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रोहिंग्याओं की 'अवैध' वापसी के खिलाफ याचिका आई, SC बोला- 'हम क्या इनका स्वागत करते हैं?'

Supreme Court Rohingyas plea: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. जिसमें कहा गया कि किसी रोहिंग्या को अगर उनके देश वापस भेजा जाए, तो सिर्फ पूरी कानूनी प्रक्रिया के साथ.

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Supreme Court Rohingyas plea
भारत आए रोहिंग्या मुसलमानों की पुरानी तस्वीर. (इंडिया टुडे)
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रितिका
2 दिसंबर 2025 (Updated: 2 दिसंबर 2025, 08:10 PM IST)
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"आप अवैध रूप से बाड़बंदी वाली सीमा पार कर, सुरंग खोदकर भारत आते हैं. फिर आप कहते हैं कि जब हम देश में आ चुके हैं, तो आपके कानून मुझ पर लागू होने चाहिए. अगर कोई घुसपैठिया हमारे देश आता है, तो क्या हम उनका स्वागत करेंगे? उन्हें कहेंगे कि हम उन्हें सभी सुविधाएं देना चाहते हैं?"

सुप्रीम कोर्ट ने 2 दिसंबर को रोहिंग्या लोगों के लापता होने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस याचिका में मांग की गई थी कि रोहिंग्या को अगर वापस भेजना है, तो पूरी कानूनी प्रक्रिया के साथ ऐसा किया जाना चाहिए. CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही है. बेंच ने सवाल उठाया कि भारत में अवैध रूप से आने वाले घुसपैठिए कैसे मांग कर सकते हैं कि उन्हें निष्कासित करने के लिए लीगल प्रोसेस फॉलो करना चाहिए.

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि पांच रोहिंग्या लोगों को एक लीगल प्रोसेस फॉलो किए बिना डिपोर्ट कर दिया गया है. इस पर CJI सूर्यकांत ने पूछा, "आप अवैध रूप से बाड़बंदी वाली सीमा पार करते हैं, सुरंग खोदते हैं और भारत में प्रवेश करते हैं. फिर कहते हैं कि 'अब जब मैं आ चुका हूं, तो आपके कानून मुझ पर लागू होने चाहिए, मुझे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए, मुझे खाना उपलब्ध कराना चाहिए. मुझे शेल्टर देना चाहिए. मेरे बच्चों को ये-वो अधिकार हैं.' क्या हम कानून को इस तरह से खींचना चाहते हैं?"

इस पर वकील ने कहा कि उनकी क्लाइंट निर्वासन का विरोध नहीं कर रही हैं. लेकिन उनका कहना है कि इसे एक प्रक्रिया के साथ किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रोहिंग्या लोग बेशक दिल्ली पुलिस की हिरासत में थे. लेकिन उसके बाद उनका कोई अता-पता नहीं चला. ये मामला 'हिरासत में गायब होने' का है.

इस पर पीठ ने पूछा कि क्या भारत सरकार ने उन्हें शरणार्थी का दर्जा दिया है. शरणार्थी एक सुपरिभाषित कानूनी शब्द है. पीठ ने आगे सवाल किया, "अगर कोई घुसपैठिया आता है, तो क्या हम उनका रेड कार्पेट से स्वागत करे, यह कहते हुए कि हम उन्हें सभी सुविधाएं देना चाहते हैं?"

इसके जवाब में वकील ने कहा, “बिल्कुल नहीं.”

लेकिन जब वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता बस ये ही चाहती हैं, इतने में CJI सूर्यकांत ने वकील की बात काटते हुए कहा, “यह वो नहीं है, जो आप कह रहे हैं. आप उन्हें वापस लाने के लिए हेबियस (कॉर्पस) याचिका की बात कर रहे हैं.”

CJI सूर्यकांत ने आगे कहा कि वह जो मांग कर रही हैं, उससे लॉजिस्टिक समस्याएं पैदा होंगी. अगर ये एक देश के समूह के लिए किया जाता है, तो दूसरे देश के दूसरे ग्रुप के लोग भी इसी तरह की अप्रोच की मांग करेंगे.

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