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'NDA से कोई रिश्ता नहीं...' बिहार चुनाव से पहले पशुपति पारस ने छोड़ा बीजेपी का साथ

बिहार चुनाव से पहले पशुपति कुमार पारस ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने एनडीए पर आरोप लगाया कि वह उनकी पार्टी के साथ अन्याय कर रही है. उन्होंने यह नहीं बताया कि एनडीए छोड़ने के बाद वह विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल होंगे या नहीं?

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Pashupati Paras
पाशुपति पारस ने अन्याय करने का आरोप लगाते हुए एनडीए छोड़ दिया
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राघवेंद्र शुक्ला
15 अप्रैल 2025 (Published: 12:25 PM IST) कॉमेंट्स
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बिहार चुनाव (Bihar Election) से पहले NDA के एक सहयोगी ने साथ छोड़ दिया है. ये सहयोगी हैं, राम विलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras). रामविलास पासवान के निधन के बाद से भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के साथ उनका विवाद चल रहा था. उन्होंने एनडीए पर अनदेखी का आरोप लगाया और कहा कि एनडीए के लोगों ने हमारी पार्टी के साथ अन्याय किया. हालांकि, पारस ने यह साफ नहीं किया है कि वह एनडीए के विरोधी खेमे (INDIA Alliance) में शामिल होंगे या नहीं. उन्होंने ये फैसला भविष्य पर छोड़ दिया है.

एनडीए छोड़ने के अपने फैसले के बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने कहा,

मैं 2014 से लेकर आज तक एनडीए के साथ था। हम एनडीए के वफादार सहयोगी थे. आपने देखा होगा कि जब लोकसभा चुनाव हुए थे, तो एनडीए के लोगों ने हमारी पार्टी के साथ अन्याय किया क्योंकि यह दलित पार्टी है. फिर भी, राष्ट्रहित में हमारी पार्टी ने चुनाव में एनडीए का समर्थन करने का फैसला किया.

पारस ने आगे कहा, इसके 6-8 महीने बाद जब भी बिहार में एनडीए की बैठक हुई, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और जेडी(यू) के प्रदेश अध्यक्ष ने बयान जारी किया कि वे बिहार में '5 पांडव' हैं. इसमें उन्होंने कहीं भी हमारी पार्टी का नाम नहीं लिया. इसलिए, हम मजबूर थे.

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पारस ने कहा, 

हम लोगों के बीच जा रहे हैं और सदस्यता अभियान शुरू कर दिया है. हम सभी 243 सीटों के लिए तैयारी कर रहे हैं. अगर महागठबंधन हमें सही समय पर उचित सम्मान देता है तो हम भविष्य में इसके बारे में जरूर सोचेंगे.

सोमवार को पारस ने एलान किया था कि उन्होंने एनडीए छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि इस अलायंस से उनका अब कोई संबंध नहीं है. उन्होंने नीतीश सरकार पर निशाना भी साधा और कहा कि बिहार और केंद्र दोनों ही सरकारें दलित विरोधी और भ्रष्ट हैं. पारस ने संकेत दिया कि वह बिहार की सभी 243 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, वह ये फैसला अकेले नहीं लेंगे. पार्टी के सभी नेताओं के साथ मिलकर तय करेंगे कि किसके साथ गठबंधन करना है.

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