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मेधावी छात्राओं की 18 हजार स्कूटी कबाड़ हुईं, झाड़ियां उग आईं लेकिन लड़कियों को नहीं मिलीं

राजस्थान में मेधावी छात्राओं को मिलने वाली हजारों स्कूटियां कबाड़ हो गई हैं. भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार के स्कूटी वितरण योजना के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. इस कारण छात्राओं को मिलने वाली स्कूटियां खुले मैदानों में धूल फांक रही हैं.

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rajasthan Scooties for Toppers Stuck in Red Tape
धूल फांक रही हैं सैकड़ों स्कूटियां (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
2 जून 2025 (Updated: 2 जून 2025, 05:51 PM IST) कॉमेंट्स
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राजस्थान की ये कहानी सुनिए. जब यहां कांग्रेस के अशोक गहलोत की सरकार थी तब मेधावी बच्चियों को स्कूटी बांटने की योजना लाई गई थी. तकरीबन 200 से ज्यादा लड़कियों को स्कूटियां बांटी गई थीं. लेकिन तभी आचार संहिता लग गई. चुनाव हुए और अशोक गहलोत की सरकार चली गई. भजनलाल शर्मा की नई सरकार आई तो उसने गहलोत सरकार की पुरानी योजना में ‘गड़बड़ी’ बताकर स्कूटी बांटने का काम रोक दिया. लेकिन नए सत्र के लिए स्कूटियों का वितरण जारी रखा. इससे हुआ ये कि पिछली सरकार के समय की लाभार्थी लड़कियों का मामला फंस गया है. जिन्हें स्कूटी मिली, वो तो खुश हैं. जिनकी राह में आचार संहिता आ गई थी, वो अपनी किस्मत को कोस रही हैं.

हालत ये है कि पिछली सरकार की स्कीम वाली स्कूटियां गोदाम में पड़ी-पड़ी धूल खा रही हैं. उन पर झाड़ उग आई है. लड़कियां कलेक्टर से लेकर तमाम दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं लेकिन अधिकारियों से उन्हें सिर्फ एक जवाब मिलता है,

“अभी की सरकार वाली तो बांट रहे हैं. पिछली सरकार वाली के लिए सरकार से रोक है इसलिए पूछा है कि क्या करना है? जवाब के इंतजार में हैं.” 

इंडिया टुडे के शरत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, दौसा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली कोमल मीणा 2022-23 के सत्र में 86 पर्सेंट नंबर लाकर पास हुई थीं. उन्हें लगा कि मेहनत का फल मिल गया. लेकिन जैसा सोचा था वैसा हुआ नहीं. कोमल धूप में हर हफ्ते अपनी स्कूटी का पता करने आती हैं. इसके लिए उन्होंने एडवांस में जो इंश्योरेंस करवाया था, वो भी खत्म हो गया है. 

कालाखोह गांव की कोमल राजपूत को 12वीं में 88 पर्सेंट नंबर मिले थे. कोमल का कॉलेज घर से 17 किलोमीटर दूर है. वहां पहुंचने के लिए वो रोज बस और जीप का घंटों इंतजार करती हैं. अगले साल उनका कॉलेज भी खत्म हो जाएगा. अब वो स्कूटी के लिए हर 5-10 दिन में कलेक्टर दफ्तर का चक्कर लगा लेती हैं.

सबसे बुरी स्थिति आदिवासी जिले बांसवाड़ा की है. यहां एक हजार स्कूटियां जंगल में रखी हैं. दो साल में उनके बीच पौधे-झाड़ियां उग आए हैं. स्कूटियां कबाड़ हो चुकी हैं. कुछ स्कूटियां गोदाम में रखी हैं, जिन पर धूल की चादर जम गई है. कई के पहिए जमीन में धंस गए हैं.

बच्चियों का कहना है,

“सरकार बदली तो इसमें हमारा क्या दोष है? सरकार स्कूटी नहीं देगी तो हम आंदोलन करेंगे और कोर्ट जाएंगे.”

भरतपुर के सरकारी आरडी गर्ल्स कॉलेज की गैलरी में और क्सासरूम में भी स्कूटियां धूल फांक रही हैं. नोडल ऑफिसर सुजाता चौहान का कहना है कि जिन छात्राओं के लिए स्कूटी आई थी, उनके वेरिफिकेशन का काम चल रहा है.

बता दें कि राजस्थान में गहलोत सरकार और वसुंधरा सरकार के दौरान मेधावी छात्राओं के शिक्षा प्रोत्साहित के लिए अलग-अलग स्कूटी वितरण कार्यक्रम लाए गए थे. गरीब छात्राओं के लिए कालीबाई स्कूटी योजना, गुर्जर समाज की छात्राओं के लिए देवनारायण स्कूटी योजना और आदिवासी छात्राओं के लिए माडा योजना के तहत स्कूटी बांटी जाती है. 

2022-23 और 2023-24 के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 33 हजार स्कूटियां खरीदी थीं. हालांकि इनमें से सिर्फ 15 हजार स्कूटी बंटी थीं कि राज्य में चुनाव आ गए और आचार संहिता लग गई. चुनाव के बाद आई नई भाजपा सरकार ने दावा किया कि इसके टेंडर में ‘भ्रष्टाचार’ हुआ है, जिसकी जांच की जा रही है. हालांकि भजनलाल शर्मा सरकार ने 2024-25 वाली स्कूटियां बांटना शुरू कर दिया है.

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