'ब्राह्मणों पर टिप्पणी' वाले मामले में पद से हटाए गए IAS संतोष वर्मा, बर्खास्त करने की भी सिफारिश
इस विवाद ने पार्टी लाइन से अलग-अलग नेताओं और ब्राह्मण संगठनों को एक कर दिया. ब्राह्मण समुदाय के एक दर्जन से ज्यादा BJP और कांग्रेस विधायक, मंत्री और सांसदों ने खुले तौर पर IAS Santosh Verma को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की थी. दोनों पार्टियों के डेलीगेशन ने अलग-अलग मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की और तेज और पक्की कार्रवाई की मांग की थी.

मध्य प्रदेश में तैनात IAS संतोष वर्मा की ब्राह्मणों पर की गई टिप्पणी तगड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. विवाद इतना बढ़ा कि अलग-अलग पार्टी के नेताओं ने पार्टी लाइन को किनारे रखते हुए वर्मा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने IAS संतोष वर्मा को किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के पद से हटा दिया है. उन्हें बिना कार्य के GDA (General Administration Department) से अटैच कर दिया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से वर्मा को IAS से हटाने की भी सिफारिश की है.
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की ओर से वर्मा को भेजे नोटिस में लिखा गया कि पहली नजर में उनका कॉमेंट सामाजिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने और आपसी दुश्मनी पैदा करने की कोशिश लगती है. यह एक IAS से उम्मीद किए जाने वाले बर्ताव के मुताबिक नहीं है. यह कृत्य अनुशासनहीनता, मनमानी और गंभीर गलत काम की कैटेगरी में आता है.

इसके अलावा, संतोष वर्मा पर IAS बनने के लिए धोखाधड़ी करने का भी आरोप है. दावा है कि उन्होंने जाली डॉक्यूमेंट्स जमा करके इंटीग्रिटी सर्टिफिकेट हासिल किया. इस मामले में उनके खिलाफ चल रही विभागीय जांच भी आखिरी स्टेज पर पहुंच गई है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने GAD को वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
पूरा मामला क्या हैIAS संतोष वर्मा यूं तो लगातार विवादों में बने रहते हैं. लेकिन बीती 23 नवंबर को उन्होंने आरक्षण के समर्थन में बोलते हुए एक कदम आगे की विवादास्पद टिप्पणी कर दी. उन्होंने कहा,
नए क्लिप ने विवाद बढ़ाया“आरक्षण तक तब मिलना चाहिए जब तक इनके बेटे को ब्राह्मण समाज का कोई व्यक्ति अपनी बेटी न दे दे. दूसरी शर्त ये रखी कि या तो बेटी दान में दे दे या फिर संबंध बना ले.”
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, 7 दिसंबर का संतोष वर्मा का एक और क्लिप सामने आया. यह भी जमकर वायरल होने लगा. उसमें वह नगीना से आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद का हवाला देते हुए कहते हैं,
“कितने संतोष वर्मा को तुम मरोगे? कितने संतोष वर्मा को जलाओगे? कितने संतोष वर्मा को तुम निगल जाओगे? अब हर घर से एक-एक संतोष वर्मा निकलेगा. और जब हर घर से एक संतोष शर्मा निकलेगा तो आप में इतनी ताकत नहीं है कि हर संतोष वर्मा को जला सको.”
इसके अलावा, एक अन्य कार्यक्रम में उन्हें कहते हुए सुना गया,
“एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज कोई और नहीं, बल्कि हाईकोर्ट नहीं बनने दे रहा है. यही हाईकोर्ट है, जिससे हम संविधान के पालन की गारंटी मांगते हैं.”
इस विवाद ने पार्टी लाइन से अलग-अलग नेताओं और ब्राह्मण संगठनों को एक कर दिया. ब्राह्मण समुदाय के एक दर्जन से ज्यादा BJP और कांग्रेस विधायक, मंत्री और सांसदों ने खुले तौर पर वर्मा को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की थी. दोनों पार्टियों के डेलीगेशन ने अलग-अलग मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की और तेज और पक्की कार्रवाई की मांग की.
मामला दिल्ली तक भी पहुंचा था. रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को चिट्ठी लिखकर वर्मा के IAS में सिलेक्शन पर सवाल उठाया है. उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की मांग की. भोपाल के MP आलोक शर्मा ने भी मध्य प्रदेश के दूसरे सांसदों के साथ मिलकर केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की थी. इसी के मद्देनजर अब सरकार ने उन पर कड़ा एक्शन लिया है. सवर्ण समाज के संगठनों ने 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास के घेराव का ऐलान कर दिया था.
माफी भी मांगीलेकिन इसी बीच IAS संतोष का एक बयान सामने आया है. एक लोकल मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही है. लेकिन फिर भी अगर जाने-अनजाने में उनकी किसी बात से खास समुदाय को बुरा लगा हो या ठेस पहुंची हो तो वह खेद व्यक्त करते हैं.
पहले भी लगे थे गंभीर आरोपIAS संतोष वर्मा पर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं. IAS संतोष पर जज के फर्जी सिग्नेचर करने प्रमोशन लेने के आरोप लगे थे. उन पर एक महिला से मारपीट और शादी का झांसा देने का आरोप भी लग चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2021 में फर्जी सिग्नेचर के मामले में संतोष वर्मा की गिरफ्तारी भी हुई थी.
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