‘उस दिन उसने 5 बार टीचर से मदद मांगी, लेकिन... ’, 9 साल की छात्रा के सुसाइड केस में बड़ा खुलासा
जयपुर के स्कूल में हुई इस घटना को लेकर अब CBSE की जांच रिपोर्ट सामने आई है. इसमें कहा गया है कि घटना वाले दिन छात्रा अच्छे मूड में स्कूल पहुंची थी. लेकिन सुबह 11 बजे के बाद कुछ क्लासमेट्स के डिजिटल बोर्ड पर लिखे या दिखाए गए कंटेंट के कारण वह बहुत परेशान और शर्मिंदा हो गई थी.

जयपुर के एक प्राइवेट स्कूल में 1 नवंबर को क्लास 6th में पढ़ने वाली 9 साल की बच्ची ने अपनी जान दे दी थी. अब इस मामले में CBSE की जांच रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में स्कूल को सुरक्षित और हेल्दी माहौल न देने सकने का दोषी माना गया है. स्कूल की कई बड़ी कमियों की पोल भी खोली गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रा डेढ़ साल से मानसिक प्रताड़ना (बुलिंग) झेल रही थी. क्लासमेट्स छात्रा के साथ गाली-गलौज तक किया करते थे. लेकिन टीचर या स्कूल ने कोई एक्शन नहीं लिया.
स्कूल को नोटिस जारीटाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच रिपोर्ट के बाद CBSE ने जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. रिपोर्ट में छात्रा के लगातार बुलिंग सहने की बात का जिक्र है. रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रा के पैरंट्स ने जुलाई 2024 में टीचरों को बुलिंग की जानकारी दी थी. लेकिन क्लास टीचर और मैनेजमेंट लगातार लापरवाह रहे.
वहीं, बोर्ड ने शो-कॉज नोटिस में कहा,
टीचर और मैनेजमेंट ने नहीं सुनी बात“कमेटी को दिए गए माता-पिता के बयानों के मुताबिक यह साफ है कि स्कूल ने क्लासमेट्स द्वारा बार-बार बुली करने की शिकायतों पर कोई एक्शन नहीं लिया. क्लास टीचर और स्कूल मैनेजमेंट को बच्ची के साथ हो रहे उत्पीड़न और ट्रॉमा के बारे में अच्छी तरह पता था.”
बोर्ड ने आगे कहा कि पैरंट्स ने क्लास टीचर और स्कूल मैनेजमेंट से कई बार बात की. लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. नोटिस में यह भी लिखा है कि बाकी बच्चों ने पहले भी टीचर से शिकायत की थी कि क्लास में छात्र-छात्राओं के बीच अक्सर “गलत शब्दों” का इस्तेमाल होता है. बोर्ड ने यह भी कहा कि स्कूल की कमेटी और पॉलिसी मैकेनिज्म इस तरह की शिकायतों को लेकर पूरी तरह से “नॉन-रिस्पॉन्सिव” थे.
यह भी पढ़ेंः 'टीचर करता था परेशान, इसलिए... ', 9 साल की बच्ची के स्कूल में जान देने के बाद क्या पता चला?
‘एडजस्ट’ होने की सलाहइतना ही नहीं, मृत छात्रा के माता-पिता ने डेढ़ साल के दौरान तीन से ज्यादा बार टीचर्स और कोऑर्डिनेटर्स को बुलिंग की शिकायत की थी. लेकिन इसके बावजूद स्कूल की एंटी-बुलिंग कमेटी ने न तो कभी पैरंट्स से कॉन्टैक्ट किया और न ही कोई दखल दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2025 में पिता ने एक PTM के दौरान एक लड़के को लड़की को बुली करते देखा और क्लास टीचर से शिकायत की. लेकिन टीचर ने उन्हें “थोड़ा एडजस्ट कर लेना चाहिए” की सलाह दी.
उस दिन क्या हुआ था?रिपोर्ट के मुताबिक, घटना वाले दिन छात्रा अच्छे मूड में स्कूल पहुंची थी. लेकिन सुबह 11 बजे के बाद कुछ क्लासमेट्स के डिजिटल बोर्ड पर लिखे या दिखाए गए कंटेंट के कारण वह बहुत परेशान और शर्मिंदा हो गई. कमेटी ने सीसीटीवी फुटेज देखा. जिसमें छात्रा बार-बार लड़कों से कहती हुई दिख रही है कि वे ऐसा करना बंद करें और कंटेंट मिटा दें. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आखिरी 45 मिनट में उसने क्लास टीचर के पास 5 बार मदद मांगने गई. लेकिन उसे मदद नहीं मिली.
स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर में भी खामियांबोर्ड की कमिटी ने कई सेफ्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमियों की भी पहचान की है. इनमें CCTV की ठीक से मॉनिटरिंग न होना, बच्चे की कई फ्लोर पर बिना देखरेख वाली हरकत को न पहचान पाना और घटना के समय फ्लोर अटेंडेंट का न होना शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस सीढ़ी से बच्ची गिरी, उसकी रेलिंग आसानी से चढ़ने लायक थी. बिल्डिंग में कथित तौर पर स्कूल सेफ्टी गाइडलाइन के तहत तय फ्लोर से ज्यादा फ्लोर थे. इसके अलावा, CCTV फुटेज को 15 दिनों तक स्टोर करने का आदेश, बच्चों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइंस का पालन न करना और बच्चे की परेशानी के साफ संकेत होने के बावजूद स्कूल का साइकोलॉजिकल सपोर्ट न देना भी शामिल है.
वीडियो: दिल्ली के मेट्रो स्टेशन पर 10 वीं के छात्र ने दी अपनी जान, स्कूल के टीचर्स पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप


