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हाई कोर्ट की रिटायर्ड जज के घर से मिला था रूपयों से भरा पैकेट, आज कोर्ट ने बरी कर दिया

Justice Nirmal Yadav Bribe Case: CBI कोर्ट की स्पेशल जज अलका मलिक ने यह फैसला सुनाया है. जस्टिस निर्मल यादव के अलावा कोर्ट ने मामले में शामिल चार अन्य आरोपियों संजीव बंसल, रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी बरी कर दिया.

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पूर्व जज निर्मल यादव को CBI स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया. (तस्वीर-इंडिया टुडे)
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सचेंद्र प्रताप सिंह
29 मार्च 2025 (Updated: 29 मार्च 2025, 07:59 PM IST) कॉमेंट्स
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जज निर्मल यादव को CBI स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया. जस्टिस निर्मल यादव पर साल 2008 में 15 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगा था. निर्मल यादव के अलावा मामले में चार अन्य लोगों को भी बरी किया गया है.

इंडिया टुडे से जुड़े असीम बस्सी की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार, 29 मार्च को जस्टिस निर्मल यादव को यह राहत मिली है. CBI कोर्ट की स्पेशल जज अलका मलिक ने यह फैसला सुनाया है. जस्टिस निर्मल यादव के अलावा कोर्ट ने मामले में शामिल चार अन्य आरोपियों संजीव बंसल, रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी बरी कर दिया.

मामला 17 साल पहले साल 2008 में सामने आया था. जब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर 15 लाख रुपये से भरा एक पैकेट डिलीवर किया गया. इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. ऐसे में उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी. मामले में जस्टिस निर्मलजीत कौर के चपरासी ने चंडीगढ़ पुलिस में FIR दर्ज करवाई थी.

जांच में पता चला कि यह पैकेट न्यायमूर्ति निर्मल यादव को पहुंचना था. लेकिन नाम में समानता के कारण यह गलती से गलत पते पर चला गया. बाद में चंडीगढ़ पुलिस से जांच CBI को सौंप दी गई. साल 2009 में जस्टिस निर्मल यादव का तबादला उत्तराखंड हाई कोर्ट में कर दिया गया. CBI ने 4 मार्च 2011 को जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. 

CBI ने जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज किया था. इसके अलावा वकील संजीव बंसल को आरोपी बनाया गया. उन पर आरोप था कि उन्होंने पैसे पहुंचाए. वहीं दिल्ली के व्यापारी रविंदर सिंह पर आरोप था कि उन्होंने 15 लाख रुपये भेजे थे. राजीव गुप्ता जो संजीव बंसल के बिजनेस पार्टनर थे. उन्होंने 14 अगस्त 2008 को यादव को पैकेट पहुंचाया था. इसके अलावा निर्मल सिंह को भी आरोपी बनाया गया था. इन सभी पर IPC के तहत मामले दर्ज किए गए थे.

जस्टिस निर्मल यादव ने साल 2013 में कहा था कि उन्हें न्यायपालिका के ही कुछ सदस्यों ने साजिश के तहत फंसाया था. इस दौरान उन्होंने दावा किया था कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए. हालांकि अब CBI कोर्ट ने इस मामले में सभी को बरी कर दिया है.

 

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