सोनम वांगचुक की पत्नी की याचिका पर SC ने केंद्र को भेजा नोटिस, गिरफ्तारी को दी है चुनौती
गीतांजलि अंग्मो ने आर्टिकल 32 के तहत हैबियस कॉर्पस याचिका दायर करते हुए सोनम की रिहाई की मांग की थी. उन्होंने आर्टिकल 22 के तहत सोनम की गिरफ्तारी को ‘अवैध’ बताते हुए उसे चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि सोनम को हिरासत में लेने का कोई आधार नहीं बताया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल एक्टिविस्ट Sonam Wangchuk को हिरासत में लेने के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. वांगचुक की पत्नी Gitanjali Angmo ने उन्हें NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार समेत लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश और जोधपुर सेंट्रल जेल को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार गीतांजलि अंग्मो ने आर्टिकल 32 के तहत हैबियस कॉर्पस याचिका दायर करते हुए सोनम की रिहाई की मांग की थी. उन्होंने आर्टिकल 22 के तहत सोनम की गिरफ्तारी को ‘अवैध’ बताते हुए उसे चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि सोनम को हिरासत में लेने का कोई आधार नहीं बताया गया.
गीतांजलि अंग्मो की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि हिरासत सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के ग्राउंड्स बताए जाने चाहिए. इस पर केंद्र सरकार की ओर से जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वांगचुक पर जिन आधारों के तहत कार्रवाई हुई उनकी ‘कॉपी दे दी गई’ है. हालांकि तुषार मेहता ने ये भी कहा कि ये कॉपी वांगचुक की पत्नी को देने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है.
हालांकि, कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा कि अदालत को हिरासत का आधार बताने के लिए एक अंतरिम आदेश देना चाहिए. इस पर जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि इस समय वह कोई आदेश नहीं देंगे. जस्टिस अरविंद ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि याचिकाकर्ता को हिरासत के ग्राउंड्स की कॉपी देने में क्या दिक्कत है. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने दोबारा कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति की पत्नी को आधार बताने का कोई कानूनी आदेश नहीं है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि जब तक हिरासत के ग्राउंड्स की कॉपी नहीं दी जाती, तब तक वे उसके आदेश को चुनौती नहीं दे सकते. सिब्बल ने सोनम वांगचुक की तबीयत और इलाज का हवाला देते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने की भी मांग की. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि जब उन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए भेजा गया तो उन्होंने कहा था कि वह कोई दवा नहीं ले रहे हैं. एसजी ने साफ किया कि अगर किसी मेडिकल सप्लाई की जरूरत होगी तो उसे पूरा किया जाएगा.
वहीं जब कपिल सिब्बल ने सोनम वांगचुक की पत्नी को उनसे मिलने की अनुमति देने का अनुरोध किया तो जस्टिस अरविंद ने पूछा कि क्या उन्होंने पहले इसकी कोई अनुमति मांगी है. सिब्बल ने इससे इनकार किया तो जस्टिस अरविंद ने कहा कि ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता, पहले अनुमति मांगी जाए और अगर इससे मना कर दिया जाता है तो फिर अदालत का रुख करें.
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता सिर्फ प्रचार के लिए एक भावनात्मक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं कि बंदी (सोनम वांगचुक) को मेडिकल सहायता और उनकी पत्नी से मिलने से वंचित रखा गया है. सुनवाई के दौरान, जस्टिस अरविंद ने यह भी पूछा कि याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका क्यों नहीं दायर की. इस पर सिब्बल ने कहा कि हिरासत का आदेश केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया था, ऐसे में किस हाई कोर्ट में जा सकते थे.
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26 सितंबर को किया गया था डिटेन
सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था. 24 सितंबर को लद्दाख में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई थी. उनके नेतृत्व में लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग के समर्थन में काफी समय से प्रोटेस्ट किया जा रहा था. 24 सितंबर को ये प्रदर्शन हिंसक हो गया. सोनम वांगचुक पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया गया था. लद्दाख पुलिस के महानिदेशक ने यह दावा भी किया था कि वांगचुक पाकिस्तान एजेंट के संपर्क में थे. वहीं, गृह मंत्रालय ने उनके NGO का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया था. उनके खिलाफ CBI जांच भी चल रही है. फिलहाल उन्हें राजस्थान की जोधपुर जेल में शिफ्ट किया गया है.
वीडियो: जोधपुर जेल से एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने मैसेज जारी कर क्या कहा?