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पीएम मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति से बात की, अमेरिकी हमलों के बाद पेजेश्कियान ने मिलाया फोन

US Attack on Iran: PM Narendra Modi ने ईरान के राष्ट्रपति Masoud Pezeshkian से बात करते मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर की. उन्होंने क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने की अपील की है.

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Narendra Modi Masoud Pezeshkian
PM नरेंद्र मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान से फोन पर बात की.
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मौ. जिशान
22 जून 2025 (Updated: 22 जून 2025, 05:45 PM IST)
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ईरान पर अमेरिकी हमले के कुछ ही घंटों बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान से बात की. ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने पीएम मोदी को खुद फोन मिलाया. दोनों के बीच करीब 45 मिनट तक बातचीत चली. इस दौरान पीएम मोदी ने हाल ही में तनाव बढ़ने को लेकर चिंता जताई है. इसके अलावा उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति से तनाव को तुरंत कम करने की अपील की है. दरअसल, रविवार, 22 जून की सुबह अमेरिका ने ईरान पर एयर स्ट्राइक की, जिनमें तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान को निशाना बनाया गया.

पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा,

"ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान से बात की. हमने मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की. हाल में तनाव में हुए इजाफे पर गहरी चिंता जाहिर की. आगे बढ़ने के लिए तुरंत तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति के लिए अपना आह्वान दोहराया और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की जल्द बहाली की मांग की."

ईरानी राष्ट्रपति ने भारत को क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने में एक दोस्त और साझेदार बताया है. पेजेश्कियान ने मौजूदा हालात पर तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति को लेकर भारत के आह्वान पर प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की बहाली में भारत की आवाज और भूमिका अहम है.

ईरान के तीन शहरों पर हमला करने के बाद अमेरिका की भी ईरान-इजरायल संघर्ष में एंट्री हो गई है. तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने अमेरिका को सख्त चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अमेरिका को ऐसा नुकसान उठाना पड़ेगा जिसकी भरपाई नहीं होगी. वहीं, ईरान के विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि इससे बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय युद्ध शुरू हो सकता है.

दरअसल, ईरान-इजरायल संघर्ष की शुरुआत 13 जून को हुई, जब इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया. इसमें ईरान के कई सैन्य अधिकारी और न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स की मौत हो गई.

उस समय भी भारत ने दोनों देशों के हालात पर चिंता जताई थी. 13 जून को भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा था,

"हम हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच हुए घटनाक्रमों को लेकर गहराई से चिंतित हैं. हम स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं, जिसमें न्यूक्लियर साइट्स पर हमलों से जुड़ी खबरें भी शामिल हैं. भारत दोनों पक्षों से अपील करता है कि वे कोई भी ऐसा कदम ना उठाएं जिससे तनाव बढ़े. मौजूदा बातचीत और कूटनीति के जरियों का इस्तेमाल करते हुए स्थिति को शांत करने और बुनियादी समस्याओं को सुलझाने की दिशा में काम किया जाना चाहिए. भारत के दोनों देशों के साथ घनिष्ठ और दोस्ताना संबंध हैं और वो हर संभव मदद देने को तैयार है."

इसके अलावा 14 जून को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ने एक बयान जारी किया जिसमें उसने ईरान पर इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की. SCO ने इजरायल के हमलों को अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताते हुए कहा कि इस हमले से ईरान की संप्रभुता पर हमला हुआ है और इससे वैश्विक शांति एवं सुरक्षा को खतरा हो सकता है. SCO ने ईरान के साथ अपनी संवेदनाएं जाहिर की और कहा कि इस स्थिति का समाधान सिर्फ शांतिपूर्ण और कूटनीतिक तरीके से होना चाहिए.

भारत भी SCO का सदस्य है, लेकिन भारत ने खुद को SCO के इस बयान से अलग कर लिया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कहा कि भारत की स्थिति पहले ही 13 जून 2025 को बताई जा चुकी थी, जो अभी भी कायम है.

भारत ने यह भी कहा था कि वो इस मामले में कूटनीति और संवाद के जरिए तनाव को कम करने की जरूरत पर जोर देता है. भारत ने SCO के बयान पर चर्चा में हिस्सा नहीं लिया, क्योंकि उसका नजरिया पहले ही साफ किया जा चुका है.

वीडियो: क्या है 'क्लस्टर बम? ईरान ने इसी बम से इजरायल में तबाही मचाई है

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