पाकिस्तानी फाइटर जेट में रूसी इंजन? एक्सपर्ट बोले- इससे फायदा भारत को होगा!
रूस ने उन रिपोर्ट्स को खारिज किया है जिनमें कहा गया था कि वह China द्वारा Pakistan को दिए जा रहे JF-17 Fighter Jets के लिए RD-93 Jet Engine देने वाला है. रूस ने ऐसी रिपोर्ट्स को शरारतपूर्ण और निराधार बताया है.

भारत और रूस की दोस्ती किसी परिचय की मोहताज नहीं है. खासकर रक्षा क्षेत्र में देखें तो भारत और रूस हमेशा से सहयोगी के तौर पर ही दिखाई दिए हैं. लेकिन कुछ समय पहले रूस ने एक ऐसी कथित रक्षा डील की है जिसे लेकर भारत में सवाल उठने लगे हैं. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने 4 अक्टूबर को सवाल उठाया कि रूस आखिर पाकिस्तान को RD-93MA फाइटर जेट (Russia Pakistan Jet Engine Deal) इंजन क्यों बेच रहा है? ये वही इंजन है जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के चीनी फाइटर जेट JF-17 (JF-17 Thunder) में होता है. विपक्ष ने सरकार की डिप्लोमेसी फेल होने का आरोप लगाया. इन सबके बीच रूसी रक्षा एक्सपर्ट ने इस संभावित डील को लेकर कुछ बातें कही हैं. उन्होंने कहा है कि अगर रूस ये RD-93 इंजन पाकिस्तान को देता भी है, तो इससे भारत को फायदा ही होगा. तो समझते हैं, क्या कहा है रूसी एक्सपर्ट ने.
रूस की राजधानी मॉस्को स्थित प्राइमाकोव इंस्टिट्यूट में New Challenges in South and Southeast Asia सेक्शन के प्रमुख प्योतर तोपीचकानोव (Pyotr Topychkanov) ने इस कथित डील पर एक बयान जारी किया है. उन्होंने कहा
मुझे नहीं लगता कि ये आलोचना किसी तरह से सही है. लेकिन अगर रूस द्वारा JF-17 के लिए इंजन उपलब्ध कराने की खबरें सही हैं, तो इससे भारत को दो तरह से फायदा होगा. पहला, इससे पता चलता है कि चीन और पाकिस्तान अभी तक रूसी इंजन को बदलने में कामयाब नहीं हुए हैं. दूसरा, नया विमान भारत के लिए परिचित और अनुमानित होगा. क्योंकि दोनों में एक ही इंजन लगा है और भारत ने मई 2025 (ऑपरेशन सिंदूर) के दौरान JF-17 के ऑपरेशनल इस्तेमाल को देखा है.
तोपीचकानोव ने याद दिलाया कि चीन ने रूस से अपने FC-17 जेट के लिए RD-93 इंजन की आपूर्ति के लिए अनुरोध किया था. वहीं इसके पाकिस्तान को दिए जाने की संभावना को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह के समय एनडीए और यूपीए, दोनों सरकारों द्वारा उठाया भी गया था. वहीं इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक दूसरे एक्सपर्ट, जो अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहते थे, उन्होंने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर हुई बातचीत धुंधली सी याद है. वो कहते हैं
मॉस्को ने नई दिल्ली को यह विश्वास दिलाया है कि RD-93 का सौदा विशुद्ध रूप से व्यावसायिक था, जिसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) नहीं था, जबकि भारत को ToT के तहत कहीं बेहतर RD-33 इंजनों का लाइसेंस दिया गया था.
तकनीकी रूप से देखें तो RD-93, अपने बेसिक वर्जन RD-33 की तुलना में, ज्यादा थ्रस्ट (इंजन को आगे बढ़ाने के लिए धक्का) देता है, लेकिन उसकी सर्विस लाइफ काफी कम है. RD-93 की सर्विस लाइफ मात्र 2,200 घंटे है, जबकि RD-33 का 4,000 घंटे तक है. वहीं दूसरी ओर इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट ये कहती है कि रूस ने उन रिपोर्ट्स को खारिज किया है जिनमें कहा गया था कि वह चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे JF-17 लड़ाकू विमानों के लिए इंजन देने वाला है. रूस ने ऐसी रिपोर्ट्स को शरारतपूर्ण और निराधार बताया है. सूत्रों ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि रूस और भारत के बीच यह समझौता है कि मॉस्को पाकिस्तान को कभी भी ऐसा कोई रक्षा उपकरण और हार्डवेयर नहीं देगा जो भारत के हितों विरूद्ध हो.
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