सार्वजनिक किया गया है. वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बोरियों में नकदी भरी हुई है, जिनमें से कुछ जली हुई भी हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इस संबंध में भारत के चीफ़ जस्टिस के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि घटना 14 मार्च को एक स्टोर रूम में हुई. यहां जस्टिस वर्मा के आधिकारिक बंगले में रहने वाले लोगों के अलावा किसी और व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है.
चीफ़ जस्टिस उपाध्याय को 15 मार्च की शाम क़रीब 4:50 बजे दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने इसकी ख़बर दी. बताया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में 14 मार्च की रात 11.30 बजे आग लगी थी. इसके बाद चीफ़ जस्टिस ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के साथ घटनास्थल का दौरा किया. जहां उन्होंने जस्टिस वर्मा से भी मुलाक़ात की. इसी दौरे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चीफ़ जस्टिस उपाध्याय को दिल्ली पुलिस कमिश्नर से कुछ और बातें पता चलीं. मसलन, ये कि आग के संबंध में PCR कॉल जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने की थी. जब जस्टिस वर्मा के कर्मचारियों ने निजी सचिव को आग के बारे में बताया था.
Justice Yashwant Varma का जवाबचीफ़ जस्टिस उपाध्याय की रिपोर्ट के मुताबिक़, उन्होंने 16 मार्च को CJI को घटना के बारे में बताया था. इसके अगले दिन यानी 17 मार्च को उन्होंने जस्टिस वर्मा को से फिर संपर्क किया. इस दौरान जस्टिस वर्मा ने चीफ़ जस्टिस उपाध्याय को बताया कि उस कमरे में घर में काम करने वाले कर्मचारी, बागवानी करने वाले लोग और कभी-कभी CPWD कर्मी जाते थे.
फिर चीफ़ जस्टिस उपाध्याय ने उन्हें पुलिस कमिश्नर की तरफ़ से भेजी गई वॉट्सऐप तस्वीरें दिखाईं. तब जस्टिस वर्मा ने ‘अपने ख़िलाफ़ किसी साज़िश की आशंका’ जता दी. बता दें, चीफ जस्टिस उपाध्याय ने चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें कहा गया है इस मामले की गहन जांच की ज़रूरत है.

रिपोर्ट हासिल होने के बाद, 21 मार्च को चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने दिल्ली के चीफ़ जस्टिस उपाध्याय से बात की. इसमें उन्होंने चीफ़ जस्टिस उपाध्याय से जस्टिस वर्मा से कुछ जवाब मांगने को कहा. किसका जवाब? ‘अघोषित नकदी’ की मौजूदगी, पैसों के ‘सोर्स’ और ‘जले हुए पैसों’ को हटाने वाले व्यक्ति के बारे में.
इसके अलावा, जस्टिस वर्मा को अपने फोन को डिस्पोज़ ना करने या अपने मोबाइल फोन से कोई भी मोबाइल नंबर, मैसेज या डेटा डिलीट नहीं करने को भी कहा गया है.
Justice Yashwant Varma ने आरोपों से किया इनकारसुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब को भी पब्लिश किया है. बता दें, टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इस ख़बर को ब्रेक किया था. इसमें बताया गया था कि जिस कमरे में आग लगी, वो जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास का कमरा था. लेकिन जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में इन आरोपों को ख़ारिज किया है.
जवाब के मुताबिक़, वो एक स्टोररूम है और मुख्य आवास से अलग है. जस्टिस वर्मा ने स्टोररूम में अपनी तरफ़ से नकदी रखे जाने की बात से भी साफ इनकार किया है. जवाब में कहा गया है,
मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने उस स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी. उन कथित पैसों से हमारा कोई लेनदेन नहीं था. ये मानना कि कैश हमने रखा, बिल्कुल बेतुका है. वो स्टोररूम स्टाफ क्वार्टर के पास एक खुले, आसानी से सुलभ और आम तौर पर इस्तेमाल किया जा सकने वाला एरिया है. ऐसे में कोई वहां अपना कैश रख दे, ये मानने लायक बात ही नहीं है. वो एक ऐसा कमरा है, जो मेरे रहने के क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है. एक चारदीवारी मेरे रहने के क्षेत्र को उस आउटहाउस से अलग करती है. मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूं कि काश मीडिया ने मुझ पर अभियोग लगाने और प्रेस में बदनाम होने से पहले कुछ जांच की होती.
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस की रिपोर्ट और जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब. इन सब की आंतरिक जांच के लिए CJI संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है.
Justice Yashwant Varma के 'कॉल रिकॉर्ड्स'ख़बरें हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से इस संबंध में संपर्क किया है. इस दौरान कोर्ट की तरफ़ से पुलिस से जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों और उनके कॉल रिकॉर्ड के बारे में डिटेल्ड जानकारी मांगी है. इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीके उपाध्याय के ऑफ़िस से एक लेटर दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को मिला है. इसमें ये सारी जानकारियां मांगी गई हैं.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ क्या महाभियोग चलाया जा सकता है?

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