The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Pakistan plea for tax cut on Condoms rejected by IMF

पाकिस्तान में कंडोम भी सस्ते नहीं कर पाए शहबाज शरीफ, IMF ने कहा जो हम कहें, वो करो

पाकिस्तान ने आईएमएफ के यहां अर्जी डाली थी कि वह कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक सामानों पर लगने वाले 18 फीसदी टैक्स को कम कर दे. ताकि ये चीजें सस्ती हो जाएं. लेकिन IMF ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया.

Advertisement
Pakistan IMF
शहबाज शरीफ की ये मांग आईएमएफ ने ठुकरा दी (india today)
pic
राघवेंद्र शुक्ला
18 दिसंबर 2025 (Updated: 18 दिसंबर 2025, 09:16 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में है, जहां बहुत तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है. यहां जनसंख्या वृद्धि दर 2.55 फीसदी है. यानी हर साल 60 लाख नए लोग इसकी आबादी में जुड़ जाते हैं. ये हालत होने के बावजूद वहां परिवार नियोजन की हालत खराब है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चाहते थे कि कंडोम समेत गर्भ निरोधकों पर टैक्स कम हो जाए और ये सस्ते हो जाएं तो शायद जनसंख्या नियंत्रण पर लगाम लगे, लेकिन IMF ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. पाकिस्तान के संघीय राजस्व बोर्ड ने आईएमएफ से अपील की थी कि वह कंडोम पर टैक्स कम करने की मंजूरी दे लेकिन उसने ये करने से साफ मना कर दिया. ऐसे में अभी पाकिस्तान में कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक सामान महंगे ही रहेंगे.

पाकिस्तान की सरकार कंडोम से टैक्स हटाती तो देश के राजस्व में कम से कम 40 से 60 करोड़ का घाटा होता. IMF को ये मंजूर नहीं था, क्योंकि पाकिस्तान पहले ही अपने टैक्स वसूली के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहा है. पाकिस्तान का वित्त मंत्रालय वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 13.979 ट्रिलियन रुपये के अपने संशोधित राजस्व लक्ष्य को पूरा करने के लिए ही संघर्ष कर रहा है.

पाकिस्तान के ‘द न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, FBR ने औपचारिक रूप से ईमेल के जरिए अमेरिका में IMF के हेडक्वाटर से संपर्क किया था. उसने कंडोम और गर्भ निरोधकों पर लगने वाले 18 फीसदी के GST को खत्म करने की बात कही थी. FBR ने अनुमान लगाया था कि टैक्स हटाने से पाकिस्तान के खजाने पर 40 से 60 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का बोझ पड़ेगा. हालांकि IMF के वित्तीय मामलों के विभाग ने पाकिस्तान से मिले इस प्रस्ताव के प्रति कम रुचि दिखाई.

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके बाद एक वर्चुअल मीटिंग हुई, जिसमें पाकिस्तानी अधिकारियों ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कंडोम पर जीएसटी को तत्काल प्रभाव से खत्म करने की इच्छा के बारे में बताया. IMF ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष के बीच में कोई टैक्स राहत नहीं दी जा सकती. खासकर तब जब FBR पहले से ही वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपने संशोधित राजस्व लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहा है. IMF ने कहा कि पाकिस्तान में किसी भी टैक्स राहत पर केवल 2026-27 के अगले बजट में ही विचार किया जा सकता है.  

IMF की बातें क्यों माननी पड़ रही हैं?

पाकिस्तान की आर्थिक हालत इस समय बहुत कमजोर है. देश अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज और विदेशी मदद पर टिका हुआ है. अगर पाकिस्तान IMF की शर्तें नहीं मानता है तो उस पर डिफॉल्ट होने का खतरा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने और आर्थिक संकट बढ़ने का डर है. दरअसल, IMF ने पाकिस्तान को 37 महीने की लोन योजना (Extended Fund Facility और Resilience and Sustainability Facility) के तहत मदद दी है. अब तक करीब 3.3 अरब डॉलर दिए जा चुके हैं और आगे 1.2 अरब डॉलर और मिलने हैं, लेकिन इसके बदले IMF ने पाकिस्तान के सामने सख्त शर्तें रखी हैं, जिनमें शासन सुधार, राजस्व वृद्धि और भ्रष्टाचार-रोधी उपायों को लागू करना शामिल है.

IMF के निर्देशों के बाद ही पाकिस्तान ने अपने कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइंस (PIA) के निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है. यह कदम IMF के 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज से जुड़ी प्रमुख शर्तों में से एक है. 

वीडियो: लोकसभा में शिवराज सिंह चौहान के मुंह पर विधेयक की कॉपी किसने फाड़ दी?

Advertisement

Advertisement

()