The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Supreme Court asked dig Sanjeev tyagi to give voice sample over communal audio clip case

मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक ऑडियो, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के DIG से कहा- 'सैंपल जमा कराओ'

उत्तर प्रदेश के बस्ती के पुलिस अधिकारी संजीव त्यागी को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि वो अपनी आवाज का सैंपल फॉरेन्सिक जांच के लिए दें. उन पर मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहने का आरोप है.

Advertisement
supreme court on DIG Sanjeev tyagi
संजीव त्यागी से सुप्रीम कोर्ट ने वॉइस सैंपल देने को कहा है (X)
pic
राघवेंद्र शुक्ला
9 दिसंबर 2025 (Updated: 9 दिसंबर 2025, 10:57 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के बस्ती के DIG संजीव त्यागी से कहा है कि वह फॉरेन्सिक जांच के लिए अपनी आवाज का सैंपल जमा कराएं. इस सैंपल से यह जांच की जाएगी कि 2020 में वायरल एक ऑडियो में उन्हीं की आवाज है या नहीं. इस ऑडियो में मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही गई थीं. देहरादून के रहने वाले 73 साल के इस्लामुद्दीन अंसारी ने जब वायरल ऑडियो क्लिप भेजकर DIG त्यागी से पूछा था कि क्या यह उनकी आवाज है? तो इसके बाद कथित तौर पर उन पर मुकदमे लाद दिए गए. अब सुप्रीम कोर्ट ने अंसारी के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे भी वापस लेने का आदेेश दिया है.  

पूरा विवाद क्या है?

ये पूरा विवाद 2020 का है, जब देश और दुनिया में कोरोना महामारी फैली थी. उस समय संजीव त्यागी बिजनौर के एसपी थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, देहरादून निवासी इस्लामुद्दीन अंसारी ने त्यागी को एक ऑडियो फाइल भेजी, जिसमें मुसलमानों के खिलाफ काफी आपत्तिजनक बातें थीं. ऑडियो क्लिप भेजकर अंसारी ने संजीव त्यागी से पूछा था कि क्या ये उनकी आवाज है? उन्हें इस पर कोई जवाब नहीं मिला. लेकिन, 29 मार्च 2020 को बिजनौर के कोतवाली शहर थाने में ऑडियो क्लिप के खिलाफ FIR दर्ज करा दी गई. ये FIR ‘अज्ञात’ के खिलाफ दर्ज की गई थी. 

आरोप था कि ऑडियो के जरिए ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है, जिससे सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है. इसमें IPC की धारा 505 (जनता में डर और अशांति फैलाने वाला बयान) और IT एक्ट की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री भेजना) लगाई गई. FIR में इस्लामुद्दीन अंसारी का मोबाइल नंबर दिया गया खा और यह भी लिखा गया था कि इस मोबाइल धारक पर तुरंत कार्रवाई जरूरी है. नहीं तो मुस्लिम समुदाय में गलत भावनाओं से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है.

अंसारी ने आरोप लगाया कि ठीक उसी दिन पुलिस देहरादून में उनके घर में जबरन घुस गई और उन्हें जबरदस्ती बिजनौर ले जाया गया. तकरीबन 5 घंटे तक पूछताछ हुई और उनका मोबाइल और पर्स जब्त कर लिया गया.

अंसारी को बना दिया आरोपी

7 जुलाई 2020 को दाखिल चार्जशीट में अंसारी को आरोपी बना दिया गया. कहा गया कि अंसारी ने मुस्लिम समुदाय में धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले मैसेज भेजे. 30 सितंबर 2021 को अदालत ने इस केस का संज्ञान भी लिया और अंसारी को समन जारी कर दिया. अंसारी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए और केस रद्द करने की मांग की. 13 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी. फिर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

सुप्रीम कोर्ट में अंसारी के वकीलों ने कहा कि उनके खिलाफ केस सिर्फ उन्हें परेशान करने के लिए दर्ज किया गया है. उन्होंने ये सब सिर्फ इसलिए झेला क्योंकि उन्होंने एक पुलिस अधिकारी से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दिए गए बयान पर सवाल उठाया था. अंसारी ने यह भी बताया कि उन्होंने वह ऑडियो क्लिप सिर्फ एसपी को भेजी थी. उसे कहीं और वायरल नहीं किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस एक्शन पर सवाल उठाए

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और के. विनोद चंद्रन की बेंच ने अंसारी के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को पूरी तरह से शक्ति का दुरुपयोग और अदालत की प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल बताया. कोर्ट ने साफ कहा कि अगर आगे किसी भी अधिकारी ने अंसारी को परेशान करने या उस पर दबाव बनाने की कोशिश की तो अंसारी सीधे इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

कोर्ट ने आदेश दिया कि संजीव त्यागी की आवाज का सैंपल लिया जाए और उस ऑडियो क्लिप से मिलान कराया जाए जो अंसारी ने उन्हें भेजी थी. सैंपल की जांच तेलंगाना की फॉरेंसिक लैब (FSL) हैदराबाद में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अंसारी को भी आदेश दिया कि वह 3 हफ्ते के भीतर वही ऑडियो क्लिप या लिंक FSL को उपलब्ध कराएं, जो उन्होंने त्यागी को भेजी थी. कोर्ट ने तेलंगाना की FSL के डायरेक्टर को अपनी निगरानी में जांच कराने और रिपोर्ट 31 जनवरी 2026 तक सीलबंद लिफाफे में अदालत को भेजने का निर्देश दिया है.

मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी 2026 को होगी.

वीडियो: राजधानी: मीटिंग राहुल-प्रियंका की पर अखिलेश क्यों इतने छाए रहे?

Advertisement

Advertisement

()