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एयर इंडिया क्रैश का इकलौता जिंदा पीड़ित अब किस हाल में है? जो पता चला वो बहुत दर्दनाक है

शारीरिक चोटें तो ठीक हो रही हैं, लेकिन मानसिक घाव इतने गहरे हैं कि वो परिवार से भी कटते जा रहे हैं.

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Lost and broken not talking to family Lone Air India crash survivors anguish
एयर इंडिया ने मुआवजे के रूप में रमेश को करीब 25 लाख रुपये दिए हैं. (फोटो- X)
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प्रशांत सिंह
3 नवंबर 2025 (Published: 08:06 PM IST)
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अहमदाबाद में 12 जून 2025 को हुए भयानक एयर इंडिया फ्लाइट क्रैश ने देश को हिलाकर दिया था. लंदन जा रही इस फ्लाइट में 241 लोगों की जान चली गई, लेकिन एक चमत्कार हुआ. सीट 11A पर बैठे विश्वासकुमार रमेश इकलौते पैसेंजर थे जिनकी जान बच गई. क्रैश के बाद दुर्घटनास्थल से बाहर निकलकर वो मलबे से दूर पैदल चलते दिखे थे. सबने उन्हें सबसे खुशकिस्मत इंसान बताया लेकिन रमेश आज भी इस हादसे की त्रासदी से जूझ रहे हैं. शारीरिक चोटें तो ठीक हो रही हैं, लेकिन मानसिक घाव इतने गहरे हैं कि वो परिवार से भी कट गए हैं.

रमेश के छोटे भाई अजय क्रैश के वक्त महज कुछ सीटें दूर बैठे थे. इस हादसे में उनकी मौत हो गई. रमेश की आंखें आज भी इस बात से नम हो जाती हैं जब वो कहते हैं,

"मैं इकलौता सर्वाइवर हूं. फिर भी यकीन नहीं होता. ये चमत्कार है, लेकिन मैंने अपना भाई खो दिया. अजय मेरी बैकबोन था. पिछले कुछ सालों में उसने हमेशा मेरा साथ दिया."

अजय के जाने से रमेश खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं. BBC से बात करते हुए उन्होंने बताया,

"अब मैं अकेला हूं. मैं अपने कमरे में अकेले बैठा रहता हूं. पत्नी, बेटे से बात नहीं करता. बस घर में अकेला रहना पसंद करता हूं."

रमेश PTSD से जूझ रहे हैं

मानसिक रूप से रमेश पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से जूझ रहे हैं. भारत में अस्पताल में भर्ती होने के बाद वे लेसेस्टर में अपने घर लौट आए थे. लेकिन यहां अब तक कोई इलाज नहीं करा पाए हें. रातें बेचैनियों में कटती हैं. वो कहते हैं,

“मेरे और मेरे परिवार के लिए ये हादसा शारीरिक और मानसिक रूप काफी कठिन है. पिछले चार महीने से मेरी मां हर दिन दरवाजे के बाहर बैठी रहती हैं, किसी से बात नहीं करतीं, और कुछ नहीं करतीं. मैं किसी और से बात नहीं कर रहा हूं. मुझे किसी और से बात करना पसंद नहीं आता. मैं ज्यादा कुछ बोल नहीं पाता. मैं पूरी रात सोचता रहता हूं, मानसिक रूप से पीड़ा में हूं. हर दिन पूरे परिवार के लिए दर्दनाक है.”

ठीक से चल भी नहीं पाते

शारीरिक चोटें भी रमेश को परेशान कर रही हैं. टांग, कंधा, घुटना और पीठ में दर्द उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत देता है. वो धीरे-धीरे चल पाते हैं, पत्नी सहारा देती हैं. दीव का मछली कारोबार, जो भाई के साथ चलाते थे, अब ठप पड़ा है. आर्थिक तंगी ने परिवार को और तोड़ दिया.

रिपोर्ट के मुताबिक समुदाय के नेता संजीव पटेल और प्रवक्ता रैड सीगर कहते हैं,

"वो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संकट में हैं. ये हादसा उनके परिवार को बर्बाद कर गया. जो जिम्मेदार हैं, उन्हें जमीन पर आकर पीड़ितों से मिलना चाहिए, उनकी जरूरतें समझनी चाहिए."

एयर इंडिया पर उठाए सवाल

रैड सीगर ने एयर इंडिया पर भी सवाल उठाए. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा,

"ये शर्मनाक है कि रमेश को ये सब सहन करना पड़ रहा है. एयर इंडिया के एग्जीक्यूटिव को यहां आना चाहिए था, जो चीजें ठीक करने की जिम्मेदारी लें. कृपया आकर बात करें, ताकि इस दर्द को कम किया जा सके."

उधर एयर इंडिया ने कहा कि कंपनी के सीनियर लीडर्स परिवारों से मिलकर संवेदना व्यक्त करते रहे हैं. एयरलाइन ने बताया,

"रमेश से जुड़े लोगों से भी उनसे मिलने का आग्रह किया गया था. हम लगातार संपर्क में रहेंगे और उम्मीद है कि पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिलेगा."

कंपनी ने ये भी जोड़ा कि ये ऑफर रमेश के मीडिया इंटरव्यू देने से पहले ही कर दिया गया था. कंपनी ने मुआवजे के रूप में रमेश को 21,500 पाउंड (करीब 25.09 लाख रुपये) दिए हैं, जिसे रमेश ने स्वीकार कर लिया है. लेकिन उनके सलाहकार इसे अपर्याप्त मानते हैं.

वीडियो: अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मृतकों के परिजनों को गलत शव मिले?

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