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बहराइच हिंसा: सरफराज समेत सभी दोषियों को सजा देते वक्त कोर्ट ने मनुस्मृति का ये श्लोक पढ़ा

Bahraich Violence: Ram Gopal Mishra की हत्या के फैसले में जज पवन शर्मा ने Manusmriti के श्लोक के हवाले से सजा की जरूरत को समझाया. हालांकि इस केस में जज की एक टिप्पणी और पुलिस के बयान में फर्क देखने को मिला है.

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रामगोपाल मिश्रा की हत्या मामले में मुख्य आरोपी सरफराज (बाएं) को मौत की सजा मिली. (PTI)
12 दिसंबर 2025 (Published: 11:17 PM IST)
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दण्ड शास्ति प्रजाः सर्वा दण्ड एवाभिरक्षति।
दण्ड सुप्तेषु जागर्ति, दण्ड धर्म विदुर्वधा ।।

जो आपने पढ़ा, वो मनुस्मृति का एक श्लोक है. इसका मतलब है- समाज और प्रजा के हित के लिए सजा देने की व्यवस्था बहुत जरूरी है. सजा के डर से लोग अपने धर्म और कर्तव्य से नहीं भटकते और ये समाज में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने का जरिया है. 

मनुस्मृति में कही गई इन बातों का जिक्र बहराइच हिंसा मामले में फैसला सुनाते हुए फर्स्ट एड‍िशनल ड‍िस्ट्र‍िक्ट एंड सेशन जज पवन कुमार शर्मा(द्वितीय) ने किया.

जज पवन कुमार ने रामगोपाल मिश्रा की हत्या के मुख्य आरोपी सरफराज उर्फ रिंकू को दोषी माना और मौत की सजा सुनाई. इस सजा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से पुष्टि मिलना बाकी है. अदालत ने अपने 142 पन्नों के फैसले में मनुस्मृति के सातवें अध्याय के 18वें श्लोक का जिक्र किया.

जज पवन शर्मा ने पहले कहा कि इस प्रकार की सजा दी जानी चाहिए, जिससे समाज में पनप रहे ऐसे हैवानों के अंदर भय पैदा हो और समाज में न्यायिक व्यवस्था के लिए विश्वास पैदा हो. इसके बाद जज ने मनुस्मृति के श्लोक के हवाले से सजा की जरूरत को समझाया. अब इस फैसले का ये हिस्सा सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है.

हालांकि, इस केस में जज के फैसले और पुलिस के बयान में अलगाव देखने को मिला है. असल में बहराइच पुलिस ने इस घटना के बाद एक पोस्ट में मीडिया से अपील करते हुए कहा था,

"एक हिंदू व्यक्ति की हत्या के संबंध में सोशल मीडिया में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के मकसद से भ्रामक सूचना, जैसे मृतक को करंट लगाना, तलवार से मारना और नाखून उखाड़ना जैसी बातें फैलाई जा रही हैं, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है."

लेक‍िन अदालत ने अपने फैसले में पुलिस के उलट दावे को माना. कोर्ट ने कहा कि ना सिर्फ रामगोपाल को गोली मारी गई, बल्कि उसके पैरों को इस तरह जलाया गया कि उसके नाखून तक बाहर निकल गए. यानी यहां पुलिस और अदालत की टिप्पणी में फर्क है.

जिस मामले में अदालत ने ये फैसला सुनाया, वो करीब साल भर पुराना है. 13 अक्टूबर 2024 को बहराइच से करीब 40 किलोमीटर दूर महाराजगंज बाजार में ये घटना हुई. उस दिन शाम 6 बजे दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का जुलूस निकल रहा था. आरोप है कि मस्ज‍िद के सामने भड़काऊ गाने बजाने पर मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने डीजे बंद करने को कहा. इसके बाद माहौल गरमा गया. पहले कहासुनी हुई, फिर पथराव और फिर बात गोलीबारी तक पहुंच गई.

इस दौरान रामगोपाल मिश्रा, अब्दुल हमीद के घर की छत पर चढ़ गया और वहां लगा धार्मिक झंडा उतार दिया. उसकी जगह भगवा झंडा फहरा दिया. इसी बात से मुस्लिम पक्ष के लोग भड़क गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक अब्दुल हमीद और उसके बेटे सरफराज समेत दूसरे आरोपी रामगोपाल को अंदर घसीट ले गए. उन लोगों ने उसे घर के अंदर पीटा और फ‍िर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी.

रामगोपाल की हत्या के बाद मामला और हिंसक हो गया. रात भर भीड़ ने सड़क जाम रखी. सुबह रामगोपाल के शव के साथ प्रदर्शन किया. दुकानें, शोरूम, अस्पतालों में आग लगा दी गई. जैसे-तैसे पुलिस ने भीड़ पर काबू पाया और हिंसा रोकी.

इस केस के मुख्य आरोपी सरफराज को अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. उसके पिता अब्दुल हमीद, दोनों भाई- फहीम और तालिब समेत 9 लोगों को भी हत्या में शामिल होने के लिए उम्रकैद की सजा हुई है. हर दोषी को 1 लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा. कोर्ट ने तीन आरोपियों- खुर्शीद, शकील और अफजल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.

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