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दिग्विजय ने तो सिर्फ RSS की तारीफ की थी, थरूर ने तो कांग्रेस के जले पर नमक छिड़क दिया!

आरएसएस की ‘तारीफ’ करके फंसे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को शशि थरूर का साथ मिला है. थरूर ने दिग्विजय सिंह के साथ अपनी एक फोटो शेयर की है जो कांग्रेस के स्थापना दिवस कार्यक्रम की है.

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digvijay singh shashi tharur
दिग्विजय सिंह (बायें) को शशि थरूर (दायें) का साथ मिला है (india today)
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राघवेंद्र शुक्ला
28 दिसंबर 2025 (Published: 05:33 PM IST)
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तारीफ करके अपनी ही पार्टी के निशाने पर आए दिग्विजय सिंह को शशि थरूर का साथ मिला है. कांग्रेस के 140वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में थरूर दिग्विजय सिंह के बगल में बैठे दिखे. उन्होंने ये तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की. बाद में जब उनसे पूछा गया कि क्या वो दिग्विजय सिंह की बातों से सहमत हैं? तो थरूर ने कहा कि हां, मैं भी चाहता हूं कि हमारा संगठन जरा मजबूत हो और इसके लिए पार्टी में डिसिप्लीन तो होना ही चाहिए.

थरूर ने आगे कहा कि ये तो बिल्कुल लॉजिकल बात है. लेकिन ये सब सवाल आप दिग्विजय सिंह साहब से पूछिए. इस पर वही बोल सकते हैं.

दिग्विजय सिंह के साथ बैठे थरूर की उनसे क्या बातचीत हुई? ये सवाल भी उनके सामने आया तो वह बोले, 

हम (थरूर-दिग्विजय) दोस्त हैं और बातचीत करना स्वाभाविक है. संगठन को मजबूत करना होगा. इसमें कोई संदेह नहीं है.

हालांकि, शशि थरूर खुद पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के फैसलों की कई बार तारीफ कर अपनी ही पार्टी के लोगों का निशाना बन चुके हैं. अब वो ऐसी ही परिस्थिति के लपेटे में आए दिग्विजय सिंह के ‘हमदर्द’ बने हैं.

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दिग्विजय सिंह के साथ बैठे दिखे शशि थरूर (X)
क्या है विवाद

ये सारा विवाद दिग्विजय सिंह की उस सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने क्वोरा साइट से लेकर एक फोटो पोस्ट की थी. इस फोटो में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिखाई देते हैं. इस पोस्ट के साथ दिग्विजय सिंह ने लिखा, 

Quora site पर मुझे यह चित्र मिला. बहुत ही प्रभावशाली है. किस प्रकार RSS का जमीनी स्वयंसेवक और जनसंघ-भाजपा का कार्यकर्ता (नरेंद्र मोदी) नेताओं के चरणों में फर्श पर बैठकर प्रदेश का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बना. यह संगठन की शक्ति है. जय सिया राम.

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दिग्विजय सिंह की पोस्ट पर हुआ विवाद (X)

कांग्रेस के नेता के मुंह से आरएसएस की संगठनात्मक शक्ति की तारीफ से तो विवाद होना ही था. आग में घी का काम किया ‘जय सियाराम’ संबोधन ने. माना गया कि अपने ‘भाजपानिष्ठ’ बयान से दिग्विजय सिंह अपनी ही पार्टी को कुछ ‘संदेश’ देना चाहते हैं. बयान भी बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की पहली बैठक से ठीक पहले आया. हालांकि, बाद में दिग्विजय ने इस पर सफाई भी दी और कहा कि वह भाजपा और आरएसएस के कट्टर विरोधी हैं. अपने एक बयान में उन्होंने ये भी कहा कि ‘गोडसे जैसे हत्यारों से हमें कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है.’

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