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डीके शिवकुमार ने केंद्र को दी नोटों से गांधी जी की फोटो हटाने की चुनौती, जानिए ये ताकत कौन रखता है

Mahatma Gandhi On Indian Currency : भारतीय करेंसी नोटों पर हम एक तस्वीर देखते आए हैं. वह तस्वीर Mahatma Gandhi की है. लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि आजादी के तुरंत बाद गांधीजी को नोटों पर जगह नहीं मिली थी. उनको पहली बार नोटों पर दिखने में 22 साल लग गए थे. ये भी जानिए कि किसके हाथ में है फोटो बदलने की ताकत और कैसे फोटो बदली जा सकती है.

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DK shivkumar mahatma gandhi narendra modi
महात्मा गांधी को पहली बार साल 1969 में भारतीय नोटों पर जगह मिली. (इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
19 दिसंबर 2025 (Updated: 19 दिसंबर 2025, 10:17 AM IST)
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मनरेगा योजना के नाम से महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का नाम हटाने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार (DK Shivkumar) ने सरकार को चैलेंज किया है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार में हिम्मत है तो महात्मा गांधी की फोटो करेंसी नोट (Currency Note) से हटाकर दिखाएं. केंद्र सरकार की ओर से इस पर प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन हम आपको बताएंगे कि नोटों पर गांधीजी की तस्वीर के छपने की कहानी क्या है? और कब पहली दफा महात्मा गांधी को नोटों पर जगह मिली?

आजादी के तुरंत बाद नोटों पर नहीं आए गांधीजी

भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ. लेकिन साल 1949 तक भारतीय करेंसी नोटों पर ब्रितानी हुकूमत की छाप थी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने ब्रिटेन के महाराजा किंग जॉर्ज VI की तस्वीर वाली नोटों को छापना जारी रखा था.

सरकार ने पहली बार 1949 में 1 रुपये के नोट का नया डिजाइन तैयार किया. किंग जॉर्ज की तस्वीर की जगह सारनाथ के अशोक स्तंभ को नोटों पर जगह मिली. रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक नोटों के लिए स्वतंत्र भारत के प्रतीकों को चुना जाना था. 

उस समय गांधीजी की तस्वीर का इस्तेमाल करने पर विचार हुआ. यहां तक कि कुछ डिजाइन भी तैयार कर लिए गए थे. लेकिन आखिर में गांधी जी की तस्वीर के बदले सारनाथ के अशोक स्तंभ को चुना गया. नोटों का डिजाइन काफी हद तक पहले की तर्ज पर ही था.

king george
आजादी के शुरुआती सालों में भारतीय नोटों पर किंग जॉर्ज vi की तस्वीर ही छपती थी.

साल 1950 में भारतीय गणराज्य के पहले 2,5,10 और 100 रुपये के बैंकनोट जारी किए गए. उन सभी पर अशोक स्तंभ (लॉयन कैपिटल) का वॉटरमार्क था.  रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, 1950 और 60 के दशक में जारी होने वाले भारतीय नोटों पर बाघ, सांभर और हिरण जैसे जानवरों की तस्वीरें होती थीं. 

वहीं 1970 के दशक में खेती से जुड़ी गतिविधियां (खेतीबाड़ी और चाय की पत्तियां चुनते) वाली तस्वीरों को नोटों पर जगह मिली, जबकि 1980 के दशक में वैज्ञानिक उन्नति के प्रतीकों के तौर पर आर्यभट्ट सैटेलाइट की तस्वीर और हीराकुंड बांध को नोटों पर स्थान दिया गया.

महात्मा गांधी कब पहली बार नोटों पर दिखे?

महात्मा गांधी पहली बार साल 1969 में करेंसी नोट पर नजर आए. उनकी 100वीं जयंती के अवसर पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गांधीजी की फोटो के साथ एक रुपये का नोट जारी किया. RBI ने यह फैसला स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र-निर्माण में उनके योगदान को याद करने के लिए लिया. इस नोट पर RBI गवर्नर लक्ष्मीकांत झा के सिग्नेचर थे. नोट पर महात्मा गांधी को बैठे हुए दिखाया गया था और बैकग्राउंड में सेवाग्राम आश्रम था. पहली बार एक रुपये के नोट पर नजर आने के बाद महात्मा गांधी पर नोटों की पूरी सीरीज आजादी के 49 साल बाद जारी की गई. अक्टूबर 1987 में गांधीजी की तस्वीर वाले 500 रुपये के नोटों की एक सीरीज जारी की गई थी.

mahatma gandhi
साल 1969 में पहली बार गांधीजी को भारतीय नोटों पर जगह मिली. 
कब स्थायी हो गई नोटों पर गांधीजी की तस्वीर?

1990 के दशक में डिजिटल प्रिंटिंग, स्कैनिंग, फोटोग्राफी और जेरोग्राफी जैसी तकनीकों के कारण नकली नोटों का खतरा बढ़ गया. तब यह माना जाता था कि निर्जीव वस्तुओं (जैसे अशोक स्तंभ) के मुकाबले मानव चेहरे की नकल करना मुश्किल है. फिर गांधीजी की राष्ट्रीय अपील को देखते हुए नोटों पर उनको स्थायी तौर पर जगह दी गई. 

साल 1996 में रिजर्व बैंक ने अशोक स्तंभ वाले पुराने नोटों की जगह 'महात्मा गांधी सीरीज' के नए नोट लॉन्च किए. साथ ही इसमें विंडो सिक्योरिटी थ्रेड और लेटेंट इमेज जैसे कई सिक्योरिटी फीचर्स भी शामिल किए गए. साल 2016 में नोटबंदी के बाद महात्मा गांधी सीरीज के नए नोट आए. इसमें एडिशनल सिक्योरिटी फीचर्स के साथ नोट के पीछे स्वच्छ भारत अभियान का लोगो भी जोड़ा गया.

कहां से ली गई गांधीजी की फोटो?

भारतीय करेंसी पर दिखने वाली गांधीजी की तस्वीर कोई कैरिकेचर या फिर कार्टून नहीं है. यह एक मूल तस्वीर से लिया गया कटआउट है. जो साल 1946 में राष्ट्रपति भवन (तब वायसराय हाउस) के बाहर खींची गई थी. इसमें गांधीजी ब्रिटिश राजनेता लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक-लॉरेंस के साथ खड़े हैं. तस्वीर में गांधीजी मुस्कुराते हुए दिख रहे हैं. इस तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर और उसका चयन करने वाले व्यक्ति की पहचान अज्ञात है.

कौन डिजाइन करता है नोट?

नोटों को डिजाइन करने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के करेंसी मैनेजमेंट विभाग की है. इसे RBI और केंद्र सरकार से डिजाइन के लिए मंजूरी लेनी होती है. RBI अधिनियम, 1934 की धारा 25 के मुताबिक, रिजर्व बैंक की सिफारिशों के आधार पर ही केंद्र सरकार नोटों के डिजाइन, फॉर्म और कंटेट को हरी झंडी दे सकती है.

नोटों पर दूसरे लोगों को जगह देने की मांग

हाल के सालों में गांधीजी के अलावा कुछ दूसरे लोगों को भी नोटों पर जगह देने की बात उठी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से नोटों पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की अपील की थी. 

साल 2014 में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीरों को नोटों पर जगह देने के सुझाव आए थे. लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन सुझावों को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा कि RBI द्वारा गठित की गई एक समिति ने यह निर्णय लिया है कि महात्मा गांधी से बेहतर कोई और व्यक्तित्व भारत की भावना का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता.

वीडियो: Patna: महात्मा गांधी के प्रिय भजन Raghupati Raghav Raja Ram पर विवाद

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