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ट्रेन की भीड़ में पति की जान गई, 23 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी को ब्याज समेत मुआवजा दिलाया

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को निर्देश दिया था कि वो दो महीने के अंदर विधवा को 4 लाख रुपये का मुआवजा दे. साथ ही याचिका दायर करने की तारीख से 6 फीसदी सालाना ब्याज भी देने का आदेश दिया.

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Supreme Court Ensures Widow Gets Compensation From Railways After 23 Years
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल और पटना हाई कोर्ट के तर्कों को खारिज कर दिया था. (फोटो- PTI)
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प्रशांत सिंह
22 अक्तूबर 2025 (Published: 12:02 AM IST)
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कल्पना कीजिए, एक आम आदमी वैलिड टिकट लेकर ट्रेन में चढ़ा. लेकिन भीड़ की चपेट में आकर पटरी पर गिर गया और उसकी मौत हो गई. ओवरक्राउडिंग ने उसके परिवार के लिए सब कुछ छीन लिया. पीछे छूट गई पत्नी. जो आज 23 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे से न्याय की किरण पकड़कर लौटी हैं. कोर्ट ने भारतीय रेलवे को फटकार लगाते हुए कहा कि वो महिला को 4 लाख का मुआवजा दे. वो भी 6 फीसदी ब्याज के साथ.

दरअसल, 21 मार्च 2002 के दिन विजय सिंह भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस में सफर करने जा रहे थे. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक भटियारपुर स्टेशन पर उन्होंने टिकट लिया. लेकिन ओवरक्राउडिंग की वजह से वो ट्रेन पर नहीं चढ़ पाए. वो ट्रेन के कोच से गिर गए, और उनकी मौत हो गई.

इसके बाद उनकी पत्नी सैयनोकता देवी ने मुआवजे के लिए काफी संघर्ष किया. पति की मौत के सदमे में डूबीं, फिर रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल पहुंचीं. दावा ठुकरा दिया गया. वजह? निचली अदालतों ने कहा, विजय सिंह 'मानसिक रूप से अस्वस्थ' थे. पटना हाईकोर्ट ने भी भी यही कहा. इसके बाद थकी हारी सैयनोकता साल सुप्रीम कोर्ट पहुंची.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल और पटना हाई कोर्ट के तर्कों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने उनके आदेशों को "पूरी तरह से बेतुका", "काल्पनिक" और "रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों के विपरीत" बताते हुए रद्द कर दिया था. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा,

“अगर मृतक मानसिक रूप से अस्वस्थ होता, तो उसके लिए पटना जाने के लिए वैध रेलवे टिकट खरीदना और अकेले ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करना लगभग नामुमकिन होता.”

सही पता नहीं मिला

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को निर्देश दिया था कि वो दो महीने के अंदर विधवा को 4 लाख रुपये का मुआवजा दे. साथ ही याचिका दायर करने की तारीख से 6 फीसदी सालाना ब्याज भी दे. लेकिन दुर्भाग्यवश, उसके स्थानीय वकील की मौत हो जाने के कारण वो कोर्ट का आदेश उसे बता नहीं सके. दूसरी ओर, रेलवे ने आदेश का पालन करने की कोशिश की और देवी को कई पत्र लिखे. लेकिन सही पता न होने के कारण उनसे कोई जवाब नहीं मिला.

मुआवजा और ब्याज देने में असमर्थ रेलवे ने 2 फरवरी, 2023 के आदेश का पालन करने में अपनी असमर्थता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पटना हाई कोर्ट को 21 मार्च को सूचित किया गया कि मुआवजे की राशि पहले ही स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन महिला ने अभी तक अपनी बैंक डिटेल्स नहीं दी हैं. जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने बताया कि महिला अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण, उस जगह से अलग जगह रही है.

कोर्ट ने महिला का पता लगाने के लिए कहा

महिला को मुआवजा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में पूर्वी रेलवे के प्रिंसिपल चीफ कमर्शियल मैनेजर को एक निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि वो महिला के इलाके में दो प्रमुख समाचार पत्रों (अंग्रेजी और हिंदी) में सार्वजनिक नोटिस जारी करें. नोटिस में ये साफ करें कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके दावे को स्वीकार कर लिया है और वो जरूरी डॉक्यूमेंट्स दिखा कर मुआवजा ले सकती हैं. बशर्ते उनके वकील द्वारा आगे की सत्यापन प्रक्रिया पूरी की जाए. मामले में कोर्ट ने नालंदा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) और बख्तियारपुर पुलिस स्टेशन के SHO को महिला के ठिकाने को ढूंढने के लिए भी लगाया था.

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने Surrogacy Law पर सरकार को क्यों लगाई फटकार?

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