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पश्चिम बंगाल में फिर शुरू होगी मनरेगा स्कीम, SC का केंद्र को झटका, पता है क्यों बंद हुई थी योजना?

West Bengal MGNREGA: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल में MGNREGA स्कीम के लिए फिर से फंड जारी करना होगा. इससे पहले केंद्र सरकार ने 9 मार्च 2022 को स्कीम के लिए फंड पर रोक लगा दी थी.

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Supreme court directs to resume MGNREGA scheme in West Bengal rejects Centre petition
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र को बंगाल में मनरेगा स्कीम फिर से शुरू करनी होगी. (Photo: File/ITG)
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संजय शर्मा
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28 अक्तूबर 2025 (Published: 10:37 AM IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने MGNREGA स्कीम शुरू करने के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ी राहत दी है. SC ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को राज्य में रुकी हुई मनरेगा स्कीम को फिर से शुरू करने का आदेश दिया था.

दरअसल, केंद्र सरकार ने 9 मार्च 2022 को पश्चिम बंगाल में मनरेगा स्कीम के लिए फंड देना बंद कर दिया था. केंद्र ने योजना में भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. इस फैसले के खिलाफ एक मजदूर संगठन ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने जून 2025 में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि राज्य में 1 अगस्त 2025 से मनरेगा स्कीम फिर से लागू की जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मनरेगा में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच होनी चाहिए, लेकिन इस योजना को बंद नहीं किया जा सकता.

केंद्र ने दी थी फैसले को चुनौती

केंद्र सरकार ने फिर कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट ने भी मनरेगा स्कीम में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार की थी. ग्रामीण विकास विभाग फिलहाल इसकी जांच कर रहा है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 27 अक्टूबर को केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी. इसके बाद अब केंद्र को स्कीम के लिए फिर से फंड जारी करना होगा. बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इसे ऐतिहासिक न्याय बताया है. TMC ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा,

बंगाल के लिए एक ऐतिहासिक न्याय. आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज कर दी और कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें बंगाल में मनरेगा को तुरंत फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया था. यह न्याय की बहाली है. तीन वर्षों तक, दिल्ली के अहंकार और भाजपा के सजा देने वाले फैसले ने हमारे ग्रामीण गरीबों को उनकी वाजिब मजदूरी से दूर रखा था. उन्होंने पैसा रोककर, नौकरशाही के बल से और दुष्प्रचार के ज़रिए, उन लोगों को रोकने की कोशिश की, जो अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे. उनका उद्देश्य बंगाल की भावना को कुचलना था. वे असफल रहे. बंगाल न झुका, न झुकेगा. ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में, हमने हर मज़दूर, हर परिवार, हर रुपये के लिए लड़ाई लड़ी. 

TMC के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पश्चिम बंगाल के लोगों की ऐतिहासिक जीत बताया है और इसे भाजपा की करारी हार बताया है. उन्होंने कहा कि बंगाल ने दिल्ली के अहंकार और अन्याय के आगे झुकने से इनकार कर दिया. यह फैसला उन लोगों के मुंह पर एक लोकतांत्रिक तमाचा है, जो मानते थे कि बंगाल को धमकाकर चुप कराया जा सकता है.

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क्या है मनरेगा स्कीम?

बता दें कि मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), केंद्र सरकार की एक रोजगार योजना है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को एक साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार अनिवार्य रूप से दिया जाता है. केंद्र सरकार की ओर से 2005 में यह योजना शुरू की गई थी और भारत के सभी जिलों में ये लागू है. इसके तहत 18 साल से ऊपर के ग्रामीण रजिस्ट्रेशन कराकर काम मांग सकते हैं. अगर सरकार 15 दिन में काम नहीं देती, तो उसे मजदूर को भत्ता देना पड़ता है. मनरेगा स्कीम के तहत गांव में लोगों से मजदूरी वाले काम जैसे सड़क बनाना, तालाब खोदना, पेड़ लगाना आदि करवाए जाते हैं. इसका उद्देश्य है गांवों में गरीबी कम करना, लोगों को कमाई का साधन देना. साथ ही गांव के विकास कार्यों को बढ़ावा देना.

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