यूक्रेन से जबरन जंग लड़ी, भारत लौटे तो बाढ़ ने तबाह कर दिया, सरबजीत की कहानी रुला देगी
Punjab Flood: फिलहाल सरबजीत सिंह दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहे हैं- एक तो केंद्र पर दबाव बनाना कि वो रूस से उनकी कमाई वापस दिलाए और दूसरा पंजाब में बाढ़ से प्रभावित खेतों के लिए मुआवजा दिलाए.

पंजाब के रहने वाले 45 साल वर्षीय सरबजीत सिंह के जीवन की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. बीते साल, सरबजीत को धोखे से बहलाकर रूसी सेना में भर्ती करा लिया गया, जहां यूक्रेन युद्ध के सबसे आगे के मोर्चे पर उन्हें छह महीने बिताने पड़े. फिर वो जैसे-तैसे बचकर भारत आए और पंजाब में अपनी जिंदगी फिर से संवारने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन हालिया विनाशकारी बाढ़ ने उनकी बची-खुची जमा-पूंजी भी बहा दी.
सरबजीत सिंह अमृतसर के जगदेव खुर्द गांव के रहने वाले हैं. इंडिया टुडे से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें अप्रैल, 2024 में हर महीने 90,000 रुपये सैलरी वाली कूरियर की नौकरी का वादा किया गया. फिर टूरिस्ट वीजा पर रूस ले जाया गया. सरबजीत कहते हैं,
हमने सोचा कि हम सामान चढ़ाने और उतारने के काम के लिए जा रहे हैं. रूस में हमारी मुलाकात एक प्राइवेट डेलीगेशन से हुई, जो मुझे और 17 अन्य लोगों को सेंट पीटर्सबर्ग ले गया.
हालांकि इसके बाद जो हुआ, वो सरबजीत जिंदगीभर नहीं भूलेंगे. उन्होंने बताया कि नोवोचेर्कस्क शहर में ले जाने से पहले उन्हें तीन हफ्ते की मिलिट्री ट्रेनिंग दी गई. इस दौरान उन्हें ग्रेनेड फेंकने से लेकर रूसी टैंक चलाना सिखाया गया. तभी सरबजीत को एहसास हुआ कि उन्हें यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए भेजा गया है, जो फरवरी, 2022 से चल रहा है.
इंडिया टुडे की कमलजीत कौर संधू से बातचीत में उन्होंने कहा,
हमने कई दिनों तक इसका विरोध किया. लेकिन हमें बताया गया कि हमने अग्रिम मोर्चे पर सर्विस देने के लिए एक साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. मैंने अपनी आंखों के सामने कई लोगों को मरते देखा. महाराष्ट्र के श्रीकांत की मौत मेरे सामने ही हो गई.

सरबजीत ने आगे बताया कि एक बार उन्हें 10 दिन तक बिना कुछ खाए रहना पड़ा था. उन्होंने ये भी बताया कि रूसी अधिकारियों ने उनके मोबाइल फोन भी छीन लिए थे. सरबजीत बताते हैं,
हमें तो ये भी नहीं पता था कि हमारी सैलरी अकाउंट में आई भी या नहीं. मेरे परिवार को पैसे नहीं मिले. मैं अब भी रूसी सरकार से इस मामले की पैरवी कर रहा हूं. एजेंटों ने मेरे पैसे खा लिए.
बाद में कई राजनयिक कोशिशों के बाद सरबजीत आखिरकार भारत लौट आए. सरबजीत ने कहा कि वो सिर्फ ‘भाग्य और ईश्वर की कृपा’ से ही बच पाए. हालांकि, आठ महीने बाद उन्हें एक और त्रासदी का सामना करना पड़ा, पंजाब में आई हालिया बाढ़. इस बाढ़ ने सरबजीत की बची-खुची कमाई भी बहा दी. उन्होंने कहा,
पंजाब सरकार ने ये भी नहीं पूछा कि हम जिंदा हैं या मर गए. 70 एकड़ गन्ने के खेत पानी में डूब गए हैं.

सरबजीत सिंह ने आगे बताया कि उन्हें सुरक्षित जगह पहुंचने के लिए ट्रैक्टर पर 10 किलोमीटर बाढ़ के पानी से होकर गुजरना पड़ा.
फिलहाल सरबजीत दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहे हैं- एक तो केंद्र पर दबाव बनाना कि वो रूस से उनकी कमाई वापस दिलाए और दूसरा पंजाब में बाढ़ से प्रभावित खेतों के लिए मुआवजा दिलाए.
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