पहाड़ियों में 30 से ज्यादा आतंकियों के छिपने की आशंका, बर्फबारी में सेना का सर्च ऑपरेशन तेज
इंटेलिजेंस इनपुट्स के मुताबिक फिलहाल 30 से 35 आतंकियों के इस इलाके में छिपे होने की सूचना है.
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जम्मू , डोडा और किश्तवाड़ के करीब 200 से अधिक गावों और जंगलों में सुरक्षाबलों (Indian Army, Jammu-Kashmir Police, CRPF, BSF, SOG, Forest Department और Village Defence Committee) का जबरदस्त तलाशी अभियान चल रहा है. इंटेलिजेंस इनपुट्स के मुताबिक फिलहाल 30 से 35 आतंकियों के इस इलाके में छिपे होने की सूचना है. आशंका है कि इन दुर्गम पहाड़ी इलाकों में आतंकी छिपे हो सकते है. इस ऑपरेशन का मकसद उन आतंकियों को पकड़ना या मार गिराना है जो इस मौसम का फायदा उठाकर छिपने की कोशिश कर रहे हैं. ये आतंकी चिल्लई कलां (Chillai Kalan) की वजह से पहाड़ों में शरण लिए हो सकते हैं. Chillai Kalan 21 दिसंबर से 29 जनवरी तक 40 दिनों के पीरियड को कहा जाता है. ये वो समय है जब कश्मीर में कड़ाके की ठंड पड़ती है.

लगातार ऑपरेशंस की वजह से आतंकियों पर काफी दबाव है. इसी वजह से वो किश्तवाड़ और डोडा के ऊंचे और बर्फीले पहाड़ी इलाकों में चले गए हैं. यहां आम लोगों की मौजूदगी बहुत कम है. इस बदलाव को सर्दियों में छिपने और फिर से इकट्ठा होने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर सर्दियों में जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियां कम हो जाती हैं, लेकिन इस बार सेना ने आतंकियों के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए अस्थायी चौकियां, लगातार गश्त और निगरानी को प्राथमिकता दी है.
आतंकियों का लोकल सपोर्ट कमजोरसेना के लगातार ऑपरेशंस और लोकल लोगों के लगातार विरोध की वजह से आतंकियों का लोकल सपोर्ट नेटवर्क कमजोर पड़ रहा है. जिन लोगों से वे पहले जबरन खाना और पनाह लेने की कोशिश करते थे, अब उन्हें वैसा सपोर्ट नहीं मिल रहा. अब आतंकियो की पहुंच ऊंचे और सुनसान इलाकों तक सीमित होती जा रही है. सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसओजी, वन विभाग और विलेज डिफेन्स कमेटी के बीच मजबूत तालमेल से खुफिया जानकारी साझा की जा रही है.
इनपुट मिलने पर संयुक्त अभियान चलाए जा रहे हैं. सेना अब निगरानी और फिर तेज कार्रवाई की रणनीति पर काम कर रही है, ताकि आतंकियों को दोबारा संगठित होने या आबादी वाले इलाकों तक पहुंचने का कोई मौका न मिले. ड्रोन, थर्मल इमेजिंग, ग्राउंड सेंसर और निगरानी रडार जैसी आधुनिक तकनीक के साथ विशेष रूप से प्रशिक्षित विंटर वारफेयर यूनिट्स तैनात की गई हैं. बढ़ती ठंड के बीच डोडा और किश्तवाड़ में यह सख्त कार्रवाई साफ संदेश देती है कि अब मौसम आतंकियों के लिए ढाल नहीं बनेगा और सुरक्षा बल हर हाल में आतंक के खतरे को खत्म करने के लिए पूरी तरह मुस्तैद हैं.

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हर ऑपरेशन, चाहे वह सेलेक्टिव हो या एरिया डोमिनेशन ऑपरेशन, या टारगेटेड स्ट्राइक, उसे किसी अलग घटना के तौर पर नहीं, बल्कि एक बड़े, साल भर चलने वाले सिक्योरिटी फ्रेमवर्क के हिस्से के तौर पर प्लान किया जाता है. इससे यह पक्का होता है कि मुश्किल महीनों जैसे दिसंबर-जनवरी की ठंड में ऑपरेशन से मिले फायदे गर्मियों तक बने रहें. और जिससे आतंकवादियों को कोई राहत न मिले.
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