पिग बुचरिंग स्कैम में फंसे 2000 इंडियंस, औरतें भी इस कांड में फंसने म्यांमार कैसे पहुंचीं?
Pig Butchering Scam: म्यांमार से 526 भारतीय नागरिकों को बचाकर वापस लाया जाएगा. इनमें 28 महिलाएं भी शामिल हैं. ये सभी उन हजारों विदेशियों में से हैं, जिन्हें Pig Butchering Scam में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया. आखिर क्या है ये स्कैम?
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म्यांमार के म्यावड्डी क्षेत्र में पिग बुचरिंग स्कैम केस में फंसे 526 भारतीय नागरिकों को बचाकर वापस लाया जाएगा (Pig Butchering Scam Myanmar). इनमें 28 महिलाएं भी शामिल हैं. ये सभी उन हजारों विदेशियों में से हैं, जिन्हें झूठ बोलकर म्यांमार लाया गया और साइबर अपराध- पिग बुचरिंग स्कैम - में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया. क्या है ये पूरा मामला? आइए जानते हैं.
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस घटना की पुष्टि की है. म्यांमार से 7,141 विदेशी नागरिकों को उनके देशों में वापस भेजा जा रहा है. इनमें 4,860 चीनी, 572 वियतनामी, 526 भारतीय, 430 इथियोपियाई, 283 इंडोनेशियाई, 70 मलेशियाई और 68 पाकिस्तानी नागरिक शामिल हैं.
बचाए गए भारतीयों में से कोक्किराला मधुकर रेड्डी ने TOI से बात की. उन्होंने कहा कि बचाए जाने के बाद हम अभी भी थाईलैंड-म्यांमार सीमा पर फंसे हुए हैं. उन्हें हमें बैंकॉक ले जाना है. हम मदद का इंतजार कर रहे हैं. उनके मुताबिक बड़ी संख्या में लोगों को म्यांमार के म्यावाडी में कुख्यात साइबर क्राइम हब KK पार्क से छुड़ाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें कुल 2 हजार भारतीय हैं, लेकिन केवल 526 नागरिक ही भारत लौटने के लिए सहमत हुए हैं. बाकी स्वेच्छा से वहीं रहना चाहते हैं.
भारतीयों को म्यांमार ले जाने वाले एजेंट राजशेखरम शाम राव ने भारत वापस आने से इनकार कर दिया है. उसने TOI से कहा, “मैं भी एक पीड़ित हूं. मैंने केवल टेली-कॉलर के रूप में काम करने के लिए लोगों को बुलाया था. अब मेरे घर की फाइनेंशियल प्रॉब्लम के कारण मैं वापस नहीं आ सकता.”
भारतीय अधिकारी लगातार बचाव अभियान चला रहे हैं. जो नागरिक भारत लौटना चाहते हैं, उन्हें सुरक्षित लाने की व्यवस्था की जा रही है. अधिकारियों ने कहा कि उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय अपने वतन लौट सकें.
क्या है Pig Butchering Scams?Pig Butchering Scam एक तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी है. इसमें स्कैमर्स अपने शिकार (टारगेट) को धीरे-धीरे विश्वास में लेकर बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं.
स्कैमर्स सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या डेटिंग प्लेटफॉर्म पर फर्जी प्रोफाइल बनाते हैं. टारगेट से दोस्ती या रिश्ता बनाने का नाटक करते हैं. वे धीरे-धीरे लंबी बातचीत करके शिकार को भरोसे में लेते हैं. जैसे किसान सुअर को पालकर उसे मोटा करता है. इसीलिए इसे "Pig Butchering" कहा जाता है.
जब टारगेट पूरी तरह से भरोसा कर लेता है. तब स्कैमर उसे किसी खास निवेश यानी क्रिप्टोकरेंसी, ट्रेडिंग, स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने के लिए प्रेरित करता है. पीड़ित को एक फेक वेबसाइट या ऐप पर निवेश करने के लिए कहा जाता है. यहां शुरुआती मुनाफा दिखाकर उसे और पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
जब पीड़ित बड़ी रकम निवेश कर देता है. पैसे निकालने की कोशिश करता है, तो स्कैमर या तो बहाने बनाते हैं. या पूरी तरह से गायब हो जाते हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस तरह की धोखाधड़ी की शुरुआत 2016 में चीन से हुई थी, लेकिन बाद में यह दक्षिण-पूर्व एशिया (म्यांमार, कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस) में फैल गई. इस स्कैम में लोगों को अच्छी सैलरी वाली नौकरी का झांसा दिया जाता है. इन स्कैमर्स के निशाने पर ज्यादातर बेरोजगार युवा, घरेलू महिलाएं और छात्र होते हैं. इस स्कैम को अंजाम देने वाले गिरोह फर्जी कॉल सेंटरों में लोगों से जबरन काम करवाते हैं. और उन्हें धोखे से इस अपराध में धकेल देते हैं.
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