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दिल्ली-पटना से लेकर बैंकॉक तक... CRPF जवान को PAK आतंकी किन-किन चैनलों से भेजते थे पैसे?

भारत में जासूसी करने के लिए पाकिस्तान से अलग-अलग चैनल्स के माध्यम से पैसे भेजे जा रहे थे. CRPF ASI Moti Ram Jat मामले की जांच कर रहे NIA के अधिकारियों के हवाले से इस बड़े फाइनेंसियल नेटवर्क का खुलासा किया गया है. पढ़ें कैसे यह पूरा नेटवर्क चलाया जा रहा था.

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Pakistani agent send money to crpf agent moti ram jat through differenct channels found NIA
मोती राम जाट मामले में एनआईए की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. (Photo: ITG/AP)
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सचिन कुमार पांडे
22 सितंबर 2025 (Updated: 22 सितंबर 2025, 04:27 PM IST)
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पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पकड़े गए CRPF ASI मोती राम जाट को अलग-अलग चैनल्स के माध्यम से भारत में पैसे भेजे गए थे. मामले की जांच के दौरान इस अवैध फाइनेंसियल नेटवर्क (Illegal Financial Network) का खुलासा हुआ है. इसमें भारतीय व्यापारियों को दुबई से पाकिस्तानी माल भेजकर उसकी पेमेंट कराई जाती थी.

इंडियन एक्स्प्रेस की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से इसका खुलासा किया गया है. बताया गया है कि बैंकॉक स्थित भारतीय मूल की कंपनियों से अवैध फॉरेन एक्सचेंज (Illegal Foreign Exchange) कराया जाता था. यहां तक कि दिल्ली और मुंबई की लोकल दुकानें, जहां पैसे ट्रांसफर करने का काम किया जाता है, वहां से भी पेमेंट कराई जाती थी. 

मोती राम के खाते में डलवाए गए 1.90 लाख रुपये

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों द्वारा मोती राम जाट के अकाउंट में अक्टूबर 2023 से अप्रैल 2025 के बीच 1.90 लाख रुपये डलवाए गए थे. यह पैसे जिस एजेंट ने मोती राम के खाते में भेजे थे, उसका कोड नेम सलीम अहमद था. यह पैसे उसकी पत्नी के अकाउंट के माध्यम से उस तक पहुंचाए गए थे. पैसे भेजने के लिए फाइनेंसियल सिस्टम की कमियों का फायदा उठाया गया.

इसके लिए व्यापार के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध फॉरेन एक्सचेंज और पैसे ट्रांसफर करने के नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि इन ट्रांजेक्शन्स के लिए छोटे व्यापारियों और सर्विस प्रोवाइडर्स का इस्तेमाल इसलिए किया गया, जिससे किसी को शक न हो. उन व्यापारियों को पता भी नहीं होता था कि यह पैसा जासूसी नेटवर्क का है.

दुबई से भिजवाया जाता था माल

पाकिस्तानी खुफिया एजेंट भारत में पैसे भेजने के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का उपयोग करते थे. इनमें कपड़ों से लेकर ज्वेलरी, बीज और जूते-चप्पलों के सामान भारत में भिजवाए जाते थे. यह सामान पाकिस्तानी होते थे, लेकिन पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान से सीधे इम्पोर्ट पर 200 फीसदी टैरिफ लगा दिया गया था. इसलिए इन सामानों को दुबई के जरिए दिल्ली और पटना के छोटे व्यापारियों तक पहुंचाया जाता था. दुबई के ब्रोकर इन सामानों का बिल बनाकर भारतीय व्यापारियों को 3500 से लेकर 12000 तक की पेमेंट करने के लिए कहते थे.

यह पेमेंट फिर भारत में जासूसी कर रहे व्यक्तियों के खाते में डलवाई जाती थी. इसके बदले उनसे गोपनीय जानकारियां मांगी जाती थीं. जबकि दुकानदारों को लगता था कि वह अपने सामान के लिए लीगल पेमेंट कर रहे हैं.

बैंकॉक की कंपनियों का भी होता था इस्तेमाल

मोती राम के अकाउंट में पैसे भेजने के लिए बैंकॉक स्थित भारतीय मूल की कंपनियों का भी इस्तेमाल किया गया. यह कंपनियां पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों से जुड़ी हुई थीं. इनके जरिए टूरिस्टों को सस्ते रेट पर थाई करेंसी को भारतीय करेंसी में एक्सचेंज करने का ऑफर दिया जाता था. बैंकॉक में थाईलैंड करेंसी मिलने के बाद यह लोग भारत में अपने और अपने रिश्तेदारों के अकाउंट से टूरिस्ट के खाते में पैसे भेज देते थे.

इस तरह से वह आधिकारिक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज चैनल को बाईपास करते हुए जासूसी के लिए सीधे ट्रांजेक्शन कर पाते थे. तीसरे चैनल में दिल्ली और मुंबई की स्थानीय दुकानों का इस्तेमाल किया जाता था, जो लाइसेंस्ड ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म से पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देते हैं. इनके जरिए अप्रवासी और दिहाड़ी मजदूर अपने घरों में पैसे भेजते थे.

इस तरह के लेन-देन में पैसे भेजने वाले की पहचान ओटीपी के जरिए की जाती है. लेकिन कई दुकानदार पैसे भेजने वाले से कैश लेकर अपने पर्सनल अकउंट से पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. इससे पैसे भेजने वाले का कोई रिकॉर्ड ही दर्ज नहीं होता. एनआईए के अनुसार संदिग्ध आरोपी पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के निर्देश पर इस चैनल से पैसे भेजते थे.

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मोती राम जाट की मई में हुई थी गिरफ्तारी

जांच एजेंसी का कहना है कि इन तीन चैनलों के जरिए मोती राम जाट को भारत में पैसे भेजे गए. साथ ही अन्य जासूसी गतिविधियों के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाता है. मोती राम को को 27 मई, 2025 को एनआईए ने गिरफ्तार किया था. पाकिस्तानी एजेंटों के साथ कथित तौर पर गोपनीय जानकारी साझा करने का खुलासा होने के बाद एजेंसी को इस मामले की जांच सौंपी गई थी.

वह पहलगाम में सीआरपीएफ की 116वीं बटालियन में तैनात था. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से ठीक पांच दिन पहले उसका दिल्ली तबादला हुआ था. मई में एनआईए की टीमों ने आठ राज्यों में 15 स्थानों पर तलाशी ली थी और मोती राम के खातों में पैसे ट्रांसफर करने वाले कई लोगों के बयान दर्ज किए थे.

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