किर्गिस्तान में कमाने गए थे, 'बंधक' बन गए, यूपी के 12 मजदूरों को एक वीडियो ने बचा लिया
घोटाले के शिकार होने वाले सभी 12 पीड़ित पीलीभीत के बरखेड़ा, पूरनपुर, दियोरिया और गजरौला पुलिस थाना क्षेत्रों के रहने वाले हैं. पीड़ितों ने पीलीभीत शहर में एक भर्ती एजेंसी के मालिक पर आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि मालिक ने उन्हें विदेश में नौकरी दिलाने का लालच दिया.

धोखाधड़ी का शिकार हुए उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के 9 लोग किर्गिस्तान से सकुशल भारत लौट आए. ये वो लोग हैं, जो तीन महीने पहले रोजी-रोटी कमाने की आस में किर्गिस्तान गए थे, जहां उन्हें बंधक बनाकर जबरदस्ती काम कराया गया. किर्गिस्तान जाने वालों में कुल 12 लोग थे, जिनमें से 9 लोगों की शनिवार, 28 दिसंबर को वतन वापसी हो गई. बाकी 3 लोगों को 30 दिसंबर तक वापस लाया जाएगा.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पीलीभीत के जिला मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि बाकी के तीन लोगों की वापसी की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है. साल के खत्म होने से पहले ही वो भी भारत में होंगे. ये सभी लोग काम की आस में एक घोटाले का शिकार हो गए थे. पीलीभीत के बरखेड़ा, पूरनपुर, दियोरिया और गजरौला पुलिस थाना क्षेत्रों के रहने वाले पीड़ितों ने एक भर्ती एजेंसी के मालिक पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि मालिक ने उन्हें विदेश में नौकरी दिलाने का लालच दिया था. वहां नौकरी दिलाने के लिए सभी लोगों से 2.5 लाख रुपये की फीस भी ली गई थी.
इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब रोहित नाम के एक लड़के का कथित वीडियो वायरल हुआ. वीडियो 5 दिसंबर को सामने आया था, जिसमें रोहित ने भारत सरकार से मदद मांगी थी. इसके बाद रोहित की पत्नी प्रेमवती और सेंट्रल एशियाई देशों में फंसे कई अन्य लोगों के परिजन ने संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया.
किर्गिस्तान में जो लोग फंसे थे, उनमें रवि कुमार, अजय, चंद्रपाल, संतराम, रोहित, रमेश, हर्षवरूप, श्यामचरण, संजीव, प्रेमपाल, रामसारे और हरिशंकर शामिल हैं. इन लोगों के किर्गिस्तान के अलग-अलग शहरों में करीब 3 महीनों तक फंसे रहने की खबर थी. सभी लोगों को किर्गिस्तान में फर्जी कॉन्ट्रैक्ट पर 59 दिन के वीजा पर भेजा गया था. कहा गया कि वहां पर उन्हें काम मिलेगा लेकिन जब वो किर्गिस्तान पहुंचे तो उन्हें कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक नौकरियां नहीं मिलीं.
इतना ही नहीं, उन्हें कथित तौर पर बंधक बना लिया गया. सभी को एक ऐसी नौकरी करने के लिए मजबूर किया गया, जिसके लिए उन्होंने कभी हामी नहीं भरी थी. कथित फ्रॉड करने वाली एजेंसी की पुलिस जांच कर रही है. SP अभिषेक यादव ने बताया कि उन्होंने इस मामले की इन्वेस्टिगेशन सर्किल अधिकारी (सीटी) को सौंप दी है.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने पीड़ितों के परिवार से दिल्ली में मुलाकात की थी. साथ ही उनके परिजन की घर वापसी के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क भी किया था.
सभी पीड़ित मजदूर अपने गांवों में लौटने और परिवारों से मिलने के बाद काफी खुश थे. साथ ही उन्होंने क्षेत्र के सांसद से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया. इसके अलावा अपना पैसा वापस दिलाने की भी मांग की.
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