The Lallantop
Advertisement

'पैसे लेते पकड़ना काफी नहीं, रिश्वत मांगी ये साबित होना चाहिए', '2 रुपये' के केस में SC का अहम फैसला

यह मामला 9 दिसंबर 2003 का है. शिकायतकर्ता दिल्ली के जनकपुरी स्थित सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में 10 रुपये का स्टांप पेपर खरीदने गया था. आरोप है कि लाइसेंस प्राप्त स्टांप पेपर विक्रेता (आरोपी) ने 10 रुपये के स्टांप पेपर के लिए 12 रुपये मांगे. शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) में इसकी शिकायत दर्ज कराई.

Advertisement
Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार का आरोप खारिज किया. (Supreme Court)
pic
मौ. जिशान
5 मई 2025 (Published: 12:02 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ रकम बरामद होने से यह साबित नहीं हो जाता कि भ्रष्टाचार हुआ है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप को साबित करने के लिए रिश्वत की मांग और स्वीकृति को साबित करना भी जरूरी है. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत और हाई कोर्ट के फैसलों को पलट दिया.

दी हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ पैसे की बरामदगी से यह मान लेना गलत है कि रिश्वत ली गई थी. कोर्ट ने इस मामले में आरोपी को बरी करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता रिश्वत की मांग को साबित करने में नाकाम रहा.

यह मामला 9 दिसंबर 2003 का है. शिकायतकर्ता दिल्ली के जनकपुरी स्थित सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में 10 रुपये का स्टांप पेपर खरीदने गया था. आरोप है कि लाइसेंस प्राप्त स्टांप पेपर विक्रेता (आरोपी) ने 10 रुपये के स्टांप पेपर के लिए 12 रुपये मांगे. शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) में इसकी शिकायत दर्ज कराई.    

ACB ने जाल बिछाया. शिकायतकर्ता को 10 रुपये और 2 रुपये के दो नोट दिए गए, जिन पर फेनोल्फथेलिन पाउडर (Phenolphthalein Powder) लगाया गया था. शिकायतकर्ता ने जब आरोपी को ये 12 रुपये दिए, तो उसने ले लिए. इशारा मिलते ही छापेमारी टीम ने आरोपी को पकड़ लिया. आरोपी के हाथ धोने पर सोल्यूशन गुलाबी हो गया और नोट स्टांप पेपर के रिकॉर्ड रखने वाले रजिस्टर से बरामद हुए.    

इस मामले में स्पेशल जज ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act), 1988 की धारा 7 और धारा 13(1)(d) के तहत दोषी पाया और उसे जेल और जुर्माने की सजा सुनाई. दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा.

बाद में आरोपी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील की. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि भ्रष्टाचार के आरोप को साबित करने के लिए रिश्वत की मांग का सबूत जरूरी है.

कोर्ट ने आदेश में कहा,

हम जानते हैं कि सिर्फ दो करेंसी नोट बरामद हुए थे, और दोनों पर फिनोलफथेलिन पाउडर लगा हुआ था. अगर शिकायतकर्ता की बात को सही भी मान लिया जाए, तो भी ये बात साफ है कि अपील करने वाला व्यक्ति (आरोपी) 10 रुपये के स्टांप पेपर के बदले कानूनी तौर पर 10 रुपये लेने का हकदार था, भले ही रिश्वत की कोई मांग की गई हो. अब चूंकि 10 रुपये वाला नोट भी पाउडर से सना हुआ था, तो यह कहना मुश्किल है कि 10 रुपये के नोट को छूने से घोल का रंग बदला या 2 रुपये के नोट को छूने से घोल का रंग बदला. इसलिए सिर्फ यह देख कर कि घोल गुलाबी हो गया, यह तय नहीं किया जा सकता कि रिश्वत ली गई थी.

आरोपी ने कोर्ट में यह भी दावा किया था कि स्टांप पेपर विक्रेता है, ना कि एक लोक सेवक (सरकारी नौकर). भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत लोक सेवक पर केस चलाया जाता है. कोर्ट ने कहा कि स्टांप पेपर बेचना एक लोक सेवा है, और आरोपी को (स्टांप पेपर बेचने पर) 'सरकार से फीस या कमीशन के जरिए मेहनताना' दिया जाता है. इसलिए वो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 'लोक सेवक' है. हालांकि, रिश्वत की मांग और रिश्वत को स्वीकृति साबित ना होने पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी भी कर दिया.

वीडियो: एजाज खान पर अश्लीलता के बाद रेप का आरोप, FIR दर्ज

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement