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किसान ने तहसील कार्यालय में की आत्महत्या, सांसद के परिवार पर लगाए गंभीर आरोप

आरोप है कि किसान की जमीन से जुड़े दस्तावेजों में नाम बदलने का काम सालों से रुका हुआ था. कोर्ट के आदेश और किसान के कई बार तहसील के चक्कर लगाने के बावजूद अधिकारियों ने उसका काम नहीं किया. बताया जा रहा है कि इससे तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली.

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Maharashtra chandrapur Farmer commits suicide in tehsil office makes serious allegations against MP family
पुलिस की सांकेतिक तस्वीर. (Photo: File/ ITG)
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सचिन कुमार पांडे
9 अक्तूबर 2025 (Published: 01:44 PM IST)
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महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक किसान ने तहसील कार्यालय में आत्महत्या की कोशिश की. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है. आरोप है कि किसान ने जमीन से जुड़े मामले में अधिकारियों की लापरवाही से तंग आकर आत्महत्या का प्रयास किया था. साथ ही उसने मरने से पहले एक पत्र भी लिखा था. पत्र में किसान ने पूर्व सांसद स्वर्गीय बालू धानोरकर के परिवार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. किसान का आरोप है कि धानोरकर परिवार ने धोखे से उनकी जमीन हड़प ली. जमीन के बदले जो चेक दिया गया वह बाउंस हो गया. उन्हें इसके पैसे मिले ही नहीं. 

किसान की मौत के बाद उसके परिजनों ने हंगामा कर दिया. उन्होंने मृतक किसान का शव उठाने से इनकार कर दिया. किसान के परिवार ने कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, वह उसका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. हालांकि जिला कलेक्टर ने परिवार को समझाया और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया. इसके बाद मृतक का बुधवार, 8 अक्टूबर को अंतिम संस्कार किया गया.

क्या है मामला?

बता दें कि पूरा मामला महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के भद्रावती तहसील के मोरवा गांव का है. यहां के रहने वाले किसान परमेश्वर ईश्वर मेश्राम ने 26 सितंबर को भद्रावती तहसील कार्यालय में आत्महत्या का प्रयास किया था. इलाज के दौरान 6 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई. किसान ने पत्र में बताया था कि उसने दिवंगत सांसद बालू धानोरकर को 2005 में अपनी पैतृक जमीन बेची थी. धानोरकर ने उसे तीन चेक दिए थे, लेकिन वह बाउंस हो गए. फिर भी उन्होंने जमीन अपने नाम कर ली थी. मृतक किसान की पत्नी वंदना मेश्राम ने आजतक को बताया की बालू धानोरकर ने चेक बाउंस होते ही ये जमीन अपने भाई अनिल धानोरकर को बेच दी थी. अब इस पर अनिल धानोरकर का कहना है कि उन्होंने मृतक किसान से कोई बात ही नहीं की थी. ये जमीन उन्होंने अपने भाई से खरीदी थी. जमीन पर जो केस नागपुर कोर्ट में चल रहा है, वह केस मृतक किसान के भाई और बहन ने किया था. उनका पैतृक जमीन पर वारिस होने का दावा था.

अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप

आजतक से जुड़े विकास राजूरकर की रिपोर्ट के अनुसार किसान के पैतृक जमीन के नामांतरण (म्यूटेशन) का काम भी सालों से लंबित था. मामला सेशन कोर्ट में गया था. जिस पर कोर्ट ने पैतृक जमीन के दस्तावेजों पर सभी वारिसों के नाम चढ़ाने का आदेश दिया था. इसके बावजूद नाम नहीं चढ़ाया गया. मृतक किसान ने पत्र में आरोप लगाया है कि लगातार तहसील के चक्कर काटने पर भी उसका काम नहीं हुआ. किसान की पत्नी ने कहा कि जमीन के कागजात पर नाम चढ़ाने के लिए तहसीलदार और कार्यालय के अधिकारियों को लाखों रुपये दिए. इसके लिए घर बेचना पड़ा. आज किराये के घर में रहते हैं. मजदूरी कर घर चलाते हैं.

पूरे मामले में दिवंगत सांसद बालू धानोरकर की पत्नी प्रतिभा धानोरकर से भी बात की गई. प्रतिभा, चंद्रपुर की वर्तमान सांसद हैं. उन्होंने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह मामला 2005 का है. अभी तक ये परिवार चुप क्यों था. हमने पूरे पैसे देकर ही जमीन खरीदी थी. जो चेक बाउंस हुए हैं, उसके बदले हमने नगद रुपये दिए थे. इस मामले में जिलाधिकारी जो भी निर्णय लेंगे, हमें मान्य होगा. किसी के बहकावे में आकर परिवार ऐसे आरोप लगा रहे है.

दो अधिकारी सस्पेंड

इधर, किसान की आत्महत्या के बाद जिला प्रशासन और राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया है. प्रशासन ने आनन फानन में अधिकारियों की लापरवाही मानते हुए भद्रावती के तहसीलदार राजेश भंडारकर और नायब तहसीलदार सुधीर खांडरे को निलंबित कर दिया है. फिलहाल डीएम विनय गौड़ा ने पीड़ित परिवार को न्याय का आश्वासन दिया है. इसके बाद मामला शांत हुआ है. इस विषय में डीएम ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है. पुलिस जांच अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया की मामले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 194 के तहत मामला दर्ज किया गया है. आगे की जांच जारी है. बहरहाल, पूरी असलियत तो जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन तहसील कार्यालय में किसान की आत्महत्या करने और सीधे सांसद पर आरोप लगाने के कारण मामले ने तूल पकड़ लिया है.

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