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हिंडनबर्ग मामले में SEBI की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच को लोकपाल ने क्लीन चिट दी

लोकपाल ने अपने फैसले में कहा है कि सिर्फ Hindenburg Report को कार्रवाई का आधार नहीं बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि आरोपों की पुष्टि के लिए उन्हें कोई सबूत नहीं मिले हैं.

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Madhabi Puri Buch
लोकपाल ने माधबी पुरी बुच को राहत दी है. (फाइल फोटो: एजेंसी)
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संजय शर्मा
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29 मई 2025 (Updated: 29 मई 2025, 09:24 AM IST) कॉमेंट्स
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हिंडनबर्ग मामले में ‘सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया’ (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) को राहत मिली है. लोकपाल ने इस मामले में तीन शिकयतों का निपटारा किया है. उन्होंने माधबी पुरी बुच को क्लीन चिट दे दी है. शिकायतों में उन पर अपने पद के अनुचित लाभ उठाने के आरोप लगे थे.

लोकपाल का मानना है कि इस बात के लिए सबूत नहीं मिले हैं कि माधबी बुच के खिलाफ आगे की जांच के आदेश दिए जाएं. लोकपाल चेयरपर्सन जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा,

हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि शिकायतों में लगाए गए आरोप अनुमानों पर आधारित हैं. आरोपों की पुष्टि के लिए कोई भी ठोस सबूत उपलब्ध नहीं हैं. ये ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988’ के भाग तीन में दर्ज अपराधों की श्रेणी में नहीं आते, ताकि मामले में जांच के आदेश दिए जा सकें. इसलिए इन शिकायतों का निपटारा किया जाता है.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती

लोकपाल ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ये शिकायतें मूल रूप से एक शॉर्ट सेलर फर्म की रिपोर्ट पर आधारित थीं. इसका उद्देश्य अडानी ग्रुप की कंपनियों पर सवाल उठाना था. उन्होंने आगे कहा,

जैसा कि हमने अपने 20 सितंबर, 2024 के आदेश में कहा था, इस रिपोर्ट को कार्रवाई के लिए एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता है. शिकायत करने वाले भी इस बात से अवगत थे. इसलिए उन्होंने स्वतंत्र रूप से आरोप लगाने की कोशिश की. लेकिन हमने अपने विश्लेषण से ये निकाला कि ये आरोप निराधार, अप्रमाणित और हल्के थे.

उन्होंने आगे कहा,

इस स्तर पर जांच का दायरा ये पता करना नहीं है कि जो सूचनाएं मिली हैं वो सच हैं या नहीं, बल्कि केवल ये पता लगाना है कि इन सूचनाओं से किसी गंभीर अपराध का पता चलता है या नहीं.

आदेश के अनुसार, इन सभी शिकायतों में एक ही तरह के आरोप लगाए गए थे. लेकिन इन्हें अलग-अलग शिकायतकर्ताओं ने दायर किया था.

ये भी पढ़ें: हिंडनबर्ग रिपोर्ट- 'SEBI में आने से दो साल पहले किया था निवेश'- बुच दंपति की सफाई

माधबी बुच पर आरोप क्या थे?

 द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मोटे तौर पर माधबी पुरी बुच के खिलाफ पांच आरोप लगे थे. ये आरोप हैं-

  1. बुच और उनके पति ने ऐसे फंड में बड़ा निवेश किया जो ‘अडानी ग्रुप’ से जुड़ा था. जबकि वो ग्रुप पहले ही SEBI के जांच के घेरे में था. 
  2. उन्होंने इन निवेश की जानकारी न SEBI बोर्ड को दी, न ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी को.
  3. उन्होंने और उनके पति ने अपनी कंपनी AAPL के साथ-साथ ‘महिंद्रा ग्रुप’ और ‘ब्लैकस्टोन’ जैसी कंपनियों से पैसे कमाए. जबकि ये कंपनियां SEBI की जांच के घेरे में थीं और बुच उस समय SEBI में उच्च पद पर थीं.
  4. उन्होंने ‘कैरोल इन्फो सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड’ से पैसे कमाए जो कथित तौर पर ‘वॉकहार्ट लिमिटेड’ से जुड़ा हुआ है. वॉकहार्ट पर भी SEBI की जांच चल रही है.
  5. बुच ने 2017 से पांच साल की अवधि में ICICI Bank के शेयर बेचकर अनुचित तरीके से लाभ कमाए. उस समय ICICI Bank भी SEBI की जांच में था, जिससे शेयर के दाम पर असर पड़ सकता था.

कुल मिलाकर बुच पर अपने पद का अनुचित लाभ उठाने और जरूरी जानकारियों को छिपाने के आरोप लगे थे. पूर्व SEBI अध्यक्ष इन आरोपों का खंडन करती रही हैं.

वीडियो: कौन हैं बड़े घोटाले सामने लाने वाली SEBI की पहली महिला अध्यक्ष माधबी पुरी बुच?

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