माता-पिता की उम्र में 50 साल का अंतर, बंगाल की वोटर लिस्ट की ये गड़बड़ियां सुन हंसी आ जाएगी!
85,01,486 मामलों में मतदाताओं के पिता का नाम गलत हैं या मेल नहीं खाता.

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण में कई गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं. खासकर 2002 की मतदाता सूची के आधार पर नए मतदाताओं की पहचान, उनकी पारिवारिक जानकारी और मिलान में गड़बड़ियां उजार हुई हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने चुनाव आयोग के आंकड़ों के हवाले से लिखा 85,01,486 मामलों में मतदाताओं के पिता का नाम गलत या मेल नहीं खाता, जो कुल मतदाताओं का लगभग 11.09% है. इसके अलावा 24,21,133 मतदाता ऐसे दर्ज हैं जिनके छह से अधिक बच्चे बताए गए हैं और माता-पिता की उम्र की जानकारी में भी कई असंगतियां पाई गई हैं.
लगभग 13 लाख मामलों में मतदाता और उसके माता-पिता के बीच उम्र का अंतर 15 वर्ष से भी कम है, जबकि 8,77,736 मामलों में यह अंतर 50 वर्ष से ज़्यादा है. जाहिर यह व्यावहारिक नहीं है. विस्तारित परिवार की उम्र से जुड़े रिकॉर्ड में भी गड़बड़ियां मिली हैं 3,29,152 मामलों में दादा-दादी/नाना-नानी के साथ उम्र का अंतर सिर्फ 40 वर्ष से कम दिखाया गया है.
कुल 58,08,232 एन्यूमरेशन फॉर्म ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) ऐप पर अपलोड ही नहीं किए गए थे. इनमें 24,18,699 मृत मतदाता, 12,01,462 ऐसे मतदाता जो मिल नहीं रहे हैं, 19,93,087 स्थायी रूप से दूसरे राज्य में बस गए, 1,37,475 ऐसे जिनके नाम कई जगह दर्ज हैं और 57,509 अन्य श्रेणियों में शामिल हैं.
इसके अलावा 20,74,256 ऐसे मतदाता पाए गए हैं जो 45 वर्ष से अधिक उम्र के हैं लेकिन पहली बार मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवा रहे हैं. लिंग से संबंधित आंकड़ों में भी गड़बड़ियां मिलीं. 13,46,918 मामलों में जेंडर गलत दर्ज था. बताया जा रहा है कि इन सभी रिकॉर्ड्स का सर्वे या आगे विश्लेषण किया जाएगा और फिर तय होगा कि किन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा. उन्होंने कहा, “हमने पहले ही विश्लेषण शुरू कर दिया है.”
इन्हीं वजहों से चुनाव आयोग ने सभी फॉर्म्स की विस्तृत जांच और उन मतदाताओं की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है जिन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस ने यह जानकारी चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट की है.
2025 की पश्चिम बंगाल मतदाता सूची के अनुसार राज्य में कुल 7.66 करोड़ मतदाता हैं. इनमें से 58 लाख फॉर्म एकत्र ही नहीं किए गए थे और लगभग 30 लाख मतदाताओं की कोई मैपिंग नहीं है.
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