अयप्पा स्वामी के आयोजन पर लेफ्ट को घेरने में जुटी बीजेपी को झटका, विजयन सरकार को हिंदू संगठनों का समर्थन
केरल के दो बड़े हिंदू संगठनों, Upper Caste हिंदू नायरों की प्रभावशाली संस्था नायर सर्विस सोसाइटी (NSS) और पिछड़ी जाति के Ezhava Group के एक प्रमुख संगठन श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) ने राज्य सरकार के इस कदम का समर्थन किया है.

CPI(M) की अगुवाई वाली केरल की LDF गठबंधन वाली सरकार इस महीने 20 सितंबर को सबरीमाला (Sabarimala) के प्रमुख देवता अयप्पा स्वामी के भक्तों का एक वैश्विक सम्मेलन कराने जा रही है. इस आयोजन को 'वैश्विक अयप्पा संगमम' (Global Ayyappa Sangamam) नाम दिया गया है, जिसका उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) करने वाले हैं. विपक्षी पार्टी बीजेपी ने विजयन सरकार को इस कदम पर घेरने की रणनीति बनाई थी लेकिन उनका यह दांव अब उल्टा पड़ गया है, क्योंकि राज्य के हिंदू संगठनों ने विजयन सरकार के इस कदम का समर्थन किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के दो बड़े हिंदू संगठनों, उच्च जाति के हिंदू नायरों की प्रभावशाली संस्था नायर सर्विस सोसाइटी (NSS) और पिछड़ी जाति के एझावा समूह के एक प्रमुख संगठन श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) ने राज्य सरकार के इस कदम का समर्थन किया है.
दुनिया भर से अयप्पा के भक्त शामिल होंगेराज्य सरकार ने अगस्त में बताया था कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन 20 सितंबर को सबरीमाला मंदिर के बेस स्टेशन में स्थित पंबा में 'वैश्विक अयप्पा संगमम' का उद्घाटन करेंगे. पेरियार टाइगर रिजर्व में स्थित इस पहाड़ी को अयप्पा का निवास माना जाता है.
सरकार की ओर से बताया गया कि इस सम्मेलन में दुनिया भर से लगभग 3 हजार भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है. इस वैश्विक सम्मेलन में दुनिया भर से अयप्पा स्वामी के भक्तों के अलावा राज्य सरकार के मंत्री और कई आध्यात्मिक नेता शामिल होंगे.
हिंदू वोटर्स को लुभाने की कोशिशइस आयोजन में राज्य सरकार की संस्था त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड की 75वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी. यह संस्था सबरीमाला मंदिर का मैनेजमेंट संभालती है. केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. और कुछ महीनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी होने हैं.
चुनावी मौसम में 'अयप्पा संगमम’ आयोजन को राजनीतिक हलकों में CPI(M) द्वारा हिंदू वोटर्स को लुभाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं हिंदू संगठनों द्वारा उनकी इस मुहिम को मिलने वाला समर्थन बीजेपी के लिए एक झटका माना जा रहा है.
साल 2018 में CPI(M) की अगुवाई वाली LDF गठबंधन को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का समर्थन करने पर बहुसंख्यक समुदाय से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा था. शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर में मासिक धर्म की आयु वाली महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने की प्रथा को असंवैधानिक करार दिया था.
बीजेपी ने इस आयोजन के पीछे वामपंथी दलों की राजनीतिक मंशा पर सवाल उठाते हुए हिंदू संगठनों से सतर्क रहने का आग्रह किया गया है. बीजेपी ने साल 2018 में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान विजयन सरकार की कार्रवाई का मुद्दा भी उठाया है, जिसमें हुई हिंसा के दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं की गिरफ्तारी हुई थी.
ये भी पढ़ें - केरल सरकार ने हिंदू कार्यक्रम में CM स्टालिन को बुलाया, BJP बोली- 'ये तो लादेन को शांति दूत बनाने जैसा'
CPI(M) को किस बात का डर हैकेरल की आबादी में 55 फीसदी हिंदू, 27 फीसदी मुस्लिम और 18 फीसदी ईसाई है. हिंदुओं की कुल आबादी में एझावा और नायर हिंदुओं की हिस्सेदारी 41 फीसदी है. साल 2021 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ को 47 प्रतिशत एझावा और 24 प्रतिशत नायर वोट मिले थे.
लेकिन लोकसभा चुनाव में स्थिति एकदम बदल गई. पार्टी को इस चुनाव में 22 प्रतिशत एझावा और 7 प्रतिशत के आसपास नायर वोट मिले. उच्च जाति के नायर और एझावा जाति के कुछ हिस्सों का रुझान बीजेपी की तरफ हुआ है. इस आयोजन के माध्यम से CPI(M) राज्य के हिंदू वोटर्स में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.
वीडियो: निमिषा प्रिया की फांसी टली, केरल के ग्रैंड मुफ्ती के प्रभाव वह कर दिखाया जो कूटनीति नहीं कर सकी