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'लिमिट मत क्रॉस करिए...', अब हाई कोर्ट में वकील ने जज से बदसलूकी

Jharkhand High Court की ये घटना है. पूरे घटनाक्रम के दौरान वकील चिल्लाते हुए जज की तरफ उंगली उठाते हुए भी नज़र आए.

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jharkhand high court judge lawyer
जस्टिस राजेश कुमार (बाएं) और वकील महेश तिवारी (सबसे दाएं) के बीच बहस हो गई. (फोटो- सोशल मीडिया)
17 अक्तूबर 2025 (Updated: 17 अक्तूबर 2025, 07:54 PM IST)
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‘मैं अपने तरीके से बहस कर सकता हूं. किसी वकील की बेइज्जती करने की कोशिश मत करिए. देश में अदालतों को लेकर माहौल गर्म है. लिमिट मत क्रॉस करिए. मैं 40 सालों से प्रैक्टिस कर रहा हूं.’ 

ये बातें झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने एक जज से कही हैं. इस दौरान वकील ने चिल्लाते हुए जज की तरफ उंगली उठाते हुए नज़र आए. 16 अक्टूबर को हुई इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.

वकील का नाम है, महेश तिवारी. वहीं, जस्टिस राजेश कुमार मामले की सुनवाई कर रहे थे. मामले पर लेटेस्ट अपडेट ये है कि वकील के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की गई है. आज यानी शुक्रवार, 17 अक्टूबर को झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान समेत पांच जजों की बेंच ने मामले पर सुनवाई भी की. इस दौरान वकील को तीन हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित है.

वीडियो में क्या दिखा?

जस्टिस राजेश कुमार 16 अक्टूबर को ‘बिजली बहाली’ से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे. इस दौरान वकील महेश त‍िवारी ने तर्क दिया कि बिजली विभाग ने उनके क्लाइंट का बिजली कनेक्शन काट दिया है. जिसकी वजह से उन्हें दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा कि उनका क्लाइंट बकाए बिजली बिलों के बदले 25 हज़ार रुपये जमा करने को तैयार है.

इस तर्क पर जज ने कहा कि आपके मुवक्किल को कुल बिल का 50% जमा करना पड़ेगा. वकील ने जज की बात मानी और 50% पर बात खत्म हो गई. इसके बाद शुरू हुई दूसरे केस की सुनवाई. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरे केस पर बात करते हुए जज ने एडवोकेट महेश तिवारी के तर्क देने के तरीके पर कॉमेंट कर दिया. और, यहीं से शुरू हुआ पूरा विवाद. जज ने कहा,

वो यहां खड़े होकर कह रहे थे कि मुवक्किल गरीब हैं, बूढ़े हैं, ये हैं, वो हैं. ये कोई तर्क है? चेयरमैन (झारखंड राज्य बार काउंसिल के) बताएं, क्या इस तरह से केस पर बहस की जाएगी? ये कोई तरीका नहीं है.

इस बीच वकील महेश तिवारी अब भी कोर्ट रूम में मौजूद थे. जज की बात सुनकर वो आगे की ओर आए और जज से पूछा कि क्या वो उन्हीं की बात कर रहे हैं. जस्टिस राजेश कुमार ने इसका हां में जवाब दिया. फिर क्या था. वकील महेश तिवारी बेंच की तरफ उंगली दिखाते हुए बोले,

मैं अपने तरीके से केस लडूंगा. मैं आपसे सिर्फ निवेदन कर रहा था. किसी वकील का अपमान करने की कोशिश मत करिए... सर, मैं फिर से कह रहा हूं कि किसी व्यक्ति की बेइज्जती मत करिए. देश में अदालतों को लेकर माहौल गर्म है... आप बहुत ज्यादा जानते हैं तो आप जज हो गए. हम लोग नहीं जानते तो हम वकील हैं.

अब तक पूरे कोर्ट में सन्नाटा छा चुका था. वकील को टोकते हुए जज ने कहा, ‘सही तरीके के तर्क दिया करें.’ इस पर वकील की तरफ से जवाब आया,

मैं बार-बार कह रहा हूं कि मैं अपने तरीके से तर्क दूंगा. आप अपनी ल‍िम‍िट क्रॉस मत करो. मैं पिछले 40 सालों से प्रैक्टिस कर रहा हूं.

वीडियो में देखा जा सकता है कि वकील की बात खत्म होने तक जज फाइल फेंक चुके थे. कोर्ट में मौजूद दूसरे वकीलों ने एडवोकेट महेश को शांत कराया. इसके बाद जज बोले,

यहां सबने इन्हें कहते हुए सुना था कि इनके क्लाइंट के साथ बड़ा अन्याय हुआ है. अब बहस करने का कोई मतलब नहीं है.

इसके बाद जज ने कोर्ट में मौजूद झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने को कहा.

वीडियो: अलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसपी आरती सिंह को हिरासत में लेने का आदेश क्यों दिया?

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