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एक साल की नौकरी के बाद ही मिल जाएगी ग्रेच्युटी, नए लेबर कोड्स लागू

New Labour Codes Gratuity Change: नए नियमों के मुताबिक, निश्चित अवधि के कर्मचारियों (Fixed-Term Employees) यानी FTE को स्थायी श्रमिकों के समान सभी लाभ मिलेगें. उन्हें पांच के बजाय एक साल के काम के बाद भी ग्रेच्युटी मिल सकेगी.

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New Labour Codes Gratuity Change
29 श्रम कानूनों को चार लेबर कोड्स में समेट दिया गया है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
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हरीश
21 नवंबर 2025 (Published: 10:38 PM IST)
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सरकार ने शुक्रवार, 21 नवंबर को चार नए लेबर कोड्स लागू कर दिए हैं. केंद्रीय श्रम मंत्रालय का कहना है कि इसके तहत सभी श्रमिकों (अनौपचारिक सेक्टर, गिग वर्कर्स और प्रवासी मजदूरों) को फायदा मिलेगा. उन्हें बेहतर वेतन, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी मिलेगी. वहीं, ग्रेच्युटी को लेकर भी एक अहम फैसला लिया गया है. अब फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयीज को एक साल की सर्विस पर भी ग्रेच्युटी का फायदा मिलेगा, जो पहले पांच साल की सर्विस पर मिलता था.

ये चार नए लेबर कोड्स हैं: 

- वेतन संहिता (2019), 
- औद्योगिक संबंध संहिता (2020), 
- सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) और 
- व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति (OSHWC) संहिता (2020). 

29 श्रम कानूनों को अब इन चारों लेबर कोड्स में समेट दिया गया है.

नए नियमों के मुताबिक, निश्चित अवधि के कर्मचारियों (Fixed-Term Employees) यानी FTE को स्थायी श्रमिकों के समान सभी लाभ मिलेगें. इनमें छुट्टी से लेकर मेडिकल और सोशल सिक्योरिटी शामिल हैं. वहीं, पांच के बजाय एक साल के काम के बाद भी ग्रेच्युटी मिल सकेगी. दोनों चीजों को बारी-बारी से आसान भाषा में समझ लेते हैं.

निश्चित अवधि के कर्मचारी (FTE) का मतलब हुआ कि किसी को तय समय तक के लिए काम पर रखा जाए. CNBC की खबर के मुताबिक, अब ये FTE और कुछ संविदा कर्मचारी सिर्फ एक साल की सेवा के बाद ही ग्रेच्युटी के पात्र होंगे. जबकि पर्मानेंट एंप्लॉयी के लिए पांच साल की सेवा का नियम लागू रहेगा.

आगे इस बदलाव को समझें, उससे पहले ग्रेच्युटी का गणित समझ लेते हैं. गूगल की शरण में जाएंगे, तो वो आपको इसके हिंदी अर्थ ‘उपदान, आनुतोषिक, पुरस्कार, ऐच्छिक दान…’ जैसे शब्दों को बता सकता है. आसान भाषा में इसे कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारियों को उनके काम के बदले दिया जाने वाला एक तरह का गिफ्ट कह सकते हैं.

अब इसकी राशि निकालने का गणित समझ लेते हैं. टेक्निकली- आखिरी बेसिक सैलरी x 15/26 x (कंपनी में जितने साल काम किया). इसमें ये 15 क्यों है? जितने साल कंपनी में किसी एंप्लॉयी को हुए हैं, उतने सालों के हिसाब से 15 दिन की तनख्वाह. वहीं, 26 आपकी सैलरी के दिनों को दर्शाता है. 

ज्यादा टेक्निकल हो गया? थोड़ा और सिंपल करते हैं.

मान लीजिए, अमित मरकाम रांची में चमड़े का जूता बनाने वाली फैक्ट्री में काम कर रहे हैं. अब वो रिटायरमेंट चाहते हैं, तो उन्हें कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी? सबसे पहले उनकी आखिरी सैलरी देखी जाएगी. इससे मतलब ये नहीं कि उनकी सैलरी कितनी है. बल्कि देखी जाएगी आखिरी सैलरी में ‘बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता'.

मान लीजिए, अमित के केस में ये अमाउंट बनता है 15,000 रुपये. अब इसी के हिसाब से उनकी 15 दिन की सैलरी देखी जाएगी. आसान सा गणित है. एक दिन की सैलरी निकालो, उसे 15 से गुणा कर दो. 15,000/26 = 577 रुपये. यानी अमित की 15 दिन की सैलरी हुई- 577*15 = 8,655. यानी अमित को 20 साल की नौकरी में हर साल के 8,655 रुपये मिलेंगे. या कुल 20*8655 = 1,73,100 रुपये मिलेंगे.

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