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आतंकी आए तो लोग भाग क्यों नहीं पाए? पहलगाम में मारे गए शैलेश की पत्नी ने अब सब बताया

Pahalgam terror attack : पहलगाम में मारे गए शैलेश कलथिया की पत्नी शीतल ने सुरक्षा चूक को लेकर सरकार पर भी सवाल उठाए हैं. वो अपने पति, दो बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ पहलगाम गई थीं. शीतल ने ये भी बताया है कि लोग किस वजह से गोलियां चलने के दौरान मौके से भाग नहीं पाए.

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Shital Kalathiya pahalgam terror attack
शीतल कलथिया ने पहलगाम हमले की कहानी बताई है. (इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
25 अप्रैल 2025 (Updated: 25 अप्रैल 2025, 04:58 PM IST) कॉमेंट्स
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पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam terror attack) में मारे गए शैलेश कलथिया (Shital Kalathiya) की पत्नी शीतल ने बताया कि गोली लगने के बाद वो अपने पति को गोद में लेकर मदद की मांग रही थीं. लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली. शीतल ने सुरक्षा चूक को लेकर सरकार पर भी सवाल उठाए हैं. वो अपने पति, दो बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ पहलगाम गई थीं. शीतल ने ये भी बताया है कि लोग किस वजह से गोलियां चलने के दौरान भाग नहीं पाए और कहीं छिप नहीं पाए.

आजतक से बातचीत में उन्होंने बताया, 

बैसरन में जब गोलीबारी हुई उस दौरान मैं अपने बच्चे को नाश्ता करा रही थी. जब फायरिंग की आवाज आई तो मैंने दुकान वाले से पूछा कि ये आवाज कैसी है. जिसके बाद दुकान वाले भी डर गए. उन्होंने कहा कि हमने भी पहली बार ये आवाज सुनी है. इतने में एक बार फिर से फायरिंग की आवाज आई. जिसके बाद सब लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे. लेकिन भागकर कहीं छिपने की जगह ही नहीं थी, क्योंकि पूरी बाउंड्री की हुई थी. इतने में एक आतंकी हमारे सामने आकर खड़ा हो गया. और उसने कहा कि सारे हिंदू एक तरफ खड़े हो जाओ. और मुसलमान एक तरफ हो जाओ. फिर उसने सारे हिंदुओं को एक तरफ किया और शूट कर दिया.

शीतल ने बताया, 

इस दौरान मैं हिल नहीं पा रही थी. और मेरे पति घायल अवस्था में मेरी गोद में थे. मुझे अपने बच्चों की चिंता थी, क्योंकि आतंकी पास ही खड़े थे. मैं बस यही उम्मीद करती रही कि कोई मेरे पति को बचाने आएगा. हमने बहुत सारी गोलियों की आवाज सुनी. लेकिन कोई सुरक्षाकर्मी, सेना या पुलिस मदद के लिए नहीं आई.

उन्होंने आगे बताया कि आतंकियों के चले जाने के बाद भी तत्काल उनको कोई मदद नहीं मिली. स्थानीय लोगों ने बचे हुए लोगों से भाग जाने की अपील की. उन्होंने बच्चों को घुटने तक कीचड़ में नंगे पांव ले जाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.

शीतल ने कहा कि उन्होंने सोचा भी नहीं था कि ऐसी कोई घटना हो सकती है. उन्होंने बताया, 

हमें सरकार और हमारे सुरक्षाबलों पर भरोसा था. लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया. अगर यह जगह इतनी खतरनाक है तो इसे हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए.

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे. पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.

वीडियो: पहलगाम हमले पर हुई सर्वदलीय बैठक में क्या बातें हुईं?

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