ISI ने 75 भारतीय जवानों से किया संपर्क, भारत से पहुंचे थे सिम, पाकिस्तानी षड्यंत्र की कहानी खुली
दिल्ली से प्रभात चौरसिया नाम के शख्स की गिरफ्तारी हुई. अब इस मामले में एक नई जानकारी सामने आई है. पता लगा है कि प्रभात के पास से मिले सिम कार्ड्स से ISI के एजेंट्स ने कुछ भारतीय सैनिकों से संपर्क साधा था.

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने एक व्यक्ति के पास से 16 सिम कार्ड्स बरामद किए हैं. आरोप है कि प्रभात कुमार चौरसिया नाम का ये शख्स पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI को भारतीय सिम कार्ड्स सप्लाई करता था. प्रभात की गिरफ्तारी 28 अगस्त को दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके से हुई थी. अब इस मामले में एक नई जानकारी सामने आई है. प्रभात के पास से मिले सिम कार्ड्स से ISI के एजेंट्स ने कुछ भारतीय सैनिकों से संपर्क साधा था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, भारतीय खुफिया एजेंसी से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पहले ये सिम कार्ड्स नेपाल भेजे गए. उसके बाद इनके जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 75 भारतीय सैनिकों से व्हाट्सऐप के ज़रिए संपर्क साधा. इनमें से ज्यादातर सैनिक जम्मू कश्मीर और मथुरा में पोस्टेड हैं.
पूरा मामला क्या है?प्रभात कुमार चौरसिया नेपाल के बीरगंज का रहने वाला है. रिपोर्ट के मुताबिक़, प्रभात ने ये सिम कार्ड्स बिहार और महाराष्ट्र से अपने आधार कार्ड पर लिए थे. ज़्यादातर सिम कार्ड्स महाराष्ट्र के लातूर ज़िले में रजिस्टर्ड हैं. इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों ने बताया कि प्रभात पहले इन सिम कार्ड्स को भारत से काठमांडू ले गया. काठमांडू में उसने इन सिम कार्ड्स को आईएसआई के हवाले कर दिया. आईएसआई ने इन सिम कार्ड्स से व्हाट्सऐप अकाउंट बनाए और भारतीय सेना, पैरामिलिट्री फोर्सेज और सरकारी दफ्तरों के कर्मचारियों से खुफिया जानकारी पाने के लिए संपर्क साधना शुरू किया.
2017 में प्रभात काठमांडू में एक लॉजिस्टिक कंपनी चलाता था. लेकिन नुकसान के कारण वो कंपनी डूब गई. बताया जा रहा है कि इस नुकसान के बाद ही प्रभात आईएसआई के संपर्क में आया और आईएसआई ने उसे एक डील ऑफर की.
जांच में क्या पता चला?इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में स्पेशल सेल के डीसीपी अमित कौशिक ने बताया,
16 सिम कार्ड्स में से 11 सिम कार्ड को लाहौर, बहावलपुर और पाकिस्तान के बाक़ी इलाकों से ऑपरेट किया जा रहा था. जांच में पता चला कि प्रभात चौरसिया आईएसआई से 2024 में नेपाल में मिला था. वहां उन दोनों के बीच एक डील हुई. आईएसआई ने उसे यूएस वीजा और विदेश में पत्रकारिता के मौके दिलवाने का वादा किया. बदले में प्रभात को सिम कार्ड्स सप्लाई करने थे. साथ ही DRDO और सैन्य संस्थानों के बारे में खुफिया जानकारी भी देनी थी.
एक और सीनियर अधिकारी ने एक्सप्रेस को बताया,
आर्मी में तैनात जिन सैनिकों से इन सिम कार्ड्स के ज़रिये सम्पर्क हुआ उनकी पहचान कर ली गई है. जल्द ही उनके यूनिट हेड्स को भी इसकी जानकारी दी जाएगी.
हालांकि उन्होंने आगे ये भी बताया कि अभी तक ये साबित नहीं हो पाया है कि ये मामला जासूसी से जुड़ा है या नहीं. लेकिन पाकिस्तान से इन सिम कार्ड्स को ऑपरेट किया जा रहा था ,इसकी पुष्टि हो चुकी है.
इसी साल 27 मई को भारतीय खुफिया एजेंसी ने एक CRPF असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर मोती राम जाट को इसी तरह के एक मामले में गिरफ्तार किया था. इस केस में भी भारतीय सेना, पैरामिलिट्री फोर्सेज और सरकारी कर्मचारियों से 15 अलग-अलग फ़ोन नंबर्स के जरिए संपर्क साधा गया था.
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