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1200 छात्रों वाले मदरसे पर गिराए थे बम, इस 'हिंदू-मुस्लिम दोस्ती' ने पाकिस्तान के इरादे खाक कर दिए

पुंछ में बीते हफ्ते हुए पाकिस्तान हमले के बीच इंसानियत और दोस्ती की एक मिसाल देश के सामने आई है. एक मदरसे पर मोर्टार गिरने के बाद मदरसे के मौलवी सैयद हबीब ने अपने दोस्त प्रदीप शर्मा को फोन किया. दोनों ने मिलकर छात्रों की जिंदगी बचाई.

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प्रदीप शर्मा औऱ सैयद हबीब की दोस्ती की खूब चर्चा हो रही है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
16 मई 2025 (Published: 07:29 PM IST)
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ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने भारत के आम नागरिकों को निशाना बनाने में जरा देर नहीं की थी. सीमा पर उसकी अंधाधुंध गोलाबारी ने जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में कई निर्दोष लोगों की जान ले ली. इनमें पुंछ का इलाका भी शामिल है. दहशत और तबाही के इस मंजर के बीच एक मदरसे पर भी मोर्टार गिरा था. यहां 1200 से ज्यादा बच्चे पढ़ते थे. गोलाबारी के बीच मदरसे के हेड सैयद हबीब को मुश्किल वक्त में अपने बचपन के दोस्त की याद आई. ये दोस्त थे भाजपा के नेता और पूर्व विधायक प्रदीप शर्मा.

दोस्त के फोन के बाद प्रदीप ने भी एक पल की देरी नहीं की. वह तत्काल मौके पर पहुंचे. उन्होंने घायल बच्चों को गोद में उठाकर अस्पताल पहुंचाया. मदरसे के बच्चों को बचाने के दौरान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसे देखकर इलाके के लोग प्रदीप शर्मा को ‘गार्जियन एंजल’ कहने लगे हैं.

इंडिया टुडे से जुड़ीं कमलजीत संधू की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते पाकिस्तान की ओर से भारी हुई गोलाबारी में पुंछ के एक मदरसे जामिया जिया उल उलूम पर मोर्टार गिरे थे. इसमें एक मौलवी की मौत हो गई जबकि 3 बच्चे घायल हो गए थे. बताया गया कि इस मदरसे में 1200 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं.

जब हमला हुआ तो मदरसे के प्रमुख सैयद हबीब ने तुरंत अपने बचपन के दोस्त प्रदीप शर्मा को फोन किया. सैयद ने बताया,

उस समय मैंने कुछ और नहीं सोचा. प्रदीप भाई को फोन किया. मुझे पता था कि वह आएंगे और वह आए.

प्रदीप शर्मा ने बताया कि एक मौलवी ने उनकी बाहों में दम तोड़ा. उन्होंने उसके गाल पर कपड़ा बांध दिया था, ताकि खून बहना बंद हो जाए. लेकिन लाख कोशिश के बावजूद वह उसे बचा नहीं पाए. प्रदीप ने कहा,

इसके बाद मैं तीन बच्चों को बचाने के लिए दौड़ा. अस्पताल भरा हुआ था, इसलिए मैंने स्ट्रेचर मिलने तक उन्हें गोद में उठाए रखा. इस दौरान किसी ने कहा कि ‘खुद को बचाओ', इस पर मैंने जवाब दिया कि ये गोले मेरे लिए नहीं थे. कम से कम आज तो नहीं ही थे.

प्रदीप शर्मा ने बताया कि घटनास्थल पर धर्म की कोई दीवार नहीं थी. हिंदू, मुस्लिम, सिख सब एक साथ मिलकर बच्चों को बचा रहे थे. 

वहीं सैयद हबीब ने कहा, 

बड़ा जज्बाती मंजर था. जो बच्चे मेरी गोद में होने चाहिए थे वह प्रदीप की गोद में थे. हमारे मौलवी साहब ने उसकी गोद में दम तोड़ा.

इस घटना के बाद से इलाके में सैयद और प्रदीप की दोस्ती की खूब चर्चा हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक ये दोस्ती कक्षा 9 से शुरू हुई थी, जब दोनों पुंछ के गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ते थे. बाद में एक धार्मिक रास्ते पर चला गया जबकि दूसरा राजनीति में आ गया, लेकिन दोनों की ये दोस्ती बरकरार रही.

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