9 पन्नों का सुसाइड नोट, 15 IAS-IPS अधिकारियों के नाम, IPS पूरन कुमार ने जातिगत भेदभाव समेत कई गंभीर आरोप लगाए
IPS पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित अपने सरकारी आवास में 7 अक्टूबर, मंगलवार को आत्महत्या कर ली थी. पुलिस को उनके घर से नौ पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला है. सुसाइड नोट के पहले आठ पन्नों में उन्होंने सालों से हो रहे उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और अपमान के बारे में बताया है. वहीं आखिरी पन्ने पर एक वसीयत लिखी थी.

हरियाणा कैडर के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में कई IPS, IAS अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 9 पन्नों के सुसाइड नोट में उन्होंने 15 अधिकारियों के नाम लिए हैं. इनमें कुछ अधिकारी अभी भी सर्विस में हैं और कुछ रिटायर हो चुके हैं. नोट में उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ लगातार जातिगत भेदभाव किया. उन्हें सबके सामने अपमानित किया गया. जानबूझकर मानसिक उत्पीड़न और अत्याचार किया गया.
आवास में की आत्महत्यामालूम हो कि 7 अक्टूबर, मंगलवार को IPS पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित अपने सरकारी आवास में आत्महत्या कर ली थी. पुलिस को उनके घर से सुसाइड नोट भी मिला है. आजतक से जुड़े अमन भारद्वाज के मुताबिक सुसाइड नोट के पहले आठ पन्नों में उन्होंने सालों से हो रहे उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और अपमान के बारे में बताया है. वहीं आखिरी पन्ने पर एक वसीयत लिखी थी, जिसमें उन्होंने अपनी सारी चल-अचल संपत्ति अपनी पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार के नाम कर दी थी.
बता दें कि उनकी पत्नी अमनीत वर्तमान में हरियाणा सरकार के विदेश सहयोग विभाग में कमिश्नर और सेक्रेटरी हैं. घटना के समय वह हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान दौरे पर गई हुई थीं. पूरन कुमार ने अपने नोट में जिन अधिकारियों का जिक्र किया है, उनमें मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, डीजीपी शत्रुजीत कपूर, पूर्व मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद, पूर्व एसीएस (गृह) राजीव अरोड़ा, पूर्व डीजीपी मनोज यादव और पी.के. अग्रवाल शामिल हैं. इसके अलावा नौ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के भी नाम हैं. ये अधिकारी हैं- अमिताभ ढिल्लों, संदीप खिरवार, संजय कुमार, कला रामचंद्रन, माता रवि किरण, शिव कविराज, पंकज नैन, कुलविंदर सिंह और एसपी रोहतक नरेंद्र बिजरानिया.
DGP और रोहतक SP पर लगाए आरोपपूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट के अंतिम पैराग्राफ में सीधे तौर पर हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर और SP नरेंद्र बिजरानिया का ज़िक्र किया. उन्होंने आरोप लगाया कि डीजीपी उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए उन्हें मनगढ़ंत मामलों में फंसा रहे हैं. इसके लिए वह बिजरानिया को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा,
बिजरानिया के खिलाफ मेरी शिकायत को नज़रअंदाज़ कर दिया गया. मैं अब लगातार जाति-आधारित उत्पीड़न, सामाजिक बहिष्कार, मानसिक पीड़ा और अत्याचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकता. इसलिए, मैंने यह सब खत्म करने का फैसला किया है. जैसा कि मैंने इस नोट में लिखा है, उपरोक्त आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने उत्पीड़न की सारी हदें पार कर दी हैं और अब मुझमें इसे बर्दाश्त करने की ताकत नहीं है. मैं अपने अंतिम कदम के लिए उन्हें ज़िम्मेदार मानता हूं.
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार ऐसे पदों पर तैनात किया गया, जो असल में मौजूद ही नहीं था. साथ ही उनके आवेदनों की अनदेखी की गई, उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया और झूठी कार्यवाही करके प्रताड़ित किया गया. कुमार ने लिखा कि इन सभी कार्रवाइयों ने उन्हें यह अतिवादी कदम उठाने के लिए मजबूर किया. नोट में उन्होंने मंदिर जाने के लिए भी प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. यह भी कहा कि उनके मरते हुए पिता को देखने के लिए भी उन्हें छुट्टी नहीं दी गई. इसे उन्होंने ऐसा नुकसान बताया, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती. उन्होंने लिखा कि उनकी बार-बार की गई शिकायतों को नजरअंदाज किया गया, जिससे जातिगत उत्पीड़न का एक पैटर्न बन गया.


अपने नोट में, पूरन कुमार ने कई अन्य अधिकारियों पर और भी कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने नोट में लिखा,
- टी.वी.एस.एन. प्रसाद (तत्कालीन ACS गृह विभाग) और डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने कथित तौर पर उनका बकाया रोक रखा था.
- कला रामचंद्रन ने कथित तौर पर डीजीपी की ओर से एक हलफनामा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि पंचकूला गेस्ट हाउस पहले ही किसी अन्य अधिकारी को आवंटित कर दिया गया था, जिससे उन्हें आधिकारिक आवास देने से इनकार कर दिया गया.
- डीजीपी ने कथित तौर पर अपनी Annual Performance Appraisal Report (APAR) में "अनुचित टिप्पणी" की और उनके बारे में गलत जानकारी फैलाई.
- जब उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो अमिताभ ढिल्लों ने कथित तौर पर उनके खिलाफ कार्रवाई की. यहां तक कि उनका आधिकारिक वाहन भी वापस ले लिया और उनकी सैलरी बचत पर सवाल उठाए.
- संजय कुमार ने कथित तौर पर उनसे जुड़े दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की.
- पंकज नैन ने कथित तौर पर डीजीपी और ढिल्लों के निर्देश पर उनके खिलाफ झूठी शिकायतें कीं.
- गुरुग्राम से उनके ट्रांसफर के बाद संदीप खिरवार और सिवास कविराज ने कथित तौर पर उनके खिलाफ झूठे मामले गढ़े.
- पूर्व डीजीपी मनोज यादव और पूर्व एसीएस (गृह) राजीव अरोड़ा ने कथित तौर पर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की हर संभव कोशिश की. उन्होंने दावा किया कि यादव ने उन्हें एक पुलिस स्टेशन के भीतर स्थित एक मंदिर में जाने के लिए परेशान किया.
- उन्होंने लिखा कि मनोज यादव, पी.के. अग्रवाल और टी.वी.एस.एन. प्रसाद बैचमेट थे और उन्होंने मिलकर उन्हें जाति-आधारित उत्पीड़न का शिकार बनाया.
- उन्होंने कहा कि उन्होंने तत्कालीन गृह मंत्री से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
- उन्होंने यह भी लिखा कि उन्होंने वर्तमान मुख्य सचिव और तत्कालीन एसीएस (गृह) अनुराग रस्तोगी को अत्याचारों के बारे में लिखित रूप से सूचित किया था, लेकिन उनकी शिकायत को अनदेखा कर दिया गया.
- 8 नवंबर 2024 को, IPS कुलविंदर सिंह ने कथित तौर पर उन्हें फोन करके चेतावनी दी कि डीजीपी ने एक पुलिस अधिकारी को स्थायी रूप से हटाने का आदेश दिया है. बाद में उन्हें सावधान रहने की धमकी दी.
- आईपीएस माता रवि किरण ने एक्स-कैडर पद पर अपनी पोस्टिंग के दौरान कथित तौर पर उनके खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसके बारे में कुमार ने कहा कि इसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा.
इधर, वाई. पूरन कुमार की पत्नी अमनीत ने जापान से लौटने के बाद बुधवार, 8 अक्टूबर को हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बजरनिया के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. साथ ही उन्होंने आत्महत्या के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री से भी बात की. उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर 11 पुलिस स्टेशन पहुंचकर पूरन कुमार को आत्महत्या के उकसाने के आरोप में अधिकारियों के खिलाफ बीएनएस, 2023 की धारा 108 और SC/ST (अत्याचार निवारण) एक्ट के तहत FIR दर्ज करने की मांग की है.
वीडियो: क्या मानसिक तनाव से जूझ रहे थे वाई पूरण कुमार? पुलिस की जांच में क्या सामने आया?