The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Sonia Gandhi name in voter list before citizenship of india Delhi court issue notice

सोनिया गांधी ने नागरिकता से पहले ही वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाया? दिल्ली की कोर्ट ने मांगा जवाब

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने Sonia Gandhi के खिलाफ केस दर्ज करने की याचिका पर खारिज हो गई थी. पर हाई कोर्ट ने सोनिया गांधी को जवाब तलब किया.

Advertisement
Sonia Gandhi Photo, Sonia Gandhi, Sonia Gandhi citizenship, Sonia Gandhi voter list,
सोनिया गांधी पर भारत की नागरिक बनने से पहले वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने का आरोप है. (PTI)
pic
सृष्टि ओझा
font-size
Small
Medium
Large
9 दिसंबर 2025 (Published: 10:29 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

कांग्रेस की सीनियर नेता सोनिया गांधी की नागरिकता से पहले वोटर बनने पर फिर कोर्ट-कचहरी शुरू हो गई है. दिल्ली की एक कोर्ट ने इस मामले में सोनिया गांधी से जवाब मांगा है. इससे पहले एक निचली अदालत ने इसी आरोप में सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की याचिका खारिज कर दी थी. इसे राउज एवेन्यू कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर कोर्ट ने सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है.

विकास त्रिपाठी नामक शख्स ने सोनिया गांधी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी ने नागरिकता लेने से तीन साल पहले भारत की वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया. त्रिपाठी का आरोप है कि सोनिया गांधी जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके भारत की मतदाता बनी थीं.

इसके लिए उन्होंने एक मजिस्ट्रेट कोर्ट में सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की थी. लेकिन निचली अदालत ने को उनकी याचिका खारिज कर दी. 11 सितंबर को आए निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उन्होंने राउज एवेन्यू कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

इंडिया टुडे से जुड़ीं सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेशल जज विशाल गोगने ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दर्ज याचिका पर नोटिस जारी किए. ये नोटिस सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को जारी किए गए हैं. विकास त्रिपाठी की तरफ से सीनियर वकील पवन नारंग पेश हुए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी.

याचिकाकर्ता ने शिकायत दी कि 1980 में सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में जुड़ा, जबकि उन्होंने अप्रैल 1983 में भारत की नागरिकता मिली थी. आरोप है कि गांधी का नाम 1982 में वोटर लिस्ट से डिलीट हुआ, लेकिन 1983 में फिर से जुड़ गया.

एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (ACMM) वैभव चौरसिया ने 11 सितंबर को त्रिपाठी की अर्जी खारिज कर दी थी. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता ने गांधी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला बनाने की कोशिश की है. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था कि लेकिन कथित अपराधों को बनाने के लिए जरूरी बुनियादी चीजों की कमी है.

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आगे कहा था कि जरूरी जानकारी दिए बिना और बगैर सबूतों के दावे मामले बनाने का कारण नहीं बन सकते. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आगे कहा कि त्रिपाठी सिर्फ इलेक्टोरल रोल के एक हिस्से पर भरोसा कर रहे हैं, जो साल 1980 के अनसर्टिफाइड इलेक्टोरल रोल के कथित हिस्से की फोटोकॉपी की फोटोकॉपी है.

मजिस्ट्रियल कोर्ट ने कहा था,

"असल में ऐसा तरीका एक सिविल या आम झगड़े को क्रिमिनलिटी की आड़ में पेश करके, सिर्फ एक ऐसा न्यायाधिकार क्षेत्र बनाने के लिए कानून के प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल है, जहां कोई न्यायाधिकार क्षेत्र नहीं है."

ACMM वैभव चौरसिया ने कहा था कि वोटर लिस्ट में शामिल या बाहर करने की याग्यता तय करना पूरी तरह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र का मामला है.

वीडियो: संसद में प्रियंका गांधी ने 'वंदे मातरम' विवाद के दौरान पीएम मोदी पर कसा तंज़, उनके बयान पर ठहाके क्यों लगे?

Advertisement

Advertisement

()