पंडित छन्नूलाल मिश्र नहीं रहे, 91 साल की उम्र में निधन
Chhannulal Mishra Death: भारतीय शास्त्रीय संगीत ने आज एक बड़ा सितारा खो दिया. प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार सुबह 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वह बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे. प्रसिद्ध छन्नूलाल मिश्र कई विधाओं की गायकी में पारंगत थे. उन्हें पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.

प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र नहीं रहे. उनका गुरुवार, 2 अक्टूबर को सुबह 4 बजे के करीब निधन हो गया. वह 91 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उनके परिवार ने बताया कि उम्र से जुड़ी दिक्कतों के साथ उनके फेफड़ों में पानी भर गया था. कुछ दिनों पहले तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें BHU के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हाल ही में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी. इसके बाद से वो मिर्जापुर में थे, जहां उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली. आज वाराणसी में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
कई गायन शैलियों के विद्वानपंडित छन्नूलाल मिश्र भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गजों में से एक हैं. वह कई गायन शैलियों और घरानों की गायकी के विद्वान थे. लोक संगीत में भी उन्हें महारथ हासिल थी. वह ठुमरी, दादरा, कजरी, झूला, सोहर और होली के गीत गाने के लिए देश-विदेश में मशहूर थे. राग रागिनियां के पक्के गानों में वह उस्ताद थे. रामकथा के प्रसंग हों या बनारसी अंदाज में सोहर गाना, सुनने वाले उनकी गायकी से भाव-विभोर हो उठते थे. उनकी खास बात थी कि अपने अनोखे अंदाज वाली गायन शैली और रसीली व्याख्या से वह लोगों के दिलों तक संगीत की धार पहुंचा देते थे.

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को यूपी के आजमगढ़ में हुआ था. उनके दादा गुदई महाराज शांता प्रसाद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे. छन्नूलाल मिश्र ने छह साल की उम्र में अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की बारीकियां सीखीं थीं. इसके बाद उनके पहले गुरु उस्ताद गनी अली साहब ने उन्हें संगीत की शिक्षा दी थी.
पुरस्कार और सम्मानपंडित छन्नूलाल मिश्र को उनकी गायकी और शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया. उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मविभूषण और पद्मभूषण पुरस्कार दिया जा चुका है. इसके अलावा साल 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी उन्हें यश भारती सम्मान से नवाजा था.

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पंडित छन्नूलाल मिश्र का पीएम मोदी से भी खास कनेक्शन रहा है. साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने पहली बार वाराणसी से चुनाव लड़ा था, तब पंडित छन्नूलाल मिश्र ही उनके प्रस्तावक बने थे. अब उनका इस दुनिया से जाना भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है.
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