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नौ महीने के बच्चे को गर्म सलाखों से दागा, निमोनिया का इलाज कराने ले गई थी मां

Bhilwara superstition case: इलाज के लिए बच्चे की मां उसे डॉक्टर के पास ना ले जाकर एक व्यक्ति के पास ले गई. उस व्यक्ति ने 9 महीने के मासूम के सीने पर गर्म सलाखों से निशान बनाया.

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bhilwara superstition
भीलवाड़ा जिला अस्पताल में बच्चे का PICU वॉर्ड में इलाज चल रहा है (फोटो-ITG).
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प्रमोद तिवारी
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7 नवंबर 2025 (Published: 09:34 AM IST)
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राजस्थान के भीलवाड़ा में अंधविश्वास के चलते एक नौ महीने के बच्चे की जान पर बात आ गई. निमोनिया के इलाज के नाम पर बच्चे को गर्म सलाखों से दागा. जिसके बाद बच्चे की तबीयत और बिगड़ गई और उसे फ़ौरन जिला अस्पताल ले जाया गया. बच्चा अभी अस्पताल में भर्ती है और इलाज चल रहा है. 

विस्तार से समझते हैं

मामला भीलवाड़ा जिले के एक गांव का है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक़, बच्चे की तबीयत कुछ दिनों से खराब चल रही थी और उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी. जिसके इलाज के लिए बच्चे की मां उसे डॉक्टर के पास ना ले जाकर एक व्यक्ति के पास ले गई. उस व्यक्ति ने 9 महीने के मासूम के सीने पर गर्म सलाखों से निशान बनाया. एक क्रॉस या X जैसा निशान. 

Bhilwada superstition case
बच्चे के सीने पर X या क्रॉस का निशान.

इस दर्दनाक प्रक्रिया के बाद बच्चे की हालत और बिगड़ गई. परिजनों को जब होश आया तो बच्चे को तुरंत मातृ एवं शिशु महात्मा गांधी जिला अस्पताल ले गए. बच्चे को PICU वॉर्ड में भर्ती किया गया जिसके बाद इलाज शुरू हुआ. PICU माने बच्चों का ICU वॉर्ड. जानकारी के मुताबिक़ बच्चे की हालत अब स्थिर है. 

बच्चे के मां ने क्या बताया?

महिला का नाम कोयली देवी बागरिया है. उसने कहा,

मेरा बेटा गोविंद नौ महीने का है. कुछ दिनों से उसकी तबीयत खराब चल रही थी. उसे सांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी. जिसके इलाज के लिए मैं उसे एक व्यक्ति के पास ले गई. व्यक्ति ने उपचार के लिए गर्म सलाखों का इस्तेमाल किया. जब बच्चा ठीक नहीं हुआ तो भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल आ गए. 

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डॉक्टर्स ने क्या कहा?

रिपोर्ट के मुताबिक़, डॉक्टर्स ने बताया कि बच्चे की हालत में काफी सुधार आया है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने लोगों से एक अपील भी की है. अपील ये कि अगर बच्चे को कोई भी बीमारी हो या तबीयत खराब हो तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. किसी के बहकावे में आकर झाड़ फूंक करने वालों के पास ना जाएं.

यहीं पर एक सवाल खड़ा होता है कि इतना आधुनिक होने के बाद भी अब भी कुछ लोग क्यों अंधविश्वास के झांसे में फंस जाते हैं? इस दुर्घटना में बच्चे की जान भी जा सकती थी.

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