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मनरेगा में रजिस्टर्ड परिवारों की संख्या बढ़ी, लेकिन काम के दिन घटे, बजट में कटौती बड़ी समस्या

LibTech India की एक स्टडी से पता चला है कि MGNREGS का दायरा बढ़ा है. इसके तहत रजिस्टर्ड परिवारों की संख्या बढ़ी है. लेकिन लोगों को मिलने वाले काम के दिन घट गए हैं.

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MGNREGS libtech study employment scheme
मनरेगा के तहत काम के दिन 7.1 फीसदी कम हो गए हैं.
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आनंद कुमार
20 मई 2025 (Published: 09:10 AM IST) कॉमेंट्स
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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) सबसे बड़ी सरकारी रोजगार गारंटी योजना है. एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, मनरेगा में रजिस्टर्ड होने वाले परिवारों की संख्या बढ़ी है. लेकिन लोगों को मिलने वाले काम के दिन (Workdays) में कमी आई है. मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड कराने वाले परिवारों की संख्या 8.6 फीसदी बढ़ी है. लेकिन काम के दिन 7.1 फीसदी कम हो गए हैं.  

19 मई 2025 को लिबटेक इंडिया की जारी की गई रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. लिबटेक इंडिया शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक ग्रुप है. मनरेगा के तहत 100 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलती है. लेकिन लिबटेक स्टडी के मुताबिक केवल 7 फीसदी परिवारों को 100 दिन का काम मिला है. रिपोर्ट के मुताबिक, मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड परिवारों की संख्या वित्त वर्ष 2023-24 में 13.80 करोड़ थी. वित्त वर्ष 2024 -25 में यह 8.6 फीसदी बढ़कर 14.98 करोड़ हो गई.

लेकिन इसी समय प्रति परिवार रोजगार के औसत दिनों में 4.3 फीसदी की गिरावट आई है. 2023-24 में यह 52.42 व्यक्ति दिवस(Person days) था. जोकि 2024-25 में घटकर 50.18 व्यक्ति दिवस रह गया है. एक वित्तीय वर्ष में मनरेगा में रजिस्टर्ड लोगों को जितने दिन काम मिलता है उसे व्यक्ति दिवस (Person days)कहा जाता है.

रिपोर्ट में मनरेगा के तहत अलग-अलग राज्यों में लोगों को मिलने वाले काम के दिनों में भारी अंतर सामने आया है. ओडिशा (34.8 %), तमिलनाडु (25.1 %) और राजस्थान (15.9 %) में काम के दिनों में सबसे ज्यादा कमी आई है. वहीं महाराष्ट्र (39.7 %), हिमाचल प्रदेश (14.8 %) और बिहार (13.3 %) में लोगों को ज्यादा दिन काम मिले हैं.

ये भी पढ़ें - मनरेगा मजदूरी क्यों नहीं मिल रही? दिल्ली आए श्रमिक कह रहे- 'समय पर पैसा दें, चोरी बंद कराएं'

मनरेगा के बजट में कटौती बड़ी समस्या

लिबटेक की रिपोर्ट के मुताबिक, रोजगार में कमी का सबसे बड़ा कारण बजट आवंटन में कमी और वेतन देने में होने वाली देरी है. ग्रामीण विकास पर बनी संसद की स्टैंडिंग कमिटी भी इन दोनों मुद्दों पर चिंता जाहिर कर चुकी है. 

पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (PAEG) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 2.64 लाख करोड़ के बजट आवंटन की सिफारिश की थी. लेकिन केंद्र सरकार ने केवल 86 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए. वित्त वर्ष 2024-25 में भी मनरेगा के बजट में कोई बदलाव नहीं किया गया.

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