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48 टनल, 142 बड़े-छोटे पुल, कुतुब मीनार से ऊंचा ब्रिज..., देश के रेल नेटवर्क से ऐसे जुड़ा मिजोरम

Bairabi-Sairang Rail Line: नई रेल लाइन से Mizoram की राजधानी Aizawl और असम के गुवाहाटी के बीच सफर का समय 16 घंटे से घटकर सिर्फ 12 घंटे हो जाएगा. इसी तरह आइजोल और सिलचर के बीच सफर 7 घंटे की जगह 3 घंटे में पूरा होगा.

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Narendra Modi, Bairabi–Sairang railway line, Mizoram, Aizawl
Bairabi–Sairang रेल लाइन का 'ब्रिज नंबर 144' 114 मीटर ऊंचा है. (X @AshwiniVaishnaw)
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मौ. जिशान
13 सितंबर 2025 (Updated: 13 सितंबर 2025, 05:56 PM IST)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 13 सितंबर को नई Bairabi-Sairang रेल लाइन का उद्घाटन किया. यह रेल लाइन मिजोरम के लोगों का लंबा सपना पूरा करने वाली है, क्योंकि इससे राजधानी आइजोल सीधे भारतीय रेलवे के नेटवर्क से जुड़ गया है. मिजोरम के लिए यह रेल लाइन बहुत अहमियत रखती है, क्योंकि इस पर ना केवल पैसेंजर ट्रेन चलेंगी, बल्कि मालगाड़ियां भी रफ्तार पकड़ेंगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, Bairabi-Sairang रेल लाइन प्रोजेक्ट को पूरा करने में कई टनल और पुल बनाए गए हैं. ये भारतीय रेलवे की मॉडर्न आर्किटेक्चर एबिलिटी को बताते हैं. दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में इस रेल लाइन में रेलवे ने काफी मेहनत की और आज नतीजा हमारे सामने है.

Bairabi-Sairang रेलवे लाइन प्रोजेक्ट में चार स्टेशन शामिल हैं- हरतकी, कावनपुई, मुअलखांग और सायरंग-सिहमुई. ये रेल प्रोजेक्ट नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) जोन के तहत आता है. नई रेल लाइन से आइजोल और गुवाहाटी के बीच सफर का समय 16 घंटे से घटकर सिर्फ 12 घंटे हो जाएगा. इसी तरह आइजोल और सिलचर के बीच का सफर भी अब 7 घंटे से घटकर सिर्फ 3 घंटे में पूरा होगा.

Bairabi-Sairang रेल लाइन की 10 बड़ी बातें
  1. रेल लाइन की लंबाई और लागत: Bairabi से Sairang तक की नई रेल लाइन 51.38 किलोमीटर लंबी है और इसे बनाने में लगभग 8,071 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
  2. रेल लाइन में कितने पुल और टनल हैं: इस रेल परियोजना में कुल 48 टनल (जिनकी लंबाई 12.8 किलोमीटर है) और 55 बड़े पुल बनाए गए हैं. इसके अलावा 87 छोटे पुल, 5 रेलवे ओवरब्रिज (ROB) और 6 रेलवे अंडरब्रिज (RUB) भी शामिल हैं.
  3. कुतुब मीनार से भी ऊंचा पुल: इस रेल लाइन का सबसे ऊंचा पुल 'ब्रिज नंबर 144' है, जो 114 मीटर ऊंचा है. यह पुल कुतुब मीनार से 42 मीटर ऊंचा है, जो इस प्रोजेक्ट की बेमिसाल इंजीनियरिंग को दिखाता है.
  4. कला और संस्कृति से सजी रेल लाइन: इस रेल लाइन के अंदर बनी टनलों में मिजो संस्कृति से प्रेरित म्यूरल्स (चित्र) बनाए गए हैं, जो आपके रेल सफर में सांस्कृतिक अनुभव जोड़ेंगे.
  5. विकास के नए मौके: इस रेल लाइन के बनने से मिजोरम में व्यापार बढ़ेगा और राज्य की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिलेगी. माल और यात्री दोनों ही रेल चलने से ट्रांसपोर्ट सस्ता और तेज हो जाएगा.
  6. टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा: इस रेल लाइन से मिजोरम की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को देखने के लिए टूरिस्ट्स की संख्या बढ़ेगी, जिससे राज्य के टूरिज्म सेक्टर को बड़ा फायदा होगा.
  7. नई नौकरी और व्यापार के अवसर: रेल लाइन के नए स्टेशनों के आसपास नए रोजगार पैदा होंगे. छोटे-छोटे उद्योगों को भी इससे बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्रीय विकास होगा.
  8. नॉर्थ-ईस्ट की रेल कनेक्टिविटी में सुधार: ये प्रोजेक्ट नॉर्थ-ईस्ट इंडिया में रेल कनेक्टिविटी को मजबूत करने में एक बड़ा कदम है. इस रीजन में आवाजाही और माल ढुलाई में तेजी आएगी और इसे पूरे भारत से जुड़ने में मदद मिलेगी.
  9. रेल से जुड़ने वाली नॉर्थ-ईस्ट की चौथी राजधानी: अब मिजोरम नॉर्थ-ईस्ट का चौथा राज्य बन गया है, जिसकी राजधानी आइजोल सीधे भारतीय रेल नेटवर्क से जुड़ गई.
  10. ट्रायल रन और आगे की रेल सर्विस: 1 मई, 2025 को इस रेल लाइन पर पहला ट्रायल रन हुआ था. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जल्द ही इस लाइन पर वंदे भारत ट्रेन चलेगी.

इन चुनौतियों का सामना किया

रिपोर्ट के मुताबिक, रेल मंत्री ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को बनाने में कई तकनीकी चुनौतियां आईं, क्योंकि यह क्षेत्र भूकंपीय जोन 5 में आता है. ऐसे में स्पेशल डिजाइन और निर्माण प्रक्रियाओं की जरूरत पड़ी. लेकिन इन सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान किया गया, जिससे यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ.

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