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गलत रूट पर गाड़ी का एक्सीडेंट हो तो पीड़ित को बीमा मिलेगा या नहीं? सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बीमा कंपनी के इस दावे को भी ठुकरा दिया कि रूट परमिट के उल्लंघन के कारण पैसे देने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है.

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Insurer Must Pay Compensation Even If There Was Route Permit Violation Can Recover From Owner Supreme Court
कोर्ट ने ये भी कहा कि बीमा पॉलिसी को कानून के दायरे में ही इस्तेमाल करना चाहिए. (फोटो- iStock)
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प्रशांत सिंह
30 अक्तूबर 2025 (Updated: 30 अक्तूबर 2025, 08:09 PM IST)
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सड़क हादसे का शिकार हुई गाड़ी का रूट गलत हो, तो भी पीड़ित व्यक्ति को बीमा का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने वाहन दुर्घटनाओं के पीड़ितों को इंश्योरेंस से मुआवजा देने के संबंध में ये फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि भले ही गाड़ी के रूट परमिट में नियमों का उल्लंघन हुआ हो, तब भी बीमा कंपनी को पीड़ित को मुआवजा देना ही होगा. शीर्ष अदालत ने साफ किया कि कि मोटर वाहन बीमा का सामाजिक उद्देश्य महत्वपूर्ण है. किसी तकनीकी आधार पर मुआवजा देने से इनकार करना ‘न्याय की भावना के लिए अपमानजनक’ होगा.

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने वाहन मालिक के नागेंद्र और बीमा कंपनी न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से जुड़े मामले में ये टिप्पणी की. कोर्ट ने कंपनी की अपील को खारिज कर दिया. 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला एक बस हादसे से संबंधित था. घटना के समय बस अपने निर्धारित रूट से अलग रास्ते पर थी. बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे पहले मुआवजा देने और बाद में मालिक से वसूल करने को कहा गया था. वहीं, वाहन मालिक ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें बीमा कंपनी को उसी (मालिक) से वसूली की अनुमति दी गई थी.

मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने दोनों अपीलों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि 'pay and recover' का निर्देश उचित था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बीमा कंपनी के इस दावे को भी ठुकरा दिया कि रूट परमिट के उल्लंघन के कारण पैसे देने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है. कोर्ट ने कहा,

“बीमा पॉलिसी का मकसद मालिक या ऑपरेटर को ऐसी अप्रत्याशित या दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में सीधे जिम्मेदारी से बचाना है. अगर केवल इस आधार पर पीड़ित या उसके आश्रितों को मुआवजा देने से इनकार किया जाए कि हादसा परमिट की सीमा से बाहर हुआ और इसलिए बीमा पॉलिसी के दायरे में नहीं आता, तो ये न्याय के सिद्धांत के खिलाफ होगा, क्योंकि हादसा पीड़ित की गलती से नहीं हुआ. इसलिए, बीमा कंपनी को निश्चित रूप से भुगतान करना चाहिए.”

कोर्ट ने ये भी कहा कि बीमा पॉलिसी को कानून के दायरे में ही इस्तेमाल करना चाहिए. बेंच ने कहा,

"हालांकि, जब कोई बीमा कंपनी पॉलिसी लेती है और उसके लिए प्रीमियम स्वीकार करती है, तो वो कुछ निश्चित शर्तों के साथ ऐसा करती है. पॉलिसी के कॉन्ट्रैक्ट में वो सीमाएं तय होती हैं, जिनके अंदर ये काम करती है. ऐसे में, अगर बीमा कंपनी से ये अपेक्षा की जाए कि वो किसी तीसरे पक्ष को मुआवजा दे, जो स्पष्ट रूप से ये कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों से बाहर है और ये अनुचित होगा."

अंत में कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि 'pay and recover' का निर्देश पीड़ित को मुआवजा देने की जरूरत और बीमा कंपनी के हितों के बीच संतुलन बनाता है.

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने Surrogacy Law पर सरकार को क्यों लगाई फटकार?

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