पटना में पैदा हुए अभय सिंह रूस में बने 'विधायक', पुतिन के भारत दौरे पर बड़ी बात कह दी
अभय सिंह यूक्रेन की सीमा से लगे रूस के कुर्स्क इलाके को रिप्रेजेंट करते हैं. उनका जन्म बिहार के पटना में हुआ था. पुतिन के भारत पहुंचने से पहले भारतीय मूल के रशियन डेप्युटेट ने कहा कि भारत को भारत को S-500 एयर-डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए रूस से बात करनी चाहिए
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) 4 दिसंबर को भारत पहुंचे. उम्मीद जताई जा रही है कि इस यात्रा से दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते होंगे. ट्रेड, हेल्थ, एग्रीकल्चर, मीडिया, कल्चरल एक्सचेंज और डिफेंस सेक्टर में अहम डील्स होने की संभावना जताई जा रही है. पटना में पैदा हुए एक 'रूसी विधायक' (डेप्युटेट) को भी यही उम्मीद है.
अभय सिंह यूक्रेन की सीमा से लगे रूस के कुर्स्क इलाके को रिप्रेजेंट करते हैं. उनका जन्म बिहार के पटना में हुआ था. पुतिन के भारत पहुंचने से पहले भारतीय मूल के रशियन डेप्युटेट ने कहा कि भारत को S-500 एयर-डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए रूस से बात करनी चाहिए.
पुतिन के भारत दौरे को लेकर इंडिया टुडे से बात करते हुए अभय सिंह ने बताया कि क्यों इंडिया को S-500 एयर-डिफेंस हासिल करने के लिए रूस से डील करनी चाहिए. उन्होंने कहा,
“S-400 काफी अच्छा मिसाइल सिस्टम है. लेकिन S-500 लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है. ये अभी तक सिर्फ रशिया में ही इस्तेमाल हो रही है. रूस ये मिसाइल किसी अन्य देश को नहीं दे रहा है. चीन को भी ये सिस्टम नहीं मिला है. लेकिन रूस अगर भारत को ये मिसाइल सिस्टम देने के लिए मान जाता है, तो भारत इसे पाने वाला पहला देश होगा. इंडिया को इस मिसाइल पर बात करनी चाहिए. भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी. Sukhoi-57 (लड़ाकू विमान) भी काफी अच्छा है.”

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के चार साल बाद पुतिन भारत आ रहे हैं. ऐसे में सिंह का मानना है कि ये विजिट काफी खास होने वाली है. उन्होंने ये भी बताया कि इस यात्रा में किस-किस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. उन्होंने कहा,
"इस यात्रा में Su-57 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों के कोलेबोरेशन, अगली जनरेशन के एयर-डिफेंस सिस्टम, एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज और रूस में रोजगार चाहने वाले भारतीयों के लिए वर्क परमिट पर बात हो सकती है."
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अभय सिंह ने कहा कि ऐसे समझौतों से न सिर्फ दोनों देशों को फायदा होगा, बल्कि ये द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेंगे. उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि पुतिन के इस दौरे पर डिफेंस, टेक्नोलॉजी और लेबर मोबिलिटी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.”
अभय सिंह ने अपनी जर्नी के बारे में भी बताया. वो कहते हैं कि उन्हें राजनीति में आने के लिए पुतिन से ही प्रेरणा मिली थी. इसलिए वह उनकी पार्टी यूनाइटेड रशिया में शामिल हो गए. कुर्स्क क्षेत्र में चुनाव जीतने के लिए उन्होंने ‘भारतीय तरीका’ अपनाया. 2017 में पहली बार चुनाव लड़ा, तो लोगों के पास जा-जाकर मिले. पब्लिक मीटिंग्स कीं. ऐसा कर वह दो बार चुनाव जीत चुके हैं.
अभय सिंह 1991 में पटना छोड़कर मेडिसिन की पढ़ाई करने के लिए रूस आ गए थे. यहां संघर्ष करते हुए उन्होंने कड़ाके की ठंड झेली, नई भाषा से जूझे और सोवियत संघ का बिखराव देखा. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वो कहते हैं कि रूस आने के बाद शुरुआती दिनों में वो वापस भारत लौटना चाहते थे. लेकिन बाद में एलिना नाम की एक महिला ने उन्हें काफी सपोर्ट किया. वो उनकी मां की तरह थीं. अभय सिंह कहते हैं कि एलिना ने एक महीना उन्हें अपने साथ रखा. इसी कारण वो रूस में टिक सके.
वहीं अपनी रूसी राजनीतिक यात्रा पर अभय कहते हैं कि वो बिहार से हैं, सियासत तो उनके डीएनए में है. हालांकि वो मानते हैं कि रूस की राजनीति अलग ढंग से चलती है. फिर भी उन्होंने अपने ढंग से राजनीति की है. हर महीने वो अपने क्षेत्र के लोगों के लिए ‘जनता दरबार’ लगाते हैं. अभय कहते हैं कि कई लोग उनसे मिलने आते हैं. वो भी उनकी मदद करने की पूरी कोशिश करते हैं.
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