नक्शे पर सिमटता नक्सल आंदोलन, अब सिर्फ इतने ही जिले प्रभावित बचे
इस साल 312 नक्सली मारे गए हैं. 836 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है. और 1,639 नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.

केंद्र सरकार ने नक्सली प्रभावित जिलों को लेकर एक बड़ी जानकारी दी है. गृह मंत्रालय ने बताया है कि देश में अब सिर्फ 11 जिले ही नक्सल प्रभावित हैं. इस साल की शुरुआत में इनकी संख्या 18 थी. मंत्रालय ने ये डेटा नक्सली लीडर मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति के सरेंडर करने के बाद जारी किया. भूपति के साथ 60 अन्य नक्सलियों ने सरेंडर किया था.
मंत्रालय ने बुधवार, 15 अक्टूबर को बताया कि सबसे अति प्रभावित जिलों की संख्या छह से घटकर तीन हो गई है. दी हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिले इस कैटेगरी में हैं. साल 2013 में देश में 126 जिले ऐसे थे जो नक्सली गतिविधियों से प्रभावित थे. ये संख्या अप्रैल 2025 में घटकर 18 हो गई थी.
गृह मंत्रालय ने बताया कि साल 2021 के बाद से 100 से ज्यादा फॉरवर्ड पोस्ट या सिक्योरिटी फोर्स कैंप्स इन इलाकों में बनाए गए हैं. इनमें से ज्यादातर छत्तीसगढ़ में स्थापित किए गए हैं.
बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर के अलावा छत्तीसगढ़ में अन्य प्रभावित जिलों में दंतेवाड़ा, गरियाबंद, कांकेर और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी शामिल हैं. झारखंड में पश्चिमी सिंहभूम, मध्य प्रदेश में बालाघाट, महाराष्ट्र में गढ़चिरौली और ओडिशा में कंधमाल इस लिस्ट में हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने X पर एक पोस्ट में कहा ,
"पीएम मोदी के आतंक-मुक्त भारत के दृष्टिकोण के तहत कई नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए, और जन-केंद्रित विकास किया गया. जिससे नक्सलियों के फैलाव को कम करने में मदद मिली. साथ ही नक्सलियों के छिपने की कोई जगह नहीं बची है. 31 मार्च, 2026 तक भारत नक्सलवाद के खतरे से मुक्त हो जाएगा."
मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी कि इस साल 312 नक्सली मारे गए हैं. जिनमें एक CPI (Maoist) महासचिव और आठ अन्य पोलित ब्यूरो/केंद्रीय समिति के सदस्य शामिल हैं. 836 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है. 1,639 नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति सदस्य शामिल है.
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