JNU छात्रसंघ चुनाव में ABVP की करारी हार, अध्यक्ष पद समेत चारों सीटों पर लेफ्ट की जीत
लेफ्ट यूनिटी की अदिति मिश्रा ने अध्यक्ष पद पर 1,861 वोट हासिल कर ABVP के विकास पटेल को 414 वोटों के बड़े अंतर से हराया. केरल की गोपिका बाबू ने उपाध्यक्ष पद पर सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की. उन्हें 2,966 वोट मिले, जबकि ABVP की तान्या कुमारी को 1,730 वोट हासिल हुए.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में छात्रसंघ चुनावों के नतीजे घोषित हो गए हैं. लेफ्ट यूनिटी ने चौंकाने वाली जीत दर्ज करते हुए सभी चार प्रमुख पदों पर जीत दर्ज की है. अदिति मिश्रा अध्यक्ष चुनी हैं. उपाध्यक्ष पद का चुनाव गोपिका बाबू ने जीता है. इस बार JNU छात्रसंघ चुनाव में 9043 वोटर थे. इनमें से करीब 67 फीसदी ने वोट किया.
JNU छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट की लहरलेफ्ट यूनिटी की अदिति मिश्रा ने अध्यक्ष पद पर 1,861 वोट हासिल कर ABVP के विकास पटेल को 414 वोटों के बड़े अंतर से हराया. विकास को 1,447 वोट मिले. अदिति की जीत इसलिए खास है क्योंकि उन्होंने कैंपस में महिलाओं की सुरक्षा, अकादमिक स्वतंत्रता और समावेशी नीतियों को अपना मुख्य मुद्दा बनाया. उनकी जीत के बाद कैंपस में ‘लाल सलाम’ के नारे गूंज उठे. छात्रों का कहना है कि अदिति ने ग्रासरूट लेवल पर कैंपस के हर हॉस्टल तक पहुंच बनाई थी.

केरल की गोपिका बाबू ने उपाध्यक्ष पद पर सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की. उन्हें 2,966 वोट मिले, जबकि ABVP की तान्या कुमारी को 1,730 वोट हासिल हुए. कहा जा रहा है कि 1,236 वोटों का ये मार्जिन जेएनयू चुनावों में दुर्लभ है. गोपिका ने चुनाव में जेंडर इक्विटी, दलित-बहुजन अधिकार और कैंपस में सांस्कृतिक स्वतंत्रता को मुद्दा बनाया. उनकी जीत के बाद लेफ्ट कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया.
महासचिव: सुनील यादव की रोमांचक जीतसबसे रोचक मुकाबला महासचिव पद का रहा. लेफ्ट यूनिटी के सुनील यादव ने ABVP के राजेश्वर कांत दुबे को महज 74 वोटों से हराया. सुनील को 1,915 और राजेश्वर को 1,841 वोट मिले. चुनाव के दौरान सुनील ने हॉस्टल फीस, मेस चार्जेज और छात्र कल्याण जैसे मुद्दों पर लगातार आवाज उठाई. काउंटिंग के दौरान दोनों पक्षों के बीच तनाव भी देखने को मिला, लेकिन अंत में लेफ्ट ने बाजी मार ली.
संयुक्त सचिव: दानिश अली का क्लीन स्वीपसंयुक्त सचिव पद पर दानिश अली ने 1,991 वोट लेकर ABVP के अनुज डामारा को हराया. अनुज को 1,762 वोट मिले. वो 229 वोटों से हार गए. दानिश की जीत ने लेफ्ट यूनिटी का क्लीन स्वीप पूरा कर दिया. अल्पसंख्यक छात्रों के बीच दानिश की लोकप्रियता और उनकी सक्रियता ने ये जीत आसान बनाई.
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