'वोट चोरी' पर कांग्रेस को बड़ा झटका, INDIA के साथी उमर अब्दुल्ला ने ही झाड़ा पल्ला
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वोट चोरी कांग्रेस का मुद्दा है. इंडिया गठबंधन का इससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी बताने वालों से वो सहमत नहीं हैं.

कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ दिल्ली में ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ की हुंकार भर रही है. लेकिन उसके अपने साथी ही मुद्दे को भाव नहीं दे रहे. राहुल गांधी और कांग्रेस ने लगातार ऐसा माहौल बना रखा है जैसे ‘वोट चोरी’ इस समय देश की सबसे बड़ी चुनौती हो. लेकिन जिस गठबंधन की वो अगुआई करती है, उसी INDIA ब्लॉक के एक दल के सबसे बड़े नेता ने कह दिया है कि ये तो सिर्फ कांग्रेस का मुद्दा है. INDIA गठबंधन का तो इससे कोई लेना-देना ही नहीं है. ये बड़े नेता केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हैं.
कांग्रेस के साथ मिलकर उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई हुई है. लेकिन जिस मुद्दे को लेकर अरसे बाद कांग्रेस ने रामलीला मैदान में इतनी बड़ी रैली की, उसी मुद्दे पर वे उसके साथ खड़े नहीं हैं. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार 15 दिसंबर को उमर अब्दुल्ला से कांग्रेस के ‘वोट चोर-गद्दी छोड़’ रैली के बारे में पूछा गया. इस रैली में कांग्रेस ने भाजपा पर काफी गंभीर आरोप लगाए थे. कहा था कि ‘बीजेपी के डीएनए में वोट चोरी’ है और उसके नेता ‘गद्दार’ हैं. वो देश की जनता के वोट के अधिकार को छीनने की साजिश कर रहे हैं. उन्हें ’देश के शासन की गद्दी छोड़ देनी चाहिए.'
इस पर सवाल हुआ तो उमर अब्दुल्ला ने साफ किया कि वोट चोरी के मुद्दे का INDIA गठबंधन से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा,
हर राजनीतिक पार्टी को अपना एजेंडा तय करने की आजादी है. अगर कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ और SIR को अपने मुख्य मुद्दे बनाए हैं तो हम कौन होते हैं उन्हें कुछ कहने वाले?
इतना ही नहीं, हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में सीएम अब्दुल्ला कहा कि वो ऐसे लोगों से सहमत नहीं हैं जो मानते हैं कि ईवीएम से धांधली होती है. अब्दुल्ला ने कहा,
मैं कभी भी यह कहने वालों का समर्थक नहीं रहा कि EVM मशीनें गड़बड़ हैं.
अब्दुल्ला का मानना है कि चुनाव में धांधली (rigging) और उसमें हेरफेर (electoral manipulation) दोनों में फर्क होता है. उन्होंने कहा कि चुनाव में हेरफेर हो सकता है और इसका सबसे आसान तरीका है वोटर लिस्ट बनाने या सीटों के परिसीमन का तरीका. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के परिसीमन का जिक्र करते हुए कहा कि ये ‘असली हेरफेर' था. नई सीटें इस तरह बनाई गईं कि एक पार्टी और उसके सहयोगी को फायदा पहुंचे. वोटर लिस्ट बदली गई और इसमें एक खास वर्ग के लोगों को बाहर रखा गया.
अब्दुल्ला ने सुझाव दिया कि वोटर लिस्ट संशोधन से जुड़ी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) जैसी कोई भी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए. ताकि उस पर सवाल न उठाए जा सकें. इस बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने बताया कि EVM को लेकर उनका रुख उनके पिता और पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला से काफी अलग है.
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