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बंगाल में SIR शुरू होने पर क्यों डरी हुई हैं सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स?

SIR in West Bengal: सोनागाछी क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 7,000 सदस्य हैं. इनमें से कई भारतीय नागरिक हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी हैं, जो नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से आई हैं. कई महिलाओं का उनके घरों से अब कोई संपर्क नहीं रहा हैं और न ही उनके पास पारिवार का कोई रिकॉर्ड या फिर एड्रेस का प्रूफ है.

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SIR begins in Bengal know why sex workers of Sonagachi are worried over this
प्रतीकात्मक तस्वीर. (Photo: ITG/File)
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राजेश साहा
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7 नवंबर 2025 (Published: 02:29 PM IST)
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पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण, SIR की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इससे एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट इलाके सोनागाछी में सेक्स वर्कर्स के बीच चिंता बढ़ गई है. उन्हें डर है कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है या फिर वह किसी और तरह के खतरे में पड़ सकती हैं. उन्होंने लंबे समय तक अपने चुनावी अधिकारों के लिए संघर्ष किया है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक बूथ लेवल के अधिकारियों, BLO ने सोनागाछी में घर-घर जाकर गणना फॉर्म बांटना शुरू कर दिया है. बताया गया है कि इस रेड-लाइट इलाके की ज्यादातर सेक्स वर्कर्स कई सालों पहले काम की तलाश में अपना घर छोड़कर यहां रहने आईं थीं. इनमें से ज्यादातर के पास SIR के लिए मांगे गए जरूरी डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं. कई महिलाओं का उनके घरों से अब कोई संपर्क नहीं रहा हैं और न ही उनके पास पारिवार का कोई रिकॉर्ड या फिर एड्रेस का प्रूफ है. ऐसे में वह अपनी कानूनी स्थिति को लेकर अनिश्चित हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर सेक्स वर्कर्स का अब अपने माता-पिता और परिवार से कोई संपर्क नहीं है. इसलिए, वह अपने माता-पिता की डिटेल्स भी नहीं दे पाएंगीं.

NGO और संगठनों ने की अपील

ऐसे में कुछ गैर सरकारी NGO और संगठन उनकी मदद के लिए आगे आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दरबार महिला समन्वय समिति और ऑल इंडिया सेक्स वर्कर्स नेटवर्क जैसे संगठनों ने चुनाव आयोग के सामने इस मुद्दे को उठाने का फैसला किया है. उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की है कि सेक्स वर्कर्स के वोट देने का अधिकार छीने न जाएं. संगठनों का कहना है कि 2002 के बाद कई सेक्स वर्कर्स को वोट डालने का अधिकार मिला. उनके वोटर कार्ड बनाए गए, लेकिन प्रवासी बैकग्राउंड होने के कारण कई लोगों को लिस्ट में शामिल नहीं किया गया. कुछ वर्कर्स बाद में रेड-लाइट एरिया में पहुंचीं, लेकिन 2002 की लिस्ट में उनका नाम ही नहीं था. कुछ ने बहुत कम उम्र में घर छोड़ा था और उनके पास माता-पिता का कोई रिकॉर्ड भी नहीं है या उन्हें पता ही नहीं है कि उनके परिवार ने किस मतदान केंद्र का इस्तेमाल किया था. ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ़ सेक्स वर्कर की कोर कमेटी की सदस्य भारती डे ने इंडिया टुडे को बताया,

जो लोग यहां काम करने के लिए अपना गांव छोड़कर आते हैं, वे एक बार आने के बाद फिर कभी अपने घर वापस नहीं लौट पाते. इसलिए वे हमेशा के लिए यहीं रह जाते हैं. यहां काम करने वाले कई लोगों के अब पारिवारिक रिश्ते नहीं रहे. इसलिए उनके लिए घर जाकर अपने माता-पिता की मतदाता सूची लेना संभव नहीं है. दशकों से यहां रह रहे कई लोग यह सोचकर चिंतित हैं कि उन्हें सिर्फ कुछ दस्तावेजों के अभाव में यहां से जाना पड़ेगा. इसके अलावा, कई महिलाएं नेपाल से आई हैं, लेकिन लंबे समय से यहां रह रही हैं. ऐसे में उनका क्या होगा? इसलिए, हम जल्द ही इस मुद्दे को चुनाव आयोग के सामने उठाएंगे. हम सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स के लिए एक स्थायी समाधान की मांग करेंगे. क्योंकि वे भी यहां की निवासी हैं. इसलिए, उन्हें अचानक बाहर नहीं निकाला जा सकता या उनका नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटाया जा सकता. एक बार उनका नाम वोटर लिस्ट से हट गया, तो उनके बच्चों को भी भविष्य में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए, हमें एक स्थायी समाधान चाहिए.

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पड़ोसी देशों से भी आई हैं महिलाएं

रिपोर्ट में बताया गया है कि सोनागाछी क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 7,000 सदस्य हैं. इनमें से कई भारतीय नागरिक हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी हैं, जो नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से आई हैं. बताते चलें कि बंगाल में इस सप्ताह से SIR की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह चुनाव आयोग के उस अभियान का हिस्सा है, जिसमें उसने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ SIR कराने की घोषणा की थी. बंगाल के अलावा छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में यह कराया जा रहा है.

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