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उमर खालिद केस: कपिल सिब्बल ने पूर्व CJI चंद्रचूड़ के सुनवाई वाले दावे पर बड़े सवाल उठाए

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि उमर खालिद के वकीलों ने 7 बार कोर्ट से एडजर्नमेंट मांगा. कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसा सिर्फ दो बार हुआ है.

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Kapil Sibal
वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल. (फोटो- इंडिया टुडे)
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सौरभ
5 सितंबर 2025 (Updated: 5 सितंबर 2025, 07:56 PM IST)
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दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी उमर खालिद को जमानत नहीं मिलने पर वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने नाराज़गी जताई है. दिल्ली हाई कोर्ट के उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने पर कपिल सिब्बल ने कहा है कि यह ‘अनुच्छेद 21 का उल्लंघन’ है और “हम इस अन्याय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.”

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ पर परोक्ष रूप से टिप्पणी करते हुए सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने केवल दो बार ही स्थगन मांगा था. उन्होंने कहा,

“अगर अदालत सालों तक फ़ैसला नहीं देती तो क्या इसके लिए वकील दोषी हैं? अगर आप जमानत नहीं देना चाहते तो सीधे इनकार कर दीजिए, 20-30 बार सुनवाई क्यों करते हैं.”

गौरतलब है कि पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि खालिद के वकीलों ने सात बार स्थगन (adjournment) मांगा. इस पर सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में कहा है कि जमानत याचिकाओं की सुनवाई जल्द होनी चाहिए. लेकिन उमर खालिद के मामले में ऐसा क्यों नहीं हुआ? उन्होंने बताया कि पहली अपील की 180 दिनों में 28 सुनवाई हुईं और दूसरी अपील को खारिज करने में 407 दिन लगे.

सीनियर वकील ने कहा कि मामला मुंबई में उमर खालिद द्वारा दिए गए एक भाषण से जुड़ा है, जिसके आधार पर उन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोपी बनाया गया है. बचाव पक्ष कहना है कि खालिद के भाषण से हिंसा की आशंका पैदा होने का आरोप लगाया गया है, जबकि उन्होंने न किसी की हत्या की, न अपहरण किया और न ही देश की क्षेत्रीय अखंडता पर हमला किया.

सिब्बल ने सवाल उठाया कि भारत का लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है, जब राजनीतिक दल ऐसे मुद्दे नहीं उठाते क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनका राजनीतिक नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा,

“हम सही काम करना और उसके लिए आवाज़ उठाना नहीं चाहते. हमारे वकील, मध्यमवर्ग और समाज भी चुप हैं.”

कपिल सिब्बल का दावा है कि उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और साथ ही कई मामलों में UAPA आरोपियों को जमानत दी गई है. उन्होंने कहा,

“मैं विश्वास से कहता हूं कि जब इन पर मुकदमा चलेगा तो लगभग सभी बरी होंगे. असली साज़िश तब सामने आएगी. हाई कोर्ट में बैठे न्यायाधीशों के फैसले हमारे हिसाब से अनुच्छेद 21 का उल्लंघन हैं और ऐसा अन्याय नहीं होना चाहिए. लेकिन जीवन उम्मीद पर टिका है और हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और उम्मीद करेंगे कि हमें सुना जाएगा.”

बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को उमर खालिद और शरजील इमाम समेत नौ आरोपियों को “बड़ी साज़िश” मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि नागरिकों द्वारा प्रदर्शन के नाम पर साज़िशन हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती.

वीडियो: उमर खालिद ने शाहीन बाग और CAA प्रोटेस्टके बारे में क्या कहा?

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